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संसद सुरक्षा सेंध: मास्टरमाइंड ने दिल्ली पुलिस के सामने किया आत्मसमर्पण

संसद सुरक्षा सेंध: मास्टरमाइंड ने दिल्ली पुलिस के सामने किया आत्मसमर्पण

संसद की सुरक्षा को भेदने के मामले में फरार आरोपी भी दिल्ली पुलिस की गिरफ़्त में आ चुका है। जानिए, वह कैसे पकड़ में आया। 

संसद सुरक्षा भेदने के मामले में फरार आरोपी ललित झा ने गुरुवार रात को दिल्ली पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है। इसके बाद पुलिस ने उसे औपचारिक रूप से गिरफ्तार कर लिया। रिपोर्ट है कि आत्मसमर्पण से पहले उसने उन सभी मोबाइल फोन को राजस्थान में तोड़ दिया जो संसद में हंगामा करने वाले आरोपियों के थे। इस मामले में चार आरोपियों को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है जिसमें दो आरोपी संसद के अंदर पकड़े गये थे और दो संसद भवन के परिसर में ही। इन पर यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया गया है। इनके अलावा एक अन्य आरोपी को गुरुग्राम में उसके घर से हिरासत में लिया गया है। एक रिपोर्ट के अनुसार आरोपियों के पास पीएम मोदी 'लापता' वाले पोस्टर मिले हैं।

इनपर उस मामले में कार्रवाई हो रही है जिसमें बुधवार को संसद में हंगामा मच गया था। संसद में बुधवार को तब अफरा-तफरी का माहौल बन गया था जब दो लोग सुरक्षा को भेदते हुए लोकसभा में घुस गए और आँसू गैस जैसी कोई चीज छोड़ी। इससे धुआँ निकल रहा था। टेलीविज़न फ़ुटेज में वे एक डेस्क से दूसरे डेस्क पर कूदते हुए और सदन की वेल की ओर जाते हुए दिखे थे। दोनों को आख़िरकार पकड़ लिया गया। उनके पास से विजिटर पास बरामद हुआ जिसको बीजेपी सांसद प्रताप सिम्हा के कार्यालय द्वारा जारी किया गया था। बाद में पता चला कि संसद परिसर में दो लोग और पकड़े गए। फिर एक और गुरुग्राम से हिरासत में लिया गया। तब ललित झा नाम का आरोपी फरार था।

लेकिन ललित ने अब आत्मसमर्थन कर दिया है। वह एक अन्य व्यक्ति के साथ कर्तव्य पथ पुलिस स्टेशन पहुंचा, जहां उसे दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल को सौंप दिया गया। आत्मसमर्पण करने के बाद गुरुवार रात गिरफ्तार किए गए ललित मोहन झा को संसद पर लोकसभा सुरक्षा उल्लंघन का मास्टरमाइंड माना जा रहा है।

पहले गिरफ़्तार किए गए चारों पर कड़े यूएपीए यानी गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत आतंकवाद का आरोप लगाया गया है। इन चारों में से दो- सागर शर्मा और मनोरंजन डी - लोकसभा कक्ष में कूद गए थे और रंगीन धुआं फेंकने वाले डिब्बे को खोल दिया था जिससे सदन में अफरा तफरी का माहौल हो गया था। जबकि अन्य दो - नीलम देवी और अनमोल शिंदे ने सदन के बाहर विरोध किया था।

दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल ने ललित झा को हिरासत में ले लिया है और पूछताछ जारी है। पुलिस ने पाया कि झा ने कथित तौर पर सोशल मीडिया पर अपने सहयोगी के साथ हमले का एक वीडियो साझा किया था। विशाल शर्मा उर्फ विक्की, जिसके घर पर आरोपी गुरुग्राम में रुके थे, अभी भी हिरासत में है।

7 दिन की हिरासत में भेजे गए चारों आरोपियों से शुरुआती पूछताछ के बाद पुलिस ने कहा है कि यह संसद पर सुनियोजित हमला था।

पुलिस ने यह भी बताया कि आरोपियों ने जाहिर तौर पर पुलिस पूछताछ से निपटने को पहले से तैयार थे। उन्होंने कहा, 'ऐसा लगता है कि उन्होंने पहले से ही तैयारी कर ली थी कि जब पुलिस पकड़ेगी तो उन्हें क्या जवाब देना है।' पुलिस ने कहा कि जांच में दो संगठनों के नाम भी सामने आए हैं और उनकी भूमिका की जांच की जा रही है। हालांकि, जांच टीम को अब तक आतंकी समूहों से कोई संबंध नहीं मिला है।

रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि वह पश्चिम बंगाल का निवासी है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार ललित झा कुछ एनजीओ चलाता है और कोलकाता में स्थानीय लोगों में मास्टरजी के नाम से प्रसिद्ध है। रिपोर्ट के अनुसार वह छात्रों को ट्यूशन कराता था। ललित झा के नाम को लेकर बीजेपी और टीएमसी में ठनी है। 

बीजेपी के नेताओं ने ललित झा का टीएमसी नेता तापस रॉय के साथ फोटो साझा कर कई आरोप लगाए हैं। भाजपा के पश्चिम बंगाल अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने कहा, 'हमारे लोकतंत्र के मंदिर पर हमले का मास्टरमाइंड ललित झा, लंबे समय से टीएमसी के तापस रॉय के साथ घनिष्ठ संबंध में था… क्या यह नेता की मिलीभगत की जांच के लिए पर्याप्त सबूत नहीं है?' अमित मालवीय ने भी कुछ ऐसे ही आरोप लगाए।

इसके जवाब में रॉय ने कहा, 'सोशल मीडिया पोस्ट का कोई महत्व नहीं है। एक जन प्रतिनिधि के रूप में मेरे बहुत सारे समर्थक और सहयोगी हैं। जांच होने दीजिए। अगर साबित हो गया तो राजनीति छोड़ दूंगा। हम सार्वजनिक जीवन में हैं, बहुत से लोग तस्वीरें लेते हैं। मैंने सुना कि यह फरवरी 2020 में था - लगभग चार साल पहले। मैं उसे नहीं जानता। संसद की सुरक्षा एक गंभीर मामला है। जांच को भटकाने की बजाय जांच होने दीजिए।' टीएमसी प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा है कि बीजेपी सांसद उन्हें संसद में प्रवेश देते हैं तो इस तथ्य की जाँच होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि 300 सुरक्षा कर्मी होते हैं तो 176 ही क्यों थे, इसकी जाँच होनी चाहिए। 

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