सुनंदा पुष्कर केस फिर सुर्खियों में क्यों? जानें आख़िर हुआ क्या था
एक समय देश की राजनीति को हिलाकर रख देने वाला सुनंदा पुष्कर मौत मामला फिर से सुर्खियों में है। ऐसा इसलिए क्योंकि दिल्ली पुलिस की अपील पर हाई कोर्ट ने अब कांग्रेस सांसद शशि थरूर को पुष्कर की मौत मामले में नोटिस जारी किया है। जबकि इस मामले में निचली अदालत ने उन्हें क़रीब 15 महीने पहले सभी आरोपों से बरी कर दिया था। तो सवाल है कि अब इस मामले को फिर से इतनी देरी से क्यों उठाया जा रहा है?
एक रिपोर्ट के अनुसार शशि थरूर ने यह कहते हुए इस सुनवाई का विरोध किया है कि निचली अदालत के फ़ैसले को चुनौती देने में देरी हुई है। दिल्ली पुलिस ने अदालत के फ़ैसले के 90 दिन की समय सीमा ख़त्म होने के बाद ऊपरी अदालत का दरवाजा खटखटाया है।
शशि थरूर ने इस मामले में मीडिया ट्रायल का आरोप लगाया है। वह पहले से ही ऐसा आरोप लगाते रहे हैं। दरअसल, इन सब वजहों से इस मामले ने काफ़ी तूल पकड़ा था। वैसे सुनंदा की मौत से पहले ही शशि थरूर सुर्खियों में रहते रहे हैं। 2012 में ही जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने थरूर पर '50 करोड़ की गर्लफ्रेंड' वाली टिप्पणी की थी।
बहरहाल, सुनंदा पुष्कर का मामला तब बड़ा हुआ जब 17 जनवरी 2014 में दिल्ली के होटल लीला पैलेस में संदिग्ध परिस्थितियों में उनकी मौत हो गई थी। मौत से एक दिन पहले यानी 16 जनवरी, 2014 को सुनंदा पुष्कर और पाकिस्तानी पत्रकार मेहर तरार के बीच ट्विटर पर शशि थरूर के साथ कथित संबंधों को लेकर विवाद हुआ था।
शुरुआती जाँच में पुलिस को शक़ था कि शायद वह आत्महत्या का मामला था। बाद में दवा के ओवरडोज से मौत के कयास भी लगाए गए थे। ऐसा इसलिए था क्योंकि पुष्कर का इलाज चल रहा था। हालाँकि घटना के दो दिन बाद सुनंदा पुष्कर के पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर कहा गया था कि यह अचानक और अप्राकृतिक मौत का मामला लगता है।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में जो बातें निकलकर आई थीं उसको लेकर हंगामा भी हुआ था। रिपोर्ट में कहा गाय था कि सुनंदा के हाथों पर एक दर्जन से अधिक चोट के निशान, उनके गाल पर एक घर्षण का निशान, और उनकी बाईं हथेली के किनारे पर दांत से काटने के गहरे निशान थे।
डॉक्टरों ने यह भी कहा था कि सुनंदा पुष्कर के शरीर में एंग्जायटी रोधी दवा अल्प्राजोलम के संकेत मिले थे। रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि ऐसा कोई संकेत नहीं था कि दवाओं के ओवरडोज से उनकी मौत हुई हो।
इस मामले में आगे की जाँच के लिए विसरा के नमूनों को भेजा गया। बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार जुलाई 2014 में पुष्कर का पोस्टमार्टम करने वाले पैनल का नेतृत्व करने वाले एम्स के डॉक्टर सुधीर गुप्ता ने दावा किया था कि उन पर ऑटोप्सी रिपोर्ट में हेरफ़ेर करने के लिए दबाव डाला जा रहा था। गुप्ता ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि पुष्कर के शरीर पर चोट के 15 निशान थे, जिनमें से अधिकांश का मौत से कोई लेना देना नहीं था।
इस मामले में बड़ा मोड़ तब आया था जब 2015 की जनवरी में दिल्ली के तत्कालीन पुलिस आयुक्त बीएस बस्सी ने कहा था कि सुनंदा पुष्कर ने आत्महत्या नहीं की थी, बल्कि उनकी हत्या की गई। इसके बाद दिल्ली पुलिस ने मामले में अज्ञात लोगों के ख़िलाफ़ हत्या का मामला दर्ज किया। उसी साल नवम्बर महीने में एफ़बीआई ने विसरा की रिपोर्ट दिल्ली पुलिस को सौंपी जिसमें कहा गया था कि पुष्कर की मौत ज़हर की वजह से नहीं हुई।
2016 की शुरुआत में दिल्ली पुलिस के विशेष जाँच दल ने जब शशि थरूर से पूछताछ की थी तो उन्होंने कहा था कि पुष्कर की मौत दवा के ओवरडोज के कारण हुई थी। जुलाई 2017 में बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने दिल्ली उच्च न्यायालय से मांग की कि इस मामले की जाँच सीबीआई के नेतृत्व वाले विशेष जाँच दल द्वारा अदालत की निगरानी में करवाई जाए।
थरूर आरोपों से बरी
कई वर्षों तक चले इस मामले में दिल्ली की एक अदालत ने अगस्त 2021 में शशि थरूर को उनकी पत्नी सुनंदा पुष्कर की मौत के मामले में लगे आरोपों से बरी कर दिया था। थरूर के वकील ने अदालत के सामने दलील रखी कि इस मामले में बनी एसआईटी ने उनके मुवक्किल को बरी कर दिया है और उन्हें रिहा कर दिया जाना चाहिए क्योंकि उनके ख़िलाफ़ ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है जो उन पर लगे आरोपों की पुष्टि करता हो। अदालत ने थरूर के ख़िलाफ़ आरोप तय करने से भी इनकार कर दिया था।
बता दें कि सुनंदा मूलत: कश्मीर के सोपोर की रहने वाली थीं। उनके पिता पीएन दास भारतीय सेना में वरिष्ठ अधिकारी थे। शशि थरूर के साथ उनकी तीसरी शादी थी। उनकी दूसरी शादी से सुनंदा का एक बेटा है। सुनंदा पुष्कर का नाम सबसे पहले अप्रैल 2010 में इंडियन प्रीमियर लीग की कोच्चि टीम की ख़रीद से जुड़े एक विवाद में सामने आया था। उसी समय शशि थरूर ने सुनंदा पुष्कर से अपने रिश्तों की बात कबूल की थी और अगस्त 2010 में उन दोनों ने शादी कर ली थी।