दिल्ली में मंकीपॉक्स का पहला मामला मिला
दिल्ली में मंकीपॉक्स वायरस का पहला मामला सामने आया है। यह एक ऐसे मरीज में मिला है, जिसका कोई यात्रा इतिहास नहीं है। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़ मौलाना आज़ाद मेडिकल कॉलेज में भर्ती 31 वर्षीय शख़्स को बुखार और त्वचा पर घाव हैं। ताज़ा रिपोर्ट्स के मुताबिक़, वह शख्स हाल ही में हिमाचल प्रदेश से लौटा था।
यह मामला विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा मंकीपॉक्स को अंतरराष्ट्रीय चिंता का वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित करने के एक दिन बाद आया है। भारत में अभी तक चार मामले सामने आ चुके हैं। इनमें से तीन मामले केरल के हैं। मंकीपॉक्स के लिए देश में सोलह प्रयोगशालाएँ समर्पित हैं, इनमें से केवल दो केरल में हैं।
शनिवार को एक मीडिया ब्रीफिंग में डब्ल्यूएचओ ने जानकारी दी कि 75 देशों से अब तक 16,000 से अधिक मामले और पांच मौतें हो चुकी हैं। संगठन ने सभी देशों से इस बीमारी के ख़िलाफ़ लड़ने का आह्वान किया है। डब्ल्यूएचओ का आकलन है कि मंकीपॉक्स का जोखिम विश्व स्तर पर और सभी क्षेत्रों में अभी धीमा है लेकिन यूरोपीय क्षेत्रों में जोखिम का आकलन बहुत ज़्यादा है। डब्ल्यूएचओ महासचिव डॉ. टेड्रोस अदनोम ने सावधानी बरतने को कहा है।
उन्होंने कहा कि इस बीमारी के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैलने का ख़तरा है। बीमारियाँ इन्फेक्शन के ज़रिए फैल रही हैं, जिसके बारे में हम बहुत कम समझते हैं। इन सभी कारणों से मैंने फ़ैसला किया है कि मंकीपॉक्स के ग्लोबल प्रकोप को देखते हुए इसे पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया जाए। यह घोषणा अंतरराष्ट्रीय चिंताओं को दिखाती है।
मंकीपॉक्स के लक्षण
यह सिरदर्द और बुखार से शुरू होता है। ये सामान्य चीजें हैं जो एक वायरल संक्रमण होने पर शरीर में होती हैं। संक्रमण होने से शरीर की रक्षा प्रणाली काम शुरू करती है और इस वजह से सिरदर्द और बुखार होता है। सिरदर्द और मांसपेशियों में दर्द होता है। फिर, एक या दो सप्ताह के भीतर कुछ लोगों के शरीर पर दाने हो जाते हैं जो फुंसी के रूप में उठ आते हैं। लेकिन जब शरीर की रक्षा प्रणाली पूरी तरह एक्टिव हो जाती है तो वह उस संक्रमण को ख़त्म कर देती है। लेकिन इसके लिए मरीज की अच्छी तरह डॉक्टर की देखभाल की ज़रूरत होती है।
मंकीपॉक्स एक वायरल बीमारी है जिसमें चेचक जैसे लक्षण होते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, यह आमतौर पर दो-चार सप्ताह तक दिखने वाले लक्षणों के साथ एक अपने आप ठीक होने वाली बीमारी है।
मंकीपॉक्स एक संक्रामक बीमारी है जो संक्रमित जानवरों, आमतौर पर रोडेंट से मनुष्यों में फैलती है।
वायरस संक्रमित व्यक्ति या जानवर के निकट संपर्क में आने से लोगों में फैलता है। वायरस को पहली बार 1958 में मैकाक के एक समूह में खोजा गया था, जिसका अध्ययन अनुसंधान उद्देश्यों के लिए किया जा रहा था।
यह आम तौर पर अफ्रीका में उत्पन्न होने वाली एक दुर्लभ बीमारी है। लेकिन कभी कभी अफ्रीका के बाहर भी इसके मामले सामने आए हैं। 2003 में अमेरिका में कम से कम 71 मामले आए थे। तब मंकीपॉक्स किसी यात्री से नहीं फैला था, बल्कि अफ्रीकी देश घाना से आयात किए गए रोडेंट (चूहे) की वजह से फैला था। उन रोडेंट ने तब पालतू कुत्तों को संक्रमित किया, और फिर अमेरिकी लोग संक्रमित हुए।