सीबीआई से कोर्ट बोला- आकार पटेल के ख़िलाफ़ सर्कुलर वापस ले, माफी मांगे
दिल्ली की एक अदालत ने सीबीआई को झटका दिया है। इसने एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के पूर्व प्रमुख आकार पटेल के ख़िलाफ़ जारी लुक आउट सर्कुलर को तुरंत वापस लेने का सीबीआई को आदेश दिया है। इसके साथ ही इसने सीबीआई निदेशक को आकार पटेल से लिखित में माफी मांगने को कहा है। इसने जोर देकर कहा है कि सुनिश्चित किया जाए कि आदेश की कॉपी सीबीआई निदेशक को मिले। सीबीआई ने विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम यानी एफसीआरए मामले में आकार पटेल के ख़िलाफ़ वह सर्कुलर जारी किया था और विदेश जाने से रोक दिया था।
आकार पटेल ने बुधवार को संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए एक उड़ान में सवार होने से रोके जाने के बाद अदालत का रुख किया था। उन्होंने अदालत से 30 मई, 2022 तक अमेरिका की यात्रा करने की अनुमति मांगी। अब अदालत के फ़ैसला आने के बाद आकार पटेल ने कहा है कि क्या बेतुकी बात है कि एमनेस्टी को मनी लाउंड्रिंग जैसे मामले में अपराध का आरोप लगाया गया है।
The absurdity of accusing amnesty of criminality (of all things money laundering). ask amnesty wallahs how hard it it to get a comma or ampersand passed in a statement. This is a great org that I’m v proud of and honoured to call my community https://t.co/bNevVES6eF
— Aakar Patel (@Aakar__Patel) April 7, 2022
यह मुकदमा केंद्रीय गृह मंत्रालय की शिकायत पर फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेग्युलेशन एक्ट 2010 और भारतीय दंड संहिता के कथित उल्लंघन पर दर्ज किया गया था। सीबीआई ने एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया और इसके 3 सहयोगी संगठनों के ख़िलाफ़ नवंबर 2019 में मुकदमा दर्ज किया था।
गृह मंत्रालय द्वारा दायर शिकायत के अनुसार 'प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के रूप में 10 करोड़ रुपये का भुगतान एमनेस्टी इंडिया को उसके लंदन कार्यालय से भेजा गया था। 26 करोड़ रुपये का एक और ऐसा ही निवेश मुख्य रूप से यूके स्थित संस्थाओं से एमनेस्टी इंडिया को भेजा गया था।'
यह मामला बुधवार को तब फिर से सुर्खियों में आ गया जब आकार पटेल को एयरपोर्ट पर विदेश जाने से रोक दिया गया। इसको लेकर पटेल अदालत में गए। बुधवार को उन्होंने कहा था कि यात्रा के लिए विशेष अनुमति के गुजरात अदालत के आदेश के बावजूद उन्हें यात्रा करने से रोक दिया गया था।
इस मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सीबीआई निदेशक से उन अधिकारियों को भी संवेदनशील बनाने को कहा जो सर्कुलर जारी करने की प्रक्रिया का हिस्सा हैं। राउज एवेन्यू कोर्ट ने आकार पटेल के ख़िलाफ़ एलओसी वापस लेने का आदेश देते हुए कहा, 'आगे उम्मीद है कि इस मामले में संबंधित अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाए।'
सुनिश्चित करें कि आदेश की प्रति सीबीआई निदेशक को मिले
'लाइव लॉ' की रिपोर्ट के अनुसार, अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट पवन कुमार ने कहा कि लुक आउट सर्कुलर यानी एलओसी जारी करना आरोपी के बहुमूल्य अधिकारों पर प्रतिबंध लगाने के लिए जांच एजेंसी का 'जानबूझकर किया गया कार्य' था।
उन्होंने कहा, 'इस मामले में सीबीआई के प्रमुख यानी सीबीआई निदेशक द्वारा अपने अधीनस्थ की ओर से की गई चूक को स्वीकार करते हुए एक लिखित माफी न केवल आवेदक के घावों को भरने में बल्कि प्रमुख एजेंसी में जनता के विश्वास को बनाए रखने में एक बड़ी भूमिका निभाएगी। ...आदेश की एक प्रति अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए सीबीआई निदेशक को भेजी जाए। उम्मीद है कि इस अदालत को आदेश के अनुपालन के बारे में विधिवत अवगत कराया जाएगा।'
स्थानीय अदालत ने अपने 10 पेज के आदेश में कहा है कि यात्रा के अधिकार पर कोई निरंकुश नियंत्रण नहीं हो सकता है और यह संविधान के अनुच्छेद बी 19 और 21 के तहत निहित मौलिक अधिकारों का हिस्सा है।
कहा गया कि संज्ञेय अपराधों में जांच एजेंसी के आवेदन पर सक्षम प्राधिकारी द्वारा एलओसी तभी जारी किया जा सकता है, जब आरोपी एनबीडब्ल्यू और अन्य जबरदस्त उपायों के बावजूद निचली अदालत में जानबूझकर गिरफ्तारी से बच रहा हो और आशंकाएँ हों कि आरोपी मुकदमे या गिरफ्तारी से बच जाएगा।
आकार पटेल के मामले में यह मान्य तथ्य है कि जांच के दौरान वह सीआरपीसी की धारा 160 के तहत जारी नोटिस पर जाँच में शामिल हुए थे। पटेल के ख़िलाफ़ सीआरपीसी की धारा 160 के तहत नोटिस के अलावा कोई अन्य प्रक्रिया या वारंट जारी नहीं किया गया था। यह भी माना गया कि जाँच के बाद आरोपी की गिरफ्तारी के बिना चार्जशीट दाखिल कर दी गई है।
इस तरह न्यायालय ने माना कि मौजूदा मामले में एलओसी दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देशों और संबंधित मंत्रालय के मेमोरेंडम के उल्लंघन में जारी किया गया था।
अदालत ने कहा, 'एलओसी जारी करने के पक्ष में एकमात्र तर्क दिया गया कि यह आशंका है कि वह अभियोजन से बचने के लिए देश छोड़ सकते हैं। सीबीआई के अनुसार एलओसी को आरोपी के उड़ान के जोखिम होने के संदेह में जारी किया गया था... यदि आरोपी के उड़ान का जोखिम था तो उसे जांच के दौरान गिरफ्तार किया गया होगा। सीबीआई के स्टैंड में एक अंतर्निहित विरोधाभास है। एक तरफ सीबीआई का दावा है कि एलओसी जारी किया गया था क्योंकि आवेदक का उड़ान जोखिम था, और इसके विपरीत जांच के दौरान आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया गया था और बिना गिरफ्तारी के आरोप पत्र दायर किया गया था।'
इसके अलावा, अदालत ने कहा कि सीबीआई की ओर से कोई स्पष्टीकरण नहीं आया है कि जाँच के दौरान या आरोप पत्र दाखिल करते समय क्या सावधानी या उपाय किए गए ताकि मुक़दमे के दौरान आरोपी की उपस्थिति सुनिश्चित हो सके।
पटेल ने आरोप लगाया है कि उनकी किताबें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना करती हैं और शायद यही कारण है कि उन्हें विदेशों में व्याख्यान में बोलने से रोका जा रहा है। उन्होंने ट्विटर पर कहा था, ''प्राइस ऑफ़ मोदी इयर्स' नवंबर 2021 में प्रकाशित हुई थी। अगले महीने लुक आउट सर्कुलर जारी हो गया।'