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दिल्ली में छठ पर रोक को कांग्रेस, बीजेपी बना रही हैं मुद्दा, क्या करेगी 'आप'?

दिल्ली में छठ पर रोक को कांग्रेस, बीजेपी बना रही हैं मुद्दा, क्या करेगी 'आप'?

दिल्ली में छठ के सार्वजनिक आयोजन पर रोक लगाए जाने को कांग्रेस और बीजेपी एक बड़ा मुद्दा बना रही है। क्या करेगी आम आदमी पार्टी?

बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में बेहद लोकप्रिय और लोक आस्था के प्रतीक छठ उत्सव पर राजधानी दिल्ली में राजनीति शुरू हो गई है। 

कांग्रेस के एक सांसद ने माँग की है कि दिल्ली सरकार सार्वजनिक रूप से छठ मनाने पर रोक लगाने के अपने फ़ैसले पर पुनर्विचार करे। आम आदमी पार्टी इस मामले में फूंक फूंक कर कदम रख रही है।

दिल्ली में नगर निगम के चुनाव के छह महीने ही बचे है। ऐसे में कोई राजनीतिक दल स्थानीय मतदाताओं को किसी तरह नाराज़ करना नहीं चाहता है। 

क्या है विवाद?

डेल्ही डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (डीडीएमए) ने कोरोना प्रोटोकॉल के मद्देनज़र 30 सितंबर को एक आदेश जारी किया। उसने इसमें कोरोना प्रोटोकॉल में कुछ छूट दिए। इसके तहत सोशल डिस्टैंसिंग समेत कई शर्तों के साथ दशहरा और रामलीला करने की छूट दी गई।

लेकिन छठ पूजा के सार्वजनिक उत्सव पर रोक लगा दी गई। यह कहा गया कि तालाब, नदी, झील या मंदिर में छठ पूजा का आयोजन न किया जाए।

छठ पूजा के सार्वनजिक आयोजन पर  लगातार दूसरे साल दिल्ली में रोक लगाई गई है। 

लेकिन इसमें दिक्क़त यह है रामलीला व दशहरा पर रोक नहीं लगाए जाने से पूर्वांचल के लोगों के बीच ग़लत संकेत जा सकता है। उन्हें भेदभाव करने का आरोप लगाने का मौका मिल सकता है। 

दिल्ली के नरेला स्थित छठ पूजा सोसाइटी के विनीत कुमार ने 'इंडिया टुडे' से कहा, 

यदि रामलीला की अनुमति दी जा सकती है, दिल्ली में सोशल डिस्टैंसिंग के साथ दशहरा हो सकता है तो छठ क्यों नहीं?


विनीत कुमार, अध्यक्ष, नरेला छठ पूजा समिति

क्या कहना है आयोजकों का?

विनीत कुमार का दावा है कि आयोजन समिति ने लोगों के बीच जाकर कोरोना और सोशल डिस्टैंसिंग से जुड़ी जागरुकता अभियान शुरू कर दिया है। उनका कहना है कि अभी डेढ़ महीने का समय है और इस बीच सबका टीकाकरण पूरा किया जा सकता है और लोगों को जागरूक बनाया जा सकता है।

उनका यह भी कहना है कि यह सुनिश्चित किया जाएगा कि जो लोग कोरोना टीकाकरण का सर्टिफिकेट नहीं दिखा पाएंगे, उन्हें आयोजन स्थल पर नहीं जाने दिया जाएगा।

दिल्ली के आईटीओ के पास के एक छठ पूजा आयोजन समिति के शिव राम पांडेय ने भी यह सवाल उठाया कि रामलीला और दशहरा को अनुमति दी जा सकती है तो छठ को क्यों नहीं।

राजधानी दिल्ली और उसके आसपास के इलाक़ों में पूर्वांचल के लोगों की तादाद लगभग 30 प्रतिशत है। छह महीने बाद नगर निगम का चुनाव है। ऐसे में कोई दल नहीं चाहेगा कि ये मतदाता नाराज़ हों।

कांग्रेस सांसद महाबल मिश्रा ने कहा, "यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि डीडीएमए ने छठ पूजा पर प्रतिबंध लगा दिया है। छठ पूर्वांचल के लोगों के लिए सिर्फ धर्म ही नहीं, उनकी संस्कृति का भी प्रतीक है।"

बीजेपी के मनोज तिवारी ने छठ पूजा आयोजन समिति के लोगों की एक बैठक आयोजित की और ज़ोर देकर कहा कि इसका विरोध किया जाएगा।

आम आदमी पार्टी का सांसत में होना स्वाभाविक है। यह देखना होगा कि वह इस मामले को कैसे संभालती है।

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