2018 के ट्वीट मामले में ज़ुबैर को मिली जमानत लेकिन जेल में ही रहेंगे
दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने शुक्रवार को ऑल्ट न्यूज़ के सह संस्थापक और पत्रकार मोहम्मद ज़ुबैर को एक मामले में सशर्त जमानत दे दी है। ज़ुबैर को यह जमानत 2018 में उनके द्वारा किए गए ट्वीट के मामले में दी गई है। इस मामले में सुनवाई के बाद पटियाला हाउस कोर्ट के एडिशनल सेशन जज देवेंद्र कुमार जंगाला ने गुरुवार को आदेश सुरक्षित रख लिया था।
अदालत ने जमानत देने के साथ यह शर्त लगाई है कि बिना न्यायालय की अनुमति के ज़ुबैर देश नहीं छोड़ेंगे। साथ ही 50 हजार रुपये का बांड भरने की शर्त भी अदालत ने लगाई है।
ज़ुबैर ने चीफ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत से जमानत नहीं मिलने के बाद 2 जुलाई को पटियाला हाउस कोर्ट का रुख किया था। ज़ुबैर को इस मामले में दिल्ली पुलिस ने 27 जून को गिरफ्तार किया था और तभी से वह जेल में हैं।
ज़ुबैर के खिलाफ उत्तर प्रदेश के सीतापुर में और लखीमपुर खीरी में भी पुलिस ने मामला दर्ज किया है। सीतापुर में दर्ज मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कुछ दिन पहले ज़ुबैर की अंतरिम जमानत की अवधि को अगले आदेश तक बढ़ा दिया था।
उत्तर प्रदेश पुलिस ने ज़ुबैर के खिलाफ कुल 6 केस दर्ज किए हैं। ज़ुबैर की ओर से सुप्रीम कोर्ट से अपील की गई है कि इन सभी छह केसों को रद्द कर दिया जाए। ज़ुबैर की ओर से इन मामलों की जांच के लिए एसआईटी बनाने की मांग की गई है।
क्या है मामला?
ज़ुबैर ने साल 2018 में एक ट्वीट किया था। इस ट्वीट के खिलाफ किसी गुमनाम ट्विटर यूजर ने दिल्ली पुलिस से शिकायत की थी। हालांकि बाद में यह अकाउंट ट्विटर प्लेटफ़ॉर्म से गायब हो गया था।
ज़ुबैर को दिल्ली पुलिस ने दंगा भड़काने के इरादे से उकसाने और धार्मिक भावनाओं को अपमानित करने के आरोप में गिरफ्तार किया था। ज़ुबैर ने 1983 में बनी एक फिल्म के एक शॉट को 2018 में ट्विटर पर पोस्ट किया था। इसमें एक फोटो थी जिसमें लगे एक बोर्ड पर हनीमून होटल लिखा था और इसे पेंट करने के बाद हनुमान होटल कर दिया गया था।
@balajikijaiin की आईडी वाले ट्विटर अकाउंट से यह शिकायत की गई थी लेकिन अब यह अकाउंट वजूद में नहीं है।
दिल्ली पुलिस ने ज़ुबैर के खिलाफ आपराधिक साजिश रचने और सबूत नष्ट करने के आरोप लगाए थे। इसके अलावा उनके खिलाफ विदेशी चंदा प्राप्त करने के लिए फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट एफसीआरए की धारा 35 भी लगाई गई थी। दिल्ली पुलिस ने कहा था कि ज़ुबैर की कंपनी को पाकिस्तान, सीरिया और अन्य खाड़ी देशों से चंदा मिला है।
क्या है सीतापुर का मामला?
सीतापुर के खैराबाद पुलिस थाने में ज़ुबैर के खिलाफ धार्मिक भावनाएं आहत करने का मुकदमा दर्ज किया गया था। मुकदमे में आरोप लगाया गया था कि मोहम्मद ज़ुबैर ने 3 लोगों- महंत बजरंग मुनि, यति नरसिंहानंद सरस्वती और स्वामी आनंद स्वरूप को नफरत फैलाने वाला करार दिया था।
इस मामले में 27 मई को भगवान शरण नाम के शख्स की ओर से मोहम्मद ज़ुबैर के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई थी। स्थानीय अदालत ने इस मामले में ज़ुबैर को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था।
क्या है लखीमपुर खीरी का मामला?
ज़ुबैर के खिलाफ बीते साल लखीमपुर खीरी के मोहम्मदी पुलिस स्टेशन में एक मुकदमा दर्ज कराया गया था।
स्थानीय अदालत के आदेश पर ही लखीमपुर खीरी में ज़ुबैर के खिलाफ यह मुकदमा पिछले साल दर्ज हुआ था। इस मामले में स्थानीय पत्रकार आशीष कुमार कटियार नाम के शख्स ने ज़ुबैर के खिलाफ ट्विटर पर फर्जी खबर फैलाने का मुकदमा दर्ज कराया था। उसने अपनी शिकायत में कहा था कि ज़ुबैर के ट्वीट से सांप्रदायिक सौहार्द्र खराब हो सकता है।
इसके बाद ज़ुबैर के खिलाफ आईपीसी की धारा 153 ए यानी दो समूहों के बीच नफरत फैलाने के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। इस मामले में बीते सोमवार को लखीमपुर खीरी की एक स्थानीय अदालत ने ज़ुबैर को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था।