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दिल्ली सरकार कैसे करेगी दिहाड़ी मज़दूरों की मदद, ज़्यादातर तो पंजीकृत ही नहीं हैं?

दिल्ली सरकार कैसे करेगी दिहाड़ी मज़दूरों की मदद, ज़्यादातर तो पंजीकृत ही नहीं हैं?

दिहाड़ी मज़दूरों को 5 हज़ार रुपए की मदद देने का दिल्ली सरकार का फ़ैसला ठीक से लागू होता नहीं दिख रहा है।

दिहाड़ी मज़दूरों को 5 हज़ार रुपए की मदद देने का दिल्ली सरकार का फ़ैसला ठीक से लागू होता नहीं दिख रहा है। इसकी पूरी आशंका है कि यह घोषणा काग़ज़ के एक हिस्से में ही सिमट कर रह जाए और सारे मज़दूरों तक पैसा नहीं पहुँच पाए। इसकी वजह यह है कि इन दिहाड़ी मज़दूरों की बहुत बड़ी तादाद पंजीकृत नहीं है। जो लोग सरकारी रिकॉर्ड में हैं ही नहीं, उन्हें सरकार कैसे पैसे देगी?

क्यों घट रही है तादाद?

सरकारी रिकॉर्ड में दिल्ली में इन मज़दूरों की तादाद बढ़ने के बजाय लगातार घटी है। 5 साल में यह संख्या घट कर लगभग 15 प्रतिशत रह गई है। इंडियन एक्सप्रेस ने एक ख़बर में कहा है कि साल 2015 में दिल्ली में पंजीकृत दिहाड़ी मज़दूरों की संख्या 3 लाख थी, यह 2020 में घट कर 40 हज़ार हो गई। इस ख़बर के मुताबिक़, दिल्ली के श्रम मंत्री गोपाल राय ने कहा है कि व्यवस्था को पारदर्शी बनाने की कोशिशें की जा रही हैं। 

दिल्ली सरकार ने बुधवार को कहा कि 32,358 दिहाड़ी मजदूरों के लिए पैसे जारी कर दिए गए हैं। दिल्ली सरकार के मुताबिक़ -

‘इन मज़दूरों के खाते में सीधे पैसे डाले जा रहे हैं। कुल पंजीकृत मज़दूरों को 16.18 करोड़ रुपए दिए गए हैं। सरकार 9,000 दूसरे मज़दूरों को भी पैसे देगी। इसके अलावा पैसे उन्हें भी दिए जाएंगे जिनका पंजीकरण लंबित है, लेकिन प्रक्रिया में है। उनके लिए 4.50 करोड़ रुपए जल्द ही जारी किए जाएंगे।’


दिल्ली सरकार का बयान

12 पेज का फ़ॉर्म!

एक व्यवहारिक दिक्क़त यह है कि दिल्ली सरकार ने पंजीकरण की जो प्रक्रिया बीते साल शुरू की, वह बेहद कठिन, जटिल और उलझाने वाली है। मजदूरों को 12 पेज का आवेदन पत्र भरना होता है।

अनपढ़ या कम पढ़े-लिखे मजदूरों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे 12 पेज का काग़ज़ भरें। दूसरी दिक्क़त यह है कि हर साल पंजीकरण का नवीनीकरण कराना होता है और वह प्रक्रिया भी बेहद जटिल है।

इंडियन एक्सप्रेस का कहना है कि बोर्ड के पास 2015 में 3.17 लाख मज़दूर पंजीकृत थे, 2017-18 में यह तादाद घट कर 62,663 पर आ गई। अगले 3 साल में इस संख्या में और कमी आई।

दिल्ली के श्रम मंत्री गोपाल राय ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, ‘निर्माण काम में लगे मज़दूरों का आना-जाना लगा रहता है और क़ानून के अनुसार उनके पंजीकरण का नवीनीकरण भी ज़रूरी है। इस वजह से भी संख्या कम हो जाती है।’

उन्होंने इसके आगे कहा, ‘इस पर यह भी सच है कि कई बार हमें फ़र्जी पंजीकरण की शिकायतें भी मिली हैं। इसलिए जाँच करना और उनका पता लगाना ज़रूरी है। इसलिए हम पूरी प्रक्रिया को ऑनलाइन करने जा रहे हैं। इस पंजीकरण में यूनियनें और दूसरे लोग मज़दूरों की मदद करेंगे।’

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