कोरोना : दिल्ली-हरियाणा के लाखों बच्चों ने स्कूल छोड़ा
कोरोना के कारण राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और उससे सटे हरियाणा में लाखों बच्चे स्कूल नहीं जा रहे हैं। वे कहाँ हैं और क्या कर रहे हैं, इसकी जानकारी स्कूल प्रशासन को नहीं है।
हरियाणा ने इन बच्चों को 'गायब' क़रार देकर 'अलर्ट' जारी किया तो दिल्ली प्रशासन इन बच्चों के अभिभावकों से संपर्क करने की कोशिश कर रहा है।
क्या है मामला?
इनमें से ज़्यादातर बच्चों के अभिभावक लॉकडाउन में रोज़गार छिनने के बाद फ़ीस नहीं चुका पाए और बच्चों को स्कूल से निकाल लिया तो कुछ बच्चे इसलिए ऑनलाइन क्लास नहीं कर रहे हैं कि उनके पास कंप्यूटर या मोबाइल फ़ोन नहीं है।
'इंडियन एक्सप्रेस' के अनुसार, 12.50 लाख बच्चे नए अकादमिक सत्र शुरू होने के बाद गायब पाए गए, यानी वे स्कूल नहीं गए और स्कूल प्रशासन से कोई संपर्क नहीं किया, स्कूल को उनके बारे में कोई जानकारी नहीं है।
हरियाणा शिक्षा विभाग को निजी स्कूलों ने जो आँकड़े दिए हैं, उनके मुताबिक़, अकादमिक सत्र 2021-22 के दौरान 17.31 लाख बच्चों ने 28 जून तक दाखिला कराया। लेकिन पिछले सत्र में 29.83 लाख बच्चे थे।
हरियाणा में कुल मिला कर 12.50 लाख से ज़्यादा बच्चों ने इस अकादमिक सत्र में स्कूलों में दाखिला नहीं लिया है।
राज्य में कुल 14,500 सरकारी और 8,900 निजी स्कूल हैं।
हरियाणा सरकार के शिक्षा विभाग ने तमाम स्कूलों से कहा है, '12.51 लाख बच्चों ने एमआईएस (मैनेजमेंट इनफॉर्मेशन सिस्टम) को अपडेट नहीं किया है। यह निर्देश दिया जाता है कि इन बच्चों के अभिभावकों से संपर्क किया जाए और उनकी जानकारी अपडेट की जाए।'
निजी स्कूलों का कहना है कि इनमें से कुछ बच्चे पैसे के अभाव में लौट कर स्कूल नहीं आए और कुछ सरकारी स्कूलों में चले गए।
- यह भी समझा जा रहा है कि कुछ बच्चों ने इसलिए नाम नहीं लिखाया कि लॉकडाउन के दौरान ऑनलाइन क्लास ही हो रहे थे और कुछ बच्चों के पास इसके साधन नहीं थे। ऐसे बच्चे ग्रामीण इलाक़ों के होंगे।
- इसके अलावा बड़ी तादाद में बच्चों के अभिभावकों का रोज़गार छिन गया होगा।
- निजी स्कूलों का यह भी मानना है कि कुछ बच्चे सरकारी स्कूलों में चले गए होंगे।
सरकारी स्कूल?
हरियाणा के फ़ेडरेशन ऑफ़ प्राइवेट स्कूल्स वेलफ़ेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा ने 'इंडियन एक्सप्रेस' से कहा कि बग़ैर 'स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट' के कोई किसी नए स्कूल में भर्ती नहीं हो सकता। ऐसे में लगता है कि कुछ सरकारी स्कूलों ने इस नियम का उल्लंघन किया है।
दिल्ली का मामला
दूसरी ओर, दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग का कहना है कि लगभग 20 प्रतिशत छात्रों ने नए सत्र में दाखिला नहीं लिया। दिल्ली के कई निजी स्कूलों ने कहा है कि बड़ी संख्या में बच्चों ने नए सत्र में दाखिला नहीं लिया और उनके बारे में स्कूल प्रशासन को कोई जानकारी नहीं है।
शिक्षा विभाग ने एक तीन सूत्री कार्यक्रम के लिए सूचना जारी किया है। इसमें स्कूलों से कहा गया है कि वे अभिभावकों से संपर्क करें, उन्हें समझाएं-बुझाएं, उन्हें भावनात्मक समर्थन दें और ऐसे बच्चों के लिए एक ब्रिज कोर्स शुरू करें ताकि उनके छूटे हुए क्लास की भरपाई की जा सके।