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दिल्ली हिंसा: मज़हब पूछकर बनाया गया लोगों को निशाना!

दिल्ली हिंसा: मज़हब पूछकर बनाया गया लोगों को निशाना!

तीन दिन तक दिल्ली के जलने के बाद पुलिस होश में आई और तब उसने उपद्रवियों को खदेड़ा। इस दौरान उन्मादी नारों की वजह से भी दिल्ली का माहौल ख़राब हुआ। 

दिल्ली में नागरिकता क़ानून को लेकर हुई हिंसा को लेकर ऐसी कई ख़बरें सामने आ रही हैं जिनमें लोगों को उनका मज़हब पूछकर निशाना बना गया। इस दौरान कई जगह नेताओं के भड़काऊ भाषणों के कारण माहौल ख़राब होने की ख़बरें आईं। कई जगहों पर कट्टर और नफ़रती नारे लगाये गये, दुकानों-गाड़ियों में आग लगाई गई और बेकसूर लोगों को नफ़रत का शिकार बनाया गया। 

न्यूज़ वेबसाइट ‘द वायर’ ने हिंसा के दौरान ज़मीन पर उतरकर स्थिति का जायजा लिया है। वेबसाइट के मुताबिक़, मंगलवार को मौजपुर-बाबरपुर चौक पर बीजेपी नेता जयभगवान गोयल हिंदुत्ववादियों के साथ खड़े थे। गोयल ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा - ‘अगर यहां रहना है, तो खड़ा होना होगा।’ गोयल के एक समर्थक ने कहा - ‘हम चारों तरफ़ से मुसलिमों से घिरे हुए हैं। अगर अपने आप को बचाना है तो लड़ना होगा।’ इस दौरान वहां ‘जय श्री राम’ और ‘हर-हर महादेव’ के नारे लगे। गोयल के साथ वहां लगभग 100 लोग मौजूद थे। 

दिल्ली में हुई हिंसा के दौरान उत्तर-पूर्वी दिल्ली के सबसे ज़्यादा प्रभावित होने का एक कारण यह भी है कि इस इलाक़े में हिंदुओं और मुसलमानों की मिश्रित और घनी आबादी है। हिंसा के दौरान यह दिखा कि लोग धार्मिक आधार पर बंट गये। दूसरी ओर कुछ जगहों पर लोगों ने मानवता की मिसाल कायम की और नफ़रत फैलाने वालों को मुंहतोड़ जवाब दिया। 

बीजेपी नेता जयभगवान गोयल के अपने समर्थकों के साथ होने को लेकर ‘वायर’ के एक पत्रकार ने पुलिसकर्मी से पूछा कि क्या यहां धारा 144 लागू नहीं है पुलिसकर्मी ने कहा कि हां लागू है। इस पर पत्रकार ने पूछा कि तो ऐसे में गोयल इतने सारे लोगों के साथ कैसे मौजूद हैं, इस पर पुलिसकर्मी ने कहा कि उसे इस बारे में कुछ नहीं पता। 

वायर के मुताबिक़, जाफ़राबाद में मौजूद एक मुसलिम प्रदर्शनकारी ने कहा, ‘हम नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करना चाहते हैं और हमारा अपने हिंदू भाइयों से लड़ने का कोई इरादा नहीं है।’ उसने कहा, ‘यहां सिर्फ़ हिंदुत्ववादियों की वजह से माहौल बिगड़ा। जब उन्होंने हमारे ऊपर पत्थर फेंकने शुरू किये तो हमारी ओर से भी कुछ युवाओं ने पत्थर फेंके। इसके बाद हम स्थिति को संभाल नहीं सके।’ इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ जमकर नारेबाज़ी भी की। 

वायर के मुताबिक़, मौजपुर मेट्रो स्टेशन के पूरे इलाक़े को हिंदुत्ववादियों की भीड़ ने घेर लिया था। इस दौरान उन्होंने पत्रकारों को धमकाया और जब पत्रकारों ने कोई फ़ोटो लेने या वीडियो बनाने की कोशिश की तो उन्होंने फ़ोन छीन लिये और इन्हें डिलीट करवा दिया। यह पूछे जाने पर कि धारा 144 लगी होने के बाद भी यहां भीड़ कैसे इकट्ठी हो गई है, पुलिस ने इसका कोई जवाब नहीं दिया। 

वायर के मुताबिक़, एक हिंदू युवक ने कहा, ‘यहां आस-पास सारे उग्रवादी हैं। डंडे से ही ये लोग मानते हैं।’ इसके थोड़ी देर बाद वहां ‘जय श्री राम’ के नारे लगे। इस दौरान एक व्यक्ति ने कहा कि ‘मोदी-मोदी’ नहीं बोलना है, सिर्फ़ ‘जय श्री राम’ के नारे लगाओ।

कार-दुकानों में लगा दी आग

वायर के अलावा न्यूज़ वेबसाइट ‘द क्विंट’ ने भी ग्राउंट रिपोर्टिंग कर बताया है कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली में मंगलवार को क्या हालात रहे। ‘द क्विंट’ के मुताबिक़, हिंसा प्रभावित इलाक़े मौजपुर के रहने वाले एक हिंदू शख़्स ने कहा, ‘एक कार खड़ी थी मुसलमान की, वो हिंदुओं ने जला दी, एक ऑटो जला दिया और जो दुकानें जिनमें बोर्ड लगे हुए हैं मुसलमानों के, जिनमें अल्लाह लिखा था, वे सब तोड़ दिये। ‘द क्विंट’ के मुताबिक़, पटना के रहने वाले 36 साल के आर्या ख़ान ने कहा कि बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने भीड़ को उकसाया और थोड़ी ही देर बाद हिंसा शुरू हो गई। 

‘द क्विंट’ के मुताबिक़, दिन में 2 बजे मौजपुर इलाक़े के एक घर से धुआं उठना शुरू हो गया और बड़ी संख्या में युवा उस तरफ़ दौड़े। ‘द क्विंट’ की टीम भी वहां पहुंची तो देखा कि दो गाड़ियों में आग लगा दी गई थी। इसी तरह एक जगह नागरिकता क़ानून के समर्थन में हो रही रैली में ‘जय श्री राम’, ‘देश के गद्दारों को, गोली मारो…’ और ‘हिंदू एकता जिंदाबाद’ के नारे लग रहे थे।

दोनों ही ग्राउंड रिपोर्ट बताती हैं कि उन्मादी नारों की वजह से सबसे ज़्यादा माहौल ख़राब हुआ। हिंसा के दौरान सोशल मीडिया पर कई फ़ोटो और वीडियो वायरल हुए जिनमें दोनों पक्षों के लोग पत्थर फेंकते दिखाई दिये। दिल्ली की हिंसा में मरने वालों और घायलों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। तीन दिन तक दिल्ली के जलने के बाद पुलिस होश में आई और उसने मौजपुर और जाफ़राबाद से उपद्रवियों को खदेड़ा और देखते ही गोली मारने के आदेश दिये। लेकिन यहां सारी चूक पुलिस और ख़ुफिया एजेंसियों की ही है, वरना दंगाई इस तरह खुलकर कैसे बसों-घरों में आग लगाते। यह हिंसा अकसर शांत रहने वाली दिल्ली के माथे पर बदनुमा दाग है। 

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