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दिल्ली के सरकारी स्कूल सुधरे या ख़राब हुए? जानें सर्वे रिपोर्ट 

दिल्ली के सरकारी स्कूल सुधरे या ख़राब हुए? जानें सर्वे रिपोर्ट 

दिल्ली के सरकारी स्कूलों की हालत सुधरी या ख़राब हुई? इस मुद्दे पर आम आदमी पार्टी और बीजेपी उलझ रही हैं, आरोप-प्रत्यारोप लगा रही हैं। लेकिन दिल्ली के लोग क्या मानते हैं?

दिल्ली के सरकारी स्कूलों की स्थिति पर राजनीतिक तूफान मचा है। यह सुर्खियों में इसलिए है कि बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच घमासान मचा है। आम आदमी पार्टी जिसे अपना सर्वश्रेष्ठ काम बताती है उनमें से स्कूल और शिक्षा प्रमुख है। बीजेपी आम आदमी पार्टी के इसी शिक्षा और स्कूलों के हालात पर हमला कर रही है। तो सवाल है कि वास्तव में दिल्ली के सरकारी स्कूलों के हालात क्या हैं?

इस सवाल का जवाब राजनीतिक दलों के आरोप-प्रत्यारोपों से इतर भी मिल सकता है। इनमें से एक बेहतर तरीका सर्वे का है। दिल्ली के स्कूलों को लेकर ऐसा ही सर्वे लोकनीति सीएसडीएस ने हाल ही में किया था। इसमें दिल्ली के स्कूलों के हालात को लेकर सरकारी स्कूलों के छात्रों के अभिभावकों की राय जानी गई थी। सीएसडीएस के संजय कुमार ने इसको लेकर ट्वीट किया है। 

उन्होंने कहा है कि इस साल की शुरुआत में यह सर्वे किया गया था और उसमें कहा गया कि सरकारी स्कूलों के छात्रों के अभिभावकों से यह जाना गया कि पिछले 2-3 साल के दौरान सरकारी स्कूलों की हालत क्या हुई है- सुधरी या बिगड़ी है? 

संजय कुमार ने दावा किया है कि सर्वे में 80 फ़ीसदी अभिभावकों ने कहा कि स्कूलों की हालत सुधरी है, जबकि 7 फ़ीसदी ने कहा कि ख़राब हुई है, 12 फ़ीसदी ने कहा कि कोई बदलाव नहीं आया है और 1 फ़ीसदी लोगों ने कोई राय नहीं दी। 

यह सर्वे इसलिए अहम है कि दिल्ली की शिक्षा और यहाँ के स्कूल को लेकर हाल के दिनों में बीजेपी और आप लड़ रही हैं। दिल्ली सरकार के नए स्कूलों को लेकर बुधवार को आम आदमी पार्टी के नेता सौरभ भारद्वाज और बीजेपी के नेता गौरव भाटिया आमने-सामने आ गए थे। 

गौरव भाटिया ने कहा था कि वह पहले के किए अपने वादे के मुताबिक़, बुधवार सुबह 11 बजे सौरभ भारद्वाज से 500 नए स्कूलों की सूची लेने के लिए कौटिल्य विद्यालय पहुंचे थे। लेकिन बार-बार सूची मांगने पर भी प्रवक्ता ने सूची नहीं दी और दो पुराने बने स्कूलों को अपना बता दिया। भाटिया ने कहा कि आम आदमी पार्टी ने 500 नए स्कूलों को बनाने का वादा किया था लेकिन वास्तव में एक भी स्कूल नहीं बनाया। 

जबकि आम आदमी पार्टी के विधायक सौरभ भारद्वाज ने कहा कि बीजेपी नेता गौरव भारद्वाज इतना डर गए कि वह स्कूल के अंदर जाने तक की हिम्मत नहीं जुटा पाए। विधायक ने कहा कि उन्होंने भाटिया से कहा कि अभी तो 498 स्कूल और देखने हैं चलिए, मगर वे नहीं माने और भाग गए। इस दौरान वहां आसपास खड़े लोगों ने भी नारेबाजी शुरू कर दी और थोड़ी देर में गौरव भाटिया अपनी कार से वापस चले गए।

बीजेपी और आप के बीच स्कूल का मामला तब आया है जब पिछले दिनों सीबीआई दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया के घर छापे मारने पहुँची थी।

इसी को मुद्दा बनाते हुए आम आदमी पार्टी ने विवाद को शिक्षा की तरफ़ मोड़ दिया और कहा कि मनीष सिसोदिया के शिक्षा के क्षेत्र में जबरदस्त काम से बीजेपी को जलन हो रही है। उसने न्यूयॉर्क टाइम्स में दिल्ली की शिक्षा पर छपी ख़बर का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि बीजेपी केजरीवाल सरकार के अच्छे काम से बौखला गई है।

बता दें कि दिल्ली में 'ऑपरेशन लोटस' और आबकारी नीति को लेकर बीजेपी और आम आदमी पार्टी पहले से ही उलझी हुई हैं। दिल्ली में बीजेपी के कुछ सांसदों ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आम आदमी पार्टी के द्वारा उनके विधायकों को 20-20 करोड़ रुपए का ऑफर दिए जाने के आरोपों की जांच की मांग की है। इसके लिए दिल्ली के सभी बीजेपी सांसदों ने उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना को पत्र लिखा है। 

आम आदमी पार्टी ने पिछले कुछ दिनों में लगातार यह आरोप लगाया है कि बीजेपी ने दिल्ली में उसके विधायकों को 20-20 करोड़ का ऑफर देकर खरीदने की कोशिश की थी। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल खुद विधानसभा में विश्वास मत भी ले आए। 

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