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दिल्ली एयरपोर्टः संसाधन नहीं बढ़ेंगे तो फिश मार्केट ही बनेगा

दिल्ली एयरपोर्टः संसाधन नहीं बढ़ेंगे तो फिश मार्केट ही बनेगा

दिल्ली एयरपोर्ट बढ़ती भीड़ के कारण चर्चा में है। लोग इसे फिश मार्केट कहने लगे हैं। हकीकत भी यही है कि वक्त के साथ इस एयरपोर्ट पर संसाधन नहीं बढ़े। हर कोई अपनी जिम्मेदारी से भाग रहा है। जानिए एक शानदार एयरपोर्ट के मछली बाजार में तब्दील होने की कहानीः

दिल्ली एयरपोर्ट पर अव्यवस्था और भीड़ के हालात बदलने को तैयार नहीं है। शनिवार को नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने जोरशोर से घोषणा की थी कि वो एक्शन प्लान लागू करने जा रहा है, जिसके बाद हालत सुधरेंगे लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। हालात जस के तस हैं। डोमेस्टिक फ्लाइट पकड़ने के लिए आपको साढ़े तीन घंटे और इंटरनेशनल फ्लाइट पकड़ने के लिए आपको चार घंटे पहले दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पहुंचना पड़ेगा। हालात के मद्देनजर अब एक संसदीय समिति ने कल 15 दिसंबर को डायल के सीईओ को तलब किया है। डायल दिल्ली एयरपोर्ट का संचालन करता है।

इंडिगो एयरलाइंस ने हाल ही में अपने पैसेंजरों को एडवाइजरी जारी की डोमेस्टिक फ्लाइट पकड़ने के लिए साढ़े तीन घंटे पहले एयरपोर्ट आएं। दिल्ली से लखनऊ की फ्लाइट एक घंटे में पहुंच जाती है लेकिन उसके लिए एक पैसेंजर को साढ़े चार-पांच घंटे खर्च करने होते हैं। दिल्ली से लखनऊ शताब्दी एक्सप्रेस 6 घंटे में पहुंचा देती है। हालांकि दोनों यात्राओं की कोई तुलना नहीं है। लेकिन लोगों का समय कीमती है। यात्रा के दोनों ही माध्यमों की तुलना नहीं हो सकती। लेकिन दिल्ली एयरपोर्ट पर बने मछली बाजार के बाद लोगों की यही धारणा बनी।

सोमवार को नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया अचानक दिल्ली एयरपोर्ट खुद इस मछली बाजार को देखने पहुंचे। उन्होंने खुद देखा कि दिल्ली एयरपोर्ट पर तमाम एयरलाइंस के कियोस्क खाली हैं। सुरक्षा उपकरण नाकाफी हैं। बहरहाल, मंत्री मीडिया को साथ लेकर गए थे। उनकी कवरेज हो गई। अगले दिन यानी कल मंगलवार को मंत्रालय ने तमाम निर्देश एयरलाइंस को दिए। लेकिन इन सब कवायद के नतीजे शून्य हैं। आज बुधवार 14 दिसंबर को भी दिल्ली एयरपोर्ट पर हालात में सुधार नहीं है।

बहरहाल, एक संसदीय समिति ने इस मुद्दे पर विचार शुरू कर दिया है। सांसद विजयसाई रेड्डी की अध्यक्षता वाले पैनल ने 15 दिसंबर को एयरपोर्ट ऑपरेटर डायल के सीईओ विदेह कुमार जयपुरियार को बातचीत के लिए बुलाया है। संसद की यह समिति परिवहन, पर्यटन और संस्कृति पर विचार के लिए बनी है।विजय साई रेड्डी ने कहा कि 15 दिसंबर को होने वाली बैठक का मुद्दा ही एयरपोर्ट पर भीड़भाड़ का है।

संसदीय समिति की इस पहल के पीछे हालांकि कुछ और भी वजहें हैं। इस समय संसद का शीतकालीन अधिवेशन चल रहा है। जो लंबा चलेगा। दक्षिण भारत के तमाम सांसदों को फ्लाइट के जरिए ही आना-जाना होता है। उन्होंने थोक में सरकार और स्पीकर ओम बिड़ला से शिकायत की है कि एयरपोर्ट पर भीड़ के कारण उन्हें आने-जाने में दिक्कत हो रही है। हालांकि देश के सबसे बड़े हवाईअड्डे आईजीआई एयरपोर्ट पर लंबी कतार और प्रतीक्षा के घंटों को लेकर यात्रियों की शिकायतें ज्यादा हैं। सोशल मीडिया पर यह गुस्सा सामने आ चुका है। जहां लोगों ने इस एयरपोर्ट को फिश मार्केट नाम दे दिया है।

टर्मिनल 3 की मुसीबतें

IGIA के तीन टर्मिनल हैं - T1, T2 और T3। सभी अंतरराष्ट्रीय उड़ानें और कुछ डोमेस्टिक एयरलाइंस T3 से ऑपरेट होती हैं। औसतन, यह एयरपोर्ट लगभग 1.90 लाख यात्रियों और रोजाना लगभग 1,200 उड़ानों को संभालता है।

द हिन्दू की एक रिपोर्ट के मुताबिक नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो (बीसीएएस) के एक शीर्ष अधिकारी का कहना है कि आईजीआई टी 3 के सुरक्षा उकरण "समय के साथ जाम हो गए हैं" और फ्लाइट्स और यात्रियों के बढ़ने के साथ तालमेल बनाए रखने में नाकाम रहा है।

बीसीएएस के इस अधिकारी ने कहा कि सुरक्षा उपकरण प्रति घंटे यात्रियों की एक निश्चित संख्या को ही झेल सकते हैं। इसलिए अगर एयरपोर्ट फ्लाइट्स बढ़ाने का फैसला करता है, तो उसे अपने सुरक्षा उपकरण भी बढ़ाने होंगे। लेकिन समय के साथ यह बढ़ोतरी स्थिर है, जबकि यात्रियों की संख्या में वृद्धि हो रही है।

यह सच है कि एयरपोर्ट पर चाय और कॉफी की दुकानें तो बढ़ गई हैं लेकिन सुरक्षा उपकरण अभी भी सीमित संख्या में हैं।

द हिन्दू के मुताबिक पीक ऑवर्स के दौरान आईजीआई एयरपोर्ट के टर्मिनल 3 से प्रति घंटे की औसत उड़ानें 19 से 21 के बीच होती हैं, जबकि अधिकारियों का कहना है कि वर्तमान में उपलब्ध 13 एक्स-रे मशीनें प्रति घंटे केवल 15 उड़ानों तक यात्रियों को संभाल सकती हैं।

अभी नवंबर में बीसीएएस ने दिल्ली हवाई अड्डे पर सुरक्षा व्यवस्था और यात्री ट्रैफिक का आकलन किया था। उससे पता चलता है कि मेन गेट, चेक इन डेस्क और फ्लाइट लेने से पहले सुरक्षा जांच का क्षेत्र इतना अधिक है कि यात्रियों की फ्लाइट छूट जाती है। इस वजह से हवाईअड्डे के अंदर कई बार यात्री परेशान होकर झगड़ा कर बैठते हैं। इस तरह के झगड़े बढ़ते ही जा रहे हैं। इस मामले में आईजीआई एयरपोर्ट का टर्मिनल 3 सबसे ज्यादा प्रभावित है। यही वजह है कि इंडिगो ने अपने यात्रियों को घरेलू उड़ानों से 3.5 घंटे पहले एयरपोर्ट पहुंचने की सलाह दी है।

 - Satya Hindi

केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया सोमवार को दिल्ली एयरपोर्ट पर पहुंचे थे।

हालांकि मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के दौरे के बाद मंत्रालय ने कहा है की कि एयरपोर्ट पर एक्स-रे मशीनों को 13 से बढ़ाकर 16 और बाद में 20 कर दिया जाएगा। एक लाउंज तीन अतिरिक्त मशीनों को तैनात करने के लिए बनाया जा रहा है। कल मंगलवार को मंत्रालय ने एयरलाइनों से यह भी कहा कि उनके सभी चेक-इन काउंटरों पर पर्याप्त कर्मचारी हों। सुरक्षा मशीनें जैसे डोर फ्रेम मेटल डिटेक्टर और एक्स-रे-कम-ऑटोमैटिक ट्रे रिट्रीवल सिस्टम हवाई अड्डे के संचालकों द्वारा खरीदे और स्थापित किए जाते हैं। सीआईएसएफ इन उपकरणों पर अपने जवानों को तैनात करता है। इन पर होने वाला खर्च एयरपोर्ट ऑपरेटर को उठाना होता है। सीआईएसएफ की तैनाती पर होने वाले खर्च को फ्लाइट किराए के जरिए वसूल कर फंड किया जाता है।

एयरपोर्ट पर अभी दैनिक यात्रियों की संख्या 1,95,000 (तीनों टर्मिनलों को मिलाकर) तक पहुंच है। दिसंबर 2019 में प्रति दिन यह संख्या औसतन 59,529 यात्री थी। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस हवाईअड्डे से दिसंबर 2019 में 17.85 लाख यात्रियों ने उड़ान भरी। जिसमें 4.27 लाख घरेलू हवाई यात्री थे।

बीसीएएस के साथ-साथ सीआईएसएफ भी चाहता है कि टर्मिनल 3 पर पीक ऑवर्स में उड़ानों की "बंचिंग" रोकी जाए या उन्हें युक्तिसंगत बनाया जाए। द हिन्दू के मुताबिक सीआईएसएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, सुबह प्रति घंटे 21 उड़ानें जाती हैं, जबकि हमारे पास सिर्फ 15 उड़ानों को पूरा करने के लिए बुनियादी ढांचा है। हर एक्स-रे मशीन में प्रति घंटे 275 ट्रे तक झेलने की क्षमता है, और यह अनुमान है कि हर यात्री औसतन 1.5 ट्रे जगह लेता है, यानी प्रति घंटे लगभग 210 यात्रियों को ही निकाला जा सकता है। अधिकारी ने बताया कि 13 मशीनों के साथ, प्रति घंटे केवल 2,730 यात्रियों को निकाला जा सकता है। यह संख्या 180 यात्री सीटों वाले 15 घरेलू विमानों की बैठने की क्षमता के बराबर है।

इस तरह बहुत साफ है कि दिल्ली एयरपोर्ट पर ज्यादा सुरक्षा उपकरणों और ज्यादा प्रतीक्षा लाउंज को बढ़ाए बिना यह काम संभव नहीं है। यात्री जो टिकट खरीदते हैं, उनसे इन सुविधाओं के नाम पर ठीकठाक एयरपोर्ट फीस वसूली जाती है। इसमें साल दर साल बढ़ोतरी हो रही है। लेकिन उस हिसाब से सुविधाएं नहीं बढ़ाई जा रही हैं। जाहिर है कि इसके लिए कहीं न कहीं डायल द्वारा खड़ा किया गया इन्फ्रास्ट्रक्चर और उस तरफ से सरकार द्वारा आंख मूंदने की वजह से दिल्ली एयरपोर्ट मछली बाजार बना हुआ है।

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