गंभीर को क्लीन चिट की रिपोर्ट उस कागज के लायक भी नहीं: हाई कोर्ट
कोरोना संकट के दौरान बड़ी मात्रा में फैबीफ्लू दवा खरीदने के मामले में गौतम गंभीर को राहत मिलती नहीं दिख रही है। ड्रग कंट्रोलर विभाग ने जो गंभीर को क्लीन चिट वाली रिपोर्ट दी उस पर हाई कोर्ट की नाराज़गी अप्रत्याशित थी। इसने कह दिया कि क्लीन चिट देने वाली वह रिपोर्ट उस कागज पर लिखे जाने के क़ाबिल नहीं है। कोर्ट ने उसे कचरा क़रार दिया। कोर्ट ने रिपोर्ट को इतना ख़राब माना कि ड्रग कंट्रोलर विभाग को चेता दिया कि अपना काम ठीक से नहीं कर सकता तो क्या निलंबित कर दूसरे को काम सौंप दिया जाए। हाई कोर्ट ने तो यहाँ तक कह दिया कि ड्रग कंट्रोलर विभाग पर उसका विश्वास डगमगा गया है। अदालत ने गंभीर को भी चेताया कि यदि वह ऐसा काम जारी रखने की बात कहते हैं तो कोर्ट को पता है कि उनसे कैसे निपटना है।
दिल्ली हाई कोर्ट की ऐसी टिप्पणियाँ सोमवार को तब आईं जब ड्रग कंट्रोलर विभाग ने बीजेपी सांसद गौतम गंभीर को बड़ी मात्रा में फैबीफ्लू की खरीद के मामले में क्लीन चिट दे दी। हाई कोर्ट ने गंभीर द्वारा दवा की खरीद की जांच के संबंध में दायर ड्रग कंट्रोलर की स्टेटस रिपोर्ट को खारिज कर दिया है। उसने कहा कि हर कोई जानता है कि दवा की आपूर्ति कम थी और गंभीर ने बड़ी मात्रा में दवा खरीदी। कोर्ट ने कहा कि लेकिन जिन लोगों को इसकी ज़रूरत थी उन्हें उस दिन दवा नहीं मिली।
जस्टिस विपिन सांघी और जसमीत सिंह की बेंच ने ड्रग कंट्रोलर की वकील नंदिता राव से कहा, ‘ड्रग कंट्रोलर ग़लत कह रहा है कि दवा की आपूर्ति कम नहीं थी। आप चाहते हैं कि हम अपनी आँखें बंद कर लें।’ अदालत ने कहा, ‘आपको लगता है कि आप इससे बच जाएँगे। अगर आपको लगता है कि हम इतने भोले हैं, तो बता दें कि हम नहीं हैं। बेहतर होगा कि आप अपना काम करें। यदि आप अपना काम नहीं कर सकते हैं, तो हमें बताएँ, हम आपको निलंबित कर देंगे और किसी और को ये काम करने देंगे।’
अदालत ने ड्रग कंट्रोलर विभाग की वकील नंदिता राव से कहा कि विभाग की ऐसी रिपोर्ट से विश्वास डगमगा गया है और यह अब उस पर है कि वह इस विश्वास को बहाल करे।
उच्च न्यायालय ने मीडिया में गंभीर के इस बयान पर भी आपत्ति जताई कि वह इसी तरह का काम करते रहेंगे। अदालत ने कहा कि वह इससे निपटना जानती है।
कोर्ट ने चेताया, ‘हम इस कदाचार को रोकना चाहते हैं। यह एक हानिकारक गतिविधि है। पहले फ़ायदा उठाना और फिर एक उद्धारकर्ता के रूप में प्रकट होने की कोशिश करना जबकि उन्होंने स्वयं समस्या पैदा की, लोगों की इस प्रवृत्ति की निंदा की जानी चाहिए। और फिर, वह व्यक्ति इधर-उधर यह कहते हुए जाता है कि वह इसे फिर से करेगा। यदि वह करता है, तो हम जानते हैं कि इससे कैसे निपटना है।’
बता दें कि हाई कोर्ट दीपक सिंह द्वारा अधिवक्ता विराग गुप्ता के माध्यम से राजनीतिक नेताओं के ख़िलाफ़ दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था। गंभीर के ख़िलाफ़ फैबीफ्लू की जमाखोरी और आप विधायक प्रीति तोमर और प्रवीण कुमार के ख़िलाफ़ मेडिकल ऑक्सीजन सिलेंडर बांटने का आरोप लगाया गया था। हाई कोर्ट ने सोमवार को ड्रग कंट्रोलर द्वारा तोमर को क्लीन चिट देने पर संतोष व्यक्त किया और उनके ख़िलाफ़ कार्यवाही बंद कर दी, जबकि प्रवीण कुमार और गंभीर के ख़िलाफ़ गुरुवार तक नई रिपोर्ट देने को कहा है।
बता दें कि दिल्ली हाई कोर्ट ने ड्रग कंट्रोलर को पिछले महीने इसकी जाँच करने के लिए कहा था कि बीजेपी सांसद गौतम गंभीर ने बड़ी मात्रा में फैबीफ्लू की दवा कैसे पाई।
जब सुनवाई हो रही थी तो कोर्ट ने यह भी साफ़ किया था कि हो सकता है कि गंभीर का इरादा नेक हो लेकिन यह अच्छा व्यवहार नहीं है जब संकट का समय हो और दवा की कमी हो। अदालत ने कहा था, 'हो सकता है कि श्री गौतम गंभीर ने इसे सबसे अच्छे हित में किया होगा। हमारा मुद्दा यह है कि क्या यह एक ज़िम्मेदार व्यवहार है जब सब कुछ कम आपूर्ति में है? क्या उन्हें यह एहसास नहीं होना चाहिए था कि यह दूसरों के लिए कम आपूर्ति में हो जाएगा? इस कारण कई अन्य लोगों को भी भुगतना पड़ा होगा?'
अदालत ने ग़ौर किया था, 'जिस तरह से गंभीर ने किया है उन्होंने अहित किया है। दस अन्य लोग खड़े होंगे और कहेंगे कि हम भी उसी तौर-तरीक़ों को अपनाएँगे। यह तरीक़ा नहीं था।'