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राज्यसभा में 131 सांसदों के समर्थन से दिल्ली सेवा विधेयक पारित हुआ

राज्यसभा में 131 सांसदों के समर्थन से दिल्ली सेवा विधेयक पारित हुआ

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक 2023 लोकसभा से 3 अगस्त को पारित हुआ था, अब यह राज्यसभा से भी पारित हो गया है। राज्यसभा में इसके  समर्थन में 131 और विरोध में 102 वोट पड़े थे। 

लोकसभा से पास होने के चार दिन बाद राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक सोमवार को राज्यसभा से भी पारित हो गया है। राज्यसभा में विधेयक के समर्थन में 131 सदस्यों ने वोट दिया। बहुमत मिलने के बाद यह यहां से पारित हो गया।वहीं इसके विरोध में 102 सदस्यों ने वोट दिया। 

संयुक्त विपक्ष ने इसका कड़ा विरोध किया लेकिन वह इसे पारित होने से रोकने में कामयाब नहीं हो सका। इसे केंद्र सरकार की विपक्ष पर बड़ी जीत के तौर पर देखा जा रहा है। 

विपक्षी एकजुटता के बाद माना जा रहा था कि राज्यसभा में इसको पारित करवाना सरकार के लिए मुश्किल होगा। विधेयक को एनडीए के घटक दलों के अलावा बीजेडी और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी  के सदस्यों का भी समर्थन मिला। इन दो पार्टियों के समर्थन से सरकार ने इसे आसानी से पास करवा कर अपनी ताकत दिखा दी है।  

प्रवर समिति को भेजने के प्रस्ताव के खिलाफ भी हुआ मतदान

केंद्र सरकार  ने कहा है कि विधेयक राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के शासन में लोकतांत्रिक और प्रशासनिक संतुलन बनाए रखने के लिए है। द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक सदन ने विपक्ष द्वारा पेश किए गए संशोधनों और इसे राज्यसभा की प्रवर समिति को भेजने के प्रस्ताव के खिलाफ भी मतदान किया। मतदान की अध्यक्षता करने वाले उपसभापति हरिवंश ने कुछ सांसदों के दावों की जांच का भी आदेश दिया, जिन्होंने कहा था कि प्रस्तावित चयन समिति में उनका नाम बिना सहमति के शामिल किया गया है। 

पिछले मुख्यमंत्रियों को केंद्र के साथ कोई समस्या नहीं थी

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक विधेयक पर बहस का जवाब देते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि विधेयक का उद्देश्य दिल्ली में भ्रष्टाचार मुक्त शासन सुनिश्चित करना है। हमने कांग्रेस शासन द्वारा लाए गए पिछले विधेयक में कुछ भी नहीं बदला है। उन्होंने कहा कि दिल्ली पर एक राज्य की तरह शासन नहीं किया जा सकता क्योंकि यह संविधान के अनुसार एक केंद्र शासित प्रदेश है। 

उन्होंने कहा कि जो लोग कह रहे हैं कि आज दिल्ली है, कल दूसरे राज्यों की बारी आएगी। उनकी मानसिकता गलत है, इसे  बदलना होगा। दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी है। इससे किसी को ऐतराज नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि दिल्ली में मदनलाल खुराना, साहिब सिंह वर्मा, सुषमा स्वराज्य, शीला दीक्षित मुख्यमंत्री रहीं हैं। 

पिछले मुख्यमंत्रियों को केंद्र के साथ कोई समस्या नहीं थी। वे विकास चाहते थे। उन्होंने कहा कि दिल्ली में अराजकता फैलाने की कोशिश की जा रही है। 

शाह ने बताया क्यों लाया गया यह विधेयक

अमित शाह ने कहा कि एक सरकार जो 2015 में एक आंदोलन के बाद बनी थी, कहती है कि केंद्र सत्ता हड़पना चाहता है। हम सत्ता हड़पना नहीं चाहते। जनता ने हमें ताकत दी है।  यह विधेयक राज्य सरकार को केंद्र की शक्तियों में हस्तक्षेप करने से रोकने के लिए है। शाह ने कहा, 1991 से 2015 तक, दिल्ली में प्रशासन पर एक प्रणाली थी और नरेंद्र मोदी सरकार ने कुछ भी नहीं बदला है। मौजूदा दिल्ली सरकार ने इस व्यवस्था को बदलने की कोशिश की और यह विधेयक उन प्रयासों को विफल करने के लिए है। 

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