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दिल्ली शराब स्कैमः दो और कारोबारी अरेस्ट, आप की मुश्किलें बढ़ीं

दिल्ली शराब स्कैमः दो और कारोबारी अरेस्ट, आप की मुश्किलें बढ़ीं

दिल्ली शराब घोटाले में दो और कारोबारियों को ईडी ने गिरफ्तार किया है। दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के करीबी दिनेश अरोड़ा सरकारी गवाह बन गए हैं। इस तरह आम आदमी पार्टी और सिसोदिया की मुश्किलें बढ़ गईं हैं। जानिए अब तक का पूरा घटनाक्रमः

दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार हिला देने वाले कथित शराब स्कैम में ईडी ने आज गुरुवार को दो और गिरफ्तारियां की हैं। शराब स्कैम में मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले की जांच ईडी कर रही है। सीबीआई भी इस मामले की जांच कर रही है। हालांकि दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना की आपत्ति के बाद केजरीवाल सरकार ने अपनी नई शराब नीति वापस ले ली थी और पुरानी नीति को फिर से लागू कर दिया था। लेकिन एलजी सक्सेना ने इसकी जांच का आदेश दिया था। इस मामले में कई गिरफ्तारियां हो चुकी हैं और उसकी आंच डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया तक भी पहुंची है।

ईडी के सूत्रों ने बताया कि प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) की धाराओं के तहत पर्नोड रिकार्ड के बिनय बाबू और अरबिंदो फार्मा के शरत रेड्डी को गिरफ्तार किया गया है। 

दिल्ली की शराब नीति मामले में प्रवर्तन निदेशालय की ओर से अब तक कई बार छापे मारे जा चुके हैं। सितंबर में, इसने शराब बनाने वाली कंपनी इंडोस्पिरिट के प्रबंध निदेशक समीर महिंदरू को गिरफ्तार किया था। 

इस महीने की शुरुआत में, ईडी ने दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के करीबी सहयोगी दिनेश अरोड़ा के परिसरों पर भी छापे मारे और बाद में उनसे दिल्ली में अपने कार्यालय में पूछताछ की। दिनेश अरोड़ा अब सरकारी गवाह बन गए हैं। दिनेश अरोड़ा पिछले सोमवार को राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश हुए थे। दिनेश अरोड़ा ने कोर्ट में कहा है कि वह आबकारी नीति के मामले में उनकी जो भूमिका है उसके बारे में सच-सच बताएंगे।

सीबीआई ने इस मामले में जो एफआईआर दर्ज की थी उसमें अमित अरोड़ा, दिनेश अरोड़ा और अर्जुन पांडे को मनीष सिसोदिया का करीबी सहयोगी बताया था। इस एफआईआर में मनीष सिसोदिया का नाम अभियुक्तों की सूची में पहले नंबर पर था। सीबीआई ने एफआईआर में आरोप लगाया था कि ये तीनों शराब लाइसेंस धारियों से इकट्ठा किए गए धन को मैनेज करने और इसे डायवर्ट करने के काम में शामिल थे। 

सीबीआई ने एफआईआर में आरोप लगाया है कि शराब कारोबारी समीर महेंद्रु ने दिनेश अरोड़ा के द्वारा चलाई जा रही एक कंपनी को 1 करोड़ रुपए दिए और उन्होंने अर्जुन पांडे और उसके सहयोगियों को दो से चार करोड़ रुपए दिए।

एफआईआर में कहा गया था कि विजय नायर, मनोज राय, अमनदीप ढल और समीर समीर महेंद्रु दिल्ली की नई आबकारी नीति बनाने और इसे लागू करने के काम में हुई गड़बड़ियों में शामिल हैं। सीबीआई ने विजय नायर और ईडी ने समीर महेंद्रू को गिरफ्तार किया था। नायर आम आदमी पार्टी के कम्युनिकेशन विभाग का प्रभारी रहा है। विजय नायर ही आम आदमी पार्टी को बॉलीवुड तक लेकर गया। कारवां मैगजीन ने विजय नायर के बॉलीवुड कनेक्शन को लेकर कई सनसनीखेज खुलासे किए थे।

दरअसल, कथित शराब नीति स्कैम में मनी लॉन्ड्रिंग का मामला सीबीआई की एफआईआर से ही सामने आया है। सीबीआई ने मामला दर्ज करने के बाद उपमुख्यमंत्री और दिल्ली सरकार के कुछ नौकरशाहों के परिसरों पर छापेमारी की थी। इस मामले में शनिवार को ईडी ने सिसोदिया के निजी सहायक देवेंद्र शर्मा से भी पूछताछ की। अधिकारियों ने बताया कि उनके घर की तलाशी के बाद उन्हें पूछताछ के लिए मध्य दिल्ली स्थित ईडी कार्यालय ले जाया गया और बाद में छोड़ दिया गया। हालांकि सिसोसदिया ने देवेंद्र शर्मा की गिरफ्तारी का दावा किया था। 

दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना द्वारा दिल्ली की आबकारी नीति 2021-22 को लागू करने में कथित अनियमितताओं की सीबीआई जांच की सिफारिश के बाद आबकारी योजना जांच के दायरे में आई। एलजी ने 11 आबकारी अधिकारियों को भी इस मामले में निलंबित कर दिया था।

केजरीवाल सरकार के द्वारा लाई गई और फिर वापस ली गई आबकारी नीति के मामले में जांच एजेंसी ईडी ने बीते महीनों में देशभर में कई जगहों पर छापेमारी की है। ईडी ने दिल्ली में 25 जगहों पर छापेमारी की थी जबकि उससे पहले दिल्ली-एनसीआर, पंजाब और हैदराबाद में 35 जगहों पर ईडी के अफसरों की टीम पहुंची थी। 

अब तक इस मामले में विजय नायर, समीर महेंद्रू के अलावा हैदराबाद से शराब व्यवसायी अभिषेक बोइनपल्ली को गिरफ्तार किया गया था। अभिषेक बोइनपल्ली इस मामले में आरोपी अरुण रामचंद्र पिल्लई के सहयोगी हैं, पिल्लई का नाम भी सीबीआई की एफआईआर में शामिल है।

सिसोदिया का इनकार

उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया का कहना है कि दिल्ली सरकार की जिस आबकारी नीति को लेकर विवाद हो रहा है, वह सबसे अच्छी आबकारी नीति थी और दिल्ली सरकार उस आबकारी नीति को पूरी ईमानदारी और पारदर्शिता से लागू कर रही थी। उन्होंने कहा था कि अगर दिल्ली के तत्कालीन उप राज्यपाल ने 48 घंटे पहले उस आबकारी नीति को फेल करने की साजिश के तहत अपना फैसला नहीं बदला होता तो दिल्ली सरकार को इस आबकारी नीति से कम से कम 10000 करोड़ रुपये हर साल मिलते। उन्होंने कहा था कि नई आबकारी नीति में किसी तरह का कोई घोटाला नहीं हुआ था।

क्या थी नई शराब नीति

दिल्ली सरकार ने पिछले साल नवंबर में नई आबकारी नीति को सामने रखा था। नई आबकारी नीति को लेकर दिल्ली सरकार का तर्क था कि दिल्ली में 849 शराब की दुकानों में से 60 फ़ीसदी दुकानें सरकार की हैं और ये दुकानें निजी दुकानों के मुक़ाबले सरकार को बहुत कम टैक्स देती हैं। सरकार का कहना था कि दिल्ली में शराब माफ़िया की जबरदस्त पकड़ है और सरकार की 849 दुकानों के अलावा 2 हज़ार दुकानें शराब माफिया चलाते हैं। ये दुकानें घरों-गोदामों से चलती हैं। दिल्ली सरकार का कहना था कि सरकारी दुकानों में टैक्स चोरी से लेकर तमाम तरह की गड़बड़ियां हैं और बड़े पैमाने पर राजस्व की चोरी हो रही है। 

नई आबकारी नीति को लेकर केजरीवाल सरकार का कहना था कि शराब की दुकानों को पॉश और स्टाइलिश दुकानों में बदला जाएगा। इस नीति में यह भी कहा गया था कि शराब पीने वाले अब सुबह 3 बजे तक होटल, क्लब, रेस्तरां और बार में आराम से शराब पी सकते हैं।

जमकर बिकी शराबः दिल्ली में नई आबकारी नीति का एलान होने के बाद शराब की दुकानों के बाहर लंबे वक्त तक अच्छी-खासी लाइनें लगी रही। इसकी वजह यह थी कि शराब की एक बोतल के साथ एक बोतल फ्री मिल रही थी और एक पेटी के साथ एक पेटी फ्री। कई जगहों पर शराब की कीमत बहुत ज्यादा गिरा दी गई थी। नई आबकारी नीति आने के बाद शराब बेहद सस्ती हो गई थी। कई शराब विक्रेताओं ने एमआरपी पर 40 प्रतिशत तक छूट दी थी।

साफ़ है कि नई शराब नीति से कंपनियों और दुकानदारों को छूट मिली कि वे एमआरपी से कम दाम पर शराब बेच सकते थे। क़ीमतें कम होने से उनकी बिक्री ज़्यादा हो गई थी और इससे कंपनियों और दुकानदारों के बीच प्रतिस्पर्धा शुरू हो गयी। लेकिन बड़ी संख्या में लोग शराब के नशे में डूबने लगे और यह मुद्दा एक बड़ी सामाजिक चिंता के रूप में सामने आया। 

मुख्य सचिव की जांच 

दिल्ली के एलजी ने दिल्ली के चीफ सेक्रेटरी से इस पर रिपोर्ट मांगी। मुख्य सचिव ने जांच के बाद 8 जुलाई 2022 को दी अपनी रिपोर्ट में कहा कि पहली नजर में ऐसा स्पष्ट होता है कि जीएनसीटीडी अधिनियम 1991, व्यापार नियमों का लेनदेन (टीओबीआर) 1993, दिल्ली उत्पाद शुल्क अधिनियम 2009 और दिल्ली उत्पाद शुल्क नियम 2010 का उल्लंघन किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया था कि वर्ष 2021-22 के लिए शराब लाइसेंसधारियों को निविदा के बाद ‘अनुचित’ लाभ पहुंचाने के लिए जानबूझकर चूक की गई।

मुख्य सचिव की यह रिपोर्ट उप राज्यपाल और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दोनों को भेजी गई थी और इसमें कहा गया था कि शीर्ष राजनीतिक स्तर पर किसी चीज के बदले में किया गया फेवर या फायदा दिए जाने के संकेत मिले हैं। रिपोर्ट में कहा गया था कि आबकारी विभाग के प्रभारी मंत्री मनीष सिसोदिया ने तमाम फैसले लिए। इस दौरान स्थापित प्रावधानों का उल्लंघन हुआ और नई आबकारी नीति को नोटिफाइड कर दिया गया जिसका वित्तीय मामलों में बड़ा असर पड़ा। 

 

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