दिशा को न्यायिक हिरासत, कोर्ट ने न्यूज़ चैनलों से कहा- 'सनसनी न फैलाएँ'
दिल्ली हाई कोर्ट ने दिशा रवि मामले में कुछ न्यूज़ चैनलों को सनसनी फैलाने से बचने को कहा है। कोर्ट ने कहा है कि 'आम तौर पर मीडिया इस तरह सनसनीखेज तरीक़े से जानकारी प्रसारित नहीं कर सकता है।' इसने कहा है कि सूचना प्रसारित करते समय 'पर्याप्त संपादकीय नियंत्रण' हो। कोर्ट ने यह टिप्पणी उस मामले में की जिसमें दिशा ने आरोप लगाया है कि उनकी निजी बातचीत को तीन न्यूज़ चैनल प्रसारित कर रहे हैं यानी वे निजता के अधिकार का उल्लंघन कर रहे हैं। उधर, शुक्रवार को ही पटियाला हाउस कोर्ट ने दिशा रवि को तीन दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।
टूलकिट मामले में गिरफ़्तार दिशा रवि की याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट इंडिया टुडे, टाइम्स नाउ और न्यूज़ 18 न्यूज़ चैनलों के संदर्भ में टिप्पणी कर रहा था। इनको एक दिन पहले ही नोटिस जारी किया गया था। याचिका में पुलिस पर आरोप लगाया गया है कि पुलिस उनकी निजी वाट्सऐप चैट सहित जाँच की सामग्री को मीडिया में लीक कर रही है। हालाँकि, सरकार ने किसी भी सामग्री को लीक करने से इनकार किया है।
दिशा रवि ने याचिका में इंडिया टुडे, टाइम्स नाउ और न्यूज 18 के ख़िलाफ़ टूलकिट मामले में कथित तौर पर नियमों के ख़िलाफ़ और 'एकतरफा' रिपोर्टिंग के लिए कार्रवाई की माँग की है।
इस मामले में उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा, 'निजता का अधिकार, देश की संप्रभुता और अखंडता और बोलने की स्वतंत्रता के अधिकार को संतुलित करने की आवश्यकता है।' अदालत ने मीडिया रिपोर्टों की सत्यता पर संदेह भी जताया क्योंकि इसने यह नोट किया कि दिल्ली पुलिस ने मीडिया हाउसों के साथ किसी भी जानकारी को साझा करने से साफ़ तौर पर इनकार कर दिया है।
‘लाइव लॉ’ की रिपोर्ट के अनुसार अदालत ने अपने आदेश में कहा, 'जबकि एक पत्रकार को अपने स्रोत को बताने के लिए नहीं कहा जा सकता है, लेकिन उसे प्रामाणिक भी होना चाहिए। दिल्ली पुलिस का दावा है कि इसने कुछ भी लीक नहीं किया है जबकि मीडिया इसके विपरीत दावा करता है।'
सुनवाई करने वाली बेंच ने कहा, 'जबकि सामान्य तौर पर प्रेस ब्रीफिंग आयोजित की जाती है तो आम तौर पर मीडिया को इस तरह के सनसनीखेज तरीक़े से जानकारी प्रसारित नहीं करनी चाहिए।' इसने दिशा रवि को भी पुलिस और दूसरे अधिकारियों की छवि नहीं ख़राब करने की हिदायत दी।
कोर्ट ने चैनल के संपादकों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि जाँच प्रभावित नहीं हो, यह सुनिश्चित करने के लिए सूचना प्रसारित करते समय पर्याप्त संपादकीय नियंत्रण का प्रयोग किया जाए।
हालाँकि, बेंच ने इस मामले में चैनलों द्वारा रिपोर्टिंग पर रोक लगाने संबंधी एक अंतरिम स्थगन आदेश को लेकर रवि की ओर से किए गए अनुरोध को ठुकरा दिया।
बता दें कि टूलकिट मामले में दिशा रवि को पिछले रविवार को ही गिरफ़्तार किया गया है। दिशा पर आरोप है कि उन्होंने इस टूलकिट को तैयार करने और इसे सोशल मीडिया पर आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है। दिशा पर राजद्रोह, आपराधिक साज़िश रचने सहित कई गंभीर मुक़दमे दर्ज किए गए हैं। दिल्ली पुलिस ने आरोप लगाया है कि दिशा ने एक वॉट्सऐप ग्रुप भी बनाया था और इस टूलकिट को बनाने में सहयोग किया था।
पुलिस ने आरोप लगाया कि भारत की छवि विश्व स्तर पर धूमिल करने के उद्देश्य से टूलकिट बनाई गई थी। इसे पर्यावरण पर काम करने वाली स्वीडन की कार्यकर्ता ग्रेटा तनबर्ग (थनबर्ग) ने कुछ सप्ताह पहले शेयर भी किया था जिसे बाद में उन्होंने हटा लिया था।
इसके बाद से ही कुछ मीडिया वाट्सऐप मैसेज और जाँच की लीक हुई सामग्री के आधार पर दिशा रवि के मामले में रिपोर्टिंग कर रहे हैं। इसी को लेकर वह कोर्ट पहुँचीं।
दिशा ने पुलिस पर आरोप लगाया गया है कि पुलिस उनकी निजी वाट्सऐप चैट सहित जाँच की सामग्री को मीडिया में लीक कर रही है।
कोर्ट में दिशा रवि ने कहा, 'मीडिया के लिए जाँच सामग्री का लीक करना ग़ैरक़ानूनी है, निजता और सम्मान के अधिकार का उल्लंघन है, और निर्दोषता की धारणा को ख़त्म करते हुए निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार के प्रति पक्षपात करता है। इस प्रकार दिल्ली पुलिस की कार्रवाई भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन करती है।'
इसके लिए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के एक अहम फ़ैसले का ज़िक्र किया। उन्होंने केएस पुट्टास्वामी बनाम भारत संघ के मामले में सर्वोच्च न्यायालय की नौ-न्यायाधीशों की पीठ का हवाला दिया। इस पीठ ने मान्यता दी थी कि एक फ़ोन पर बातचीत एक अंतरंग और गोपनीय प्रकृति की है, और अनुच्छेद 21 के तहत किसी व्यक्ति के गोपनीयता के मौलिक अधिकार के तहत संरक्षित किए जाने का हकदार है।'
उन्होंने यह भी कहा, 'माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने सुब्रमण्यम स्वामी बनाम भारत संघ में मान्यता दी है... कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्रतिष्ठा का अधिकार एक मौलिक अधिकार है।'
दिशा रवि की याचिका का जवाब देते हुए और दिल्ली पुलिस और सूचना और प्रसारण मंत्रालय की ओर से उपस्थित सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उनकी याचिका 'मीडिया का ध्यान आकर्षित करने के लिए' है। उन्होंने आश्वासन दिया कि वह पुलिस की तरफ़ से कोई लीक नहीं होने की बात कहते हुए एक हलफनामा दायर करेंगे।