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अंधाधुंध गिरफ्तारियों पर सुप्रीम टिप्पणी के बाद कांग्रेस का बीजेपी पर हमला क्यों?

अंधाधुंध गिरफ्तारियों पर सुप्रीम टिप्पणी के बाद कांग्रेस का बीजेपी पर हमला क्यों?

सुप्रीम कोर्ट ने सीआरपीसी की धारा 41 और 41 ए को लेकर तीखी टिप्पणियां कीं। देश में कांग्रेस ने इस पर बहस की शुरुआत कर दी है और बीजेपी पर हमला बोला है। लेकिन बीजेपी इस मामले में चुप रहने को क्यों मजबूर है।

सुप्रीम कोर्ट ने दो दिन पहले सीआरपीसी 41 और 41 में हो रही अंधाधुंध गिरफ्तारियों पर सख्त टिप्पणियां की थीं। उस पर देश में बहस हो रही है। कांग्रेस समेत तमाम पार्टियां अदालत की टिप्पणियों का समर्थन कर रही हैं लेकिन बीजेपी ने चुप्पी साधी हुई है। कांग्रेस ने इस मुद्दे पर केंद्र और बीजेपी शासित राज्यों को निशाने पर लिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सीआरपीसी की धारा 41 और 41 ए का दुरुपयोग अगर हुआ तो संबंधित पुलिस अफसरों पर कार्रवाई होगी। अदालत ने 2014 में अर्नेश कुमार फैसले की गाइडलाइंस को हूबहू लागू करने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा था कि देश में अंडर ट्रायल की जो तादाद बढ़ रही है, उसकी वजह यही है कि इन दोनों धाराओं के तहत गैर जरूरी गिरफ्तारियां अंधाधुंध की जा रही हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से नया जमानत कानून बनाने को भी कहा था।

कांग्रेस ने इस पर बहस की शुरुआत करते हुए कहा कि संकेत दिया कि कांग्रेस शासित राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पूरी तरह पालन कराया जाएगा। इस कानून का दुरुपयोग रोका जाएगा। साथ ही जो भी संशोधन होंगे, उसे पूरी सच्ची भावना के साथ लागू किया जाएगा। इस संबंध में पुलिस अफसरों को भी सीख दी जाएगी।

कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ बीजेपी भय और नियंत्रण के जरिए शासन करने की कोशिश कर रही है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियां एक "बहुत आवश्यक मार्गदर्शन" हैं। 

हमने देखा है कि पिछले 7 वर्षों में, तुच्छ आधारों पर उल्टी-सीधी कार्रवाई की गई है। राजद्रोह, यूएपीए आदि जैसे अनुपयुक्त प्रावधान बीजेपी शासित केंद्र और राज्यों की सरकारों ने लागू किए। केंद्र और कई राज्यों में सत्तारूढ़ दल की सरकारों ने इस मामले में सबसे अधिक बार चूक की।


-कांग्रेस की टिप्पणी, सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर

कांग्रेस ने कहा अक्सर केंद्र और बीजेपी शासित राज्य सरकारें कानूनी प्रावधानों के दुरुपयोग के बारे में पूरी तरह से अवगत होती हैं जिसमें वे शामिल होती हैं लेकिन समान रूप से इस सिद्धांत को लागू करती हैं। इस संबंध में समस्या तब बढ़ जाती है जब अदालतें जमानत देने में हिचकिचाती हैं।

कांग्रेस प्रवक्ता और जाने-माने वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि कांग्रेस शासित राज्य, निश्चित रूप से, अपने खुद की विधायिकाओं और संवैधानिक प्रावधानों के अधीन जमानत कानून को उदार बनाएंगे। वे इस संबंध में सभी जरूरी निर्देश सभी एजेंसियों को जारी करेंगे। कांग्रेस शासित राज्यों में पुलिस अधिकारियों को भी इस संबंध में निर्देश दिए जाएंगे।  

सिंघवी ने केंद्र सरकार पर न्यायपालिका को डराने, उसके कामकाज में दखल देने और उसके फैसलों को प्रभावित करने का भी आरोप लगाया। बीजेपी समान रूप से न्यायपालिका को नष्ट करने की होड़ में है। इसने हाईकोर्टों और सुप्रीम कोर्ट में न्यायिक नियुक्ति के प्रस्तावों में अत्यधिक लेकिन चुनिंदा रूप से देरी की है। जस्टिस अकील कुरैशी ऐसे कई नामों में से केवल एक हैं। जिनके साथ भेदभाव किया गया।

बीजेपी चुप क्यों

सीआरपीसी पर सुप्रीम कोर्ट की इतनी बड़ी टिप्पणी के बावजूद बीजेपी चुप है। उसने किसी तरह की कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। जबकि कांग्रेस हमलावर हो गई है। दरअसल, अदालत ने अंडर ट्रायल कैदियों के बढ़ने की जो बात कही है, वो कहीं न कहीं बीजेपी शासित राज्यों पर अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ रही है। क्योंकि यूपी, एमपी, गुजरात, हरियाणा आदि में तमाम बेगुनाहों की अंधाधुंध गिरफ्तारियां हुई हैं। किसी ने बीजेपी नेताओं के खिलाफ ट्वीट भी किया है तो उसे गिरफ्तार कर लिया गया है। ऐसे मामलों की भरमार है। 

हाल ही में बीजेपी नेता नूपुर शर्मा को लेकर अदालत की जो टिप्पणी आई थी, उस पर बीजेपी नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी। उसी के बाद यह सवाल उठा है कि बीजेपी न्यायपालिका पर हमले कर रही है। इसी तरह तीस्ता सीतलवाड़ और पत्रकार मोहम्मद जुबैर के मामले में भी बीजेपी विवाद के केंद्र में आई है। खुद न्यायपालिक के पूर्व जज इस पर बंटे हुए नजर आ रहे हैं। इन सभी घटनाक्रम के बीच सीआरपीसी 41 और 41 ए पर अदालत की टिप्पणी आने के बाद बीजेपी पर हमले शुरू हो गए हैं। यह देखना होगा कि बीजेपी इस पर क्या प्रतिक्रिया देती है।

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