+
गणतंत्र दिवस हिंसा पर ट्वीट के लिए योगिता भयाना पर भी केस

गणतंत्र दिवस हिंसा पर ट्वीट के लिए योगिता भयाना पर भी केस

गणतंत्र दिवस पर किसान प्रदर्शन के दौरान हिंसा पर ट्वीट के लिए सामाजिक कार्यकर्ता योगिता भयाना पर केस दर्ज किया गया है। नोटिस भेजकर उन्हें पुलिस के सामने पेश होने के लिए कहा गया है। 

गणतंत्र दिवस के दिन किसान प्रदर्शन के दौरान हिंसा पर ट्वीट के लिए सामाजिक कार्यकर्ता योगिता भयाना पर केस दर्ज किया गया है। दिल्ली पुलिस ने उन्हें नोटिस भेजकर पुलिस के सामने पेश होने के लिए कहा है। इस मामले पर योगिता ने कहा है कि 'मेरा गुनाह ये है कि मैं किसान आंदोलन में किसान भाइयों का साथ दे रही हूँ।' उन्होंने आरोप लगाया है कि पुलिस उनकी आवाज़ को दबाना चाहती है। 

योगिता जैसे ही आरोप तब भी दिल्ली पुलिस पर लगाए गए जब किसान आंदोलन में हिंसा पर ट्वीट के लिए पत्रकार राजदीप सरदेसाई, मृणाल पाण्डेय जैसे पत्रकारों और कांग्रेस सांसद शशि थरूर पर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली में एफ़आईआर दर्ज की गई। 

जिन लोगों पर एफ़आईआर दर्ज की गई है उनमें किसान आंदोलन को लेकर ट्वीट करते रहे सांसद शशि थरूर, न्यूज़ एंकर राजदीप सरदेसाई, वरिष्ठ पत्रकार मृणाल पाण्डेय, कौमी आवाज़ उर्दू के मुख्य संपादक जफर आगा, कारवाँ के मुख्य संपादक परेशनाथ, कारवाँ के संपादक अनंतनाथ, कारवाँ के कार्यकारी संपादक विनोद के जोस और द वायर के संपादक सिद्धार्थ वरदराजन जैसे पत्रकारों के नाम शामिल हैं।

अब इसमें सामाजाकि कार्यकर्ता योगिता भयाना का नाम जुड़ गया है। पुलिस की इस कार्रवाई के बारे में योगिता ने भी ट्वीट कर जानकारी दी है। 

बता दें कि योगिता को नोटिस भेजे जाने की जानकारी अधिकारियों ने बुधवार को दी है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, नोटिस में दंगा भड़काने के मक़सद से उकसावे की कार्रवाई करने, समूहों के बीच रंजिश बढ़ाने और अफवाह व ऐसे बयान प्रसारित कर लोकशांति को ख़तरा पहुँचाने का आरोप लगाया गया है।

नोटिस में कहा गया है कि जाँच के दौरान पाया गया कि आपके ट्विटर खाते से कथित तौर पर दो फर्जी पोस्ट किए गए। इसके साथ ही उनसे पूछताछ के लिए समय के बारे में भी पूछा गया है। 

इससे पहले कांग्रेस सांसद शशि थरूर, पत्रकार राजदीप सरदेसाई, मृणाल पाण्डेय जैसे पत्रकारों पर भी सोशल मीडिया पर उनकी पोस्ट के लिए ही केस दर्ज किया गया है। गणतंत्र दिवस पर किसानों के प्रदर्शन में हिंसा को लेकर उन्होंने ये पोस्टें की थीं। 

इन पर आरोप लगाया गया है कि उन लोगों ने मध्य दिल्ली के आईटीओ में एक प्रदर्शनकारी की मौत पर लोगों को गुमराह किया जब हज़ारों किसानों ने राष्ट्रीय राजधानी में लाल क़िले सहित विभिन्न क्षेत्रों में प्रवेश किया था।

कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ हज़ारों किसान क़रीब ढाई महीने से दिल्ली के बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं। इनकी माँग इन कृषि क़ानूनों को रद्द करने की है। इस बीच 26 जनवरी को दिल्ली में किसानों की ट्रैक्टर परेड हुई, जिसमें हज़ारों किसान ट्रैक्टर लेकर तय रूट से अलग हो कर दिल्ली में घुस गए, हिंसा हुई, लाठीचार्ज हुआ, आँसू गैस के गोले छोड़े गए। इस बीच एक व्यक्ति की मौत भी हो गई। कुछ लोगों ने लाल क़िले पर चढ़ कर सिखों का पवित्र झंडा निशान साहिब फहरा दिया।

पुलिस ने कहा था कि उस व्यक्ति की मौत ट्रैक्टर पलटने से हुई थी, जबकि राजदीप सरदेसाई ने शुरुआती आरोपों के आधार पर ट्वीट कर मौत का कारण गोली लगना बताया था। हालाँकि, बाद में पुलिस की प्रतिक्रिया आने के बाद राजदीप ने पुलिस के बयान को पोस्ट किया था। लेकिन इस बीच उन्हें कुछ समय के लिए इंडिया टुडे न्यूज़ चैनल से 'ऑफ़ एयर' कर दिया गया। 

गणतंत्र दिवस के दौरान हुई हिंसा को लेकर अपने ख़िलाफ़ दर्ज केसों को लेकर शशि थरूर और राजदीप सरदेसाई ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। पत्रकार मृणाल पांडे, जफर आगा, परेश नाथ और अनंत नाथ सुप्रीम कोर्ट एक दिन पहले ही पहुँच चुके हैं।

सत्य हिंदी ऐप डाउनलोड करें