हीरानंदानी का विस्फोटक हलफनामा- 'महुआ ने दिया था संसद का लॉगइन पासवर्ड'
महुआ मोइत्रा से जुड़े कथित तौर पर सवाल के बदले पैसे लेने के मामले में अब बड़ा धमाका हुआ है। जिस दर्शन हीरानंदानी को मदद करने का आरोप महुआ मोइत्रा पर लगा है अब उन्होंने ही महुआ के ख़िलाफ़ बड़ा बयान दे दिया है। यानी वह सरकारी गवाह बन गए हैं! हीरानंदानी समूह के सीईओ दर्शन हीरानंदानी ने शपथ पत्र देकर दावा किया है कि महुआ मोइत्रा ने उन्हें अपना संसद लॉगिन और पासवर्ड दिया था ताकि ज़रूरत पड़ने पर वह सीधे सवाल पोस्ट कर सकें। लोकसभा की आचार समिति को दिया गया हीरानंदानी का यह हलफनामा बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे द्वारा लगाए गए आरोप के बाद आया है। हालाँकि इस हलफनामे पर महुआ मोइत्रा ने बड़े सवाल खड़े किए हैं।
महुआ मोइत्रा ने पत्र को एक मजाक बताया है और कहा है कि इस पत्र का मसौदा पीएमओ द्वारा तैयार किया गया और उन्हें इस पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया। महुआ ने यह भी सवाल उठाया है कि यदि ऐसा है तो दर्शन हीरानंदानी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस क्यों नहीं की या आधिकारिक तौर पर इसे ट्विटर पर जारी क्यों नहीं किया? उन्होंने यह भी सवाल उठाया है कि हलफनामा हीरानंदानी समूह के लेटरहेड पर क्यों नहीं है और सादे कागज पर क्यों है?
Jai Ma Durga. pic.twitter.com/Z2JsqOARCR
— Mahua Moitra (@MahuaMoitra) October 19, 2023
महुआ मोइत्रा ने हीरानंदानी के हलफनामे पर और क्या-क्या सवाल खड़े किए हैं, यह जानने से पहले यह जान लें कि महुआ मोइत्रा पर क्या आरोप लगे हैं और हलफनामे में क्या कहा गया है। निशिकांत दुबे ने रविवार को आरोप लगाया था कि महुआ मोइत्रा ने 'संसद में सवाल पूछने' के लिए कारोबारी दर्शन हीरानंदानी से नकदी और उपहार लिए। उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को पत्र लिख कर टीएमसी सांसद को सदन से तत्काल निलंबित करने की मांग की थी।
इन आरोपों के एक दिन बाद ही निशिकांत दुबे ने कहा था कि इसकी जाँच की जाए कि क्या महुआ मोइत्रा ने व्यवसायी को लोकसभा वेबसाइट पर लॉगइन की पहुँच दी थी। उन्होंने इसके लिए केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव और उनके कनिष्ठ मंत्री राजीव चंद्रशेखर को पत्र लिखा। इसी घटनाक्रम के बीच गुरुवार को दर्शन हीरानंदानी का विस्फोटक हलफनामा मीडिया में सामने आ गया।
लोकसभा की आचार समिति को गुरुवार को सौंपे गए और हीरानंदानी समूह की एक टीम द्वारा तीन पेज का हलफनामा प्रेस को जारी किया गया। इसमें दुबई में रहने वाले दर्शन हीरानंदानी ने कहा, 'मोइत्रा ने सोचा कि श्री मोदी पर हमला करने का एकमात्र तरीका गौतम अडानी और उनके समूह पर हमला करना है क्योंकि दोनों समकालीन हैं और वे एक ही राज्य गुजरात से हैं।'
हीरानंदानी ने अपने हलफनामे में कहा, 'सुश्री मोइत्रा ने कुछ सवालों का मसौदा तैयार किया जिसमें अडानी समूह को निशाना बनाकर सरकार को शर्मिंदा करने वाली बातें थीं; वे सवाल जो वह संसद में उठा सकती थीं। उन्होंने सांसद के तौर पर अपनी ईमेल आईडी मेरे साथ साझा की, ताकि मैं उन्हें जानकारी भेज सकूं और वह संसद में सवाल उठा सकें। मैं उनके प्रस्ताव को मान गया।'
हलफनामे में उन्होंने कहा,
“
उन्होंने मुझसे अडानी समूह पर अपने हमलों में उनका समर्थन जारी रखने का अनुरोध किया और मुझे अपना संसद लॉगिन और पासवर्ड दिया ताकि मैं ज़रूरत पड़ने पर सीधे उनकी ओर से सवाल पोस्ट कर सकूं।
दर्शन हीरानंदानी के हलफनामे का अंश
हलफनामा में उन्होंने यह भी दावा किया है कि मोइत्रा को इस प्रयास में पत्रकारों, विपक्षी नेताओं और अडानी समूह के पूर्व कर्मचारियों सहित अन्य लोगों से समर्थन मिला, जिन्होंने उन्हें असत्यापित जानकारी दी। इस संदर्भ में उन्होंने सुचेता दलाल का नाम भी लिया। पत्रकार और मनीलाइफ के प्रबंध संपादक सुचेता दलाल ने एक्स पर एक पोस्ट में आरोपों से इनकार किया है। उन्होंने एक्स पर कहा, '...मैं महुआ मोइत्रा को नहीं जानती - और मुझे लगता है कि वह इसकी पुष्टि कर सकती हैं। उनकी मदद करने का तो सवाल ही नहीं उठता, न ही उन्होंने कभी मुझसे संपर्क कर कोई मदद मांगी!'
हलफनामे में कहा गया है कि जो मांगें की गई थीं उनमें उन्हें महंगी विलासिता की वस्तुएं उपहार में देना, दिल्ली में उनके आधिकारिक रूप से आवंटित बंगले के नवीनीकरण में सहायता करना, यात्रा ख़र्च, छुट्टियों आदि के अलावा भारत के भीतर और विदेशों में उनकी यात्राओं के लिए सहायता करना शामिल था। उन्होंने कहा है कि मैं उन्हें नाराज़ करने का जोखिम नहीं उठा सकता था।
हीरानंदानी के हलफनामे के बाद देर रात को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में मोइत्रा ने दावा किया है, 'उन्हें उनके सभी व्यवसायों को पूरी तरह से बंद करने की धमकी दी गई थी... उनसे कहा गया था कि वे तबाह हो जाएंगे, सीबीआई उन पर छापा मारेगी और सभी सरकारी व्यवसाय बंद हो जाएंगे और सभी पीएसयू बैंकों का वित्तपोषण तुरंत बंद कर दिया जाएगा।'
मोइत्रा ने प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि तीन दिन पहले (16 अक्टूबर) हीरानंदानी समूह ने एक आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा था कि उनके खिलाफ लगाए गए सभी आरोप निराधार थे। उन्होंने बताया, 'आज एक सरकारी गवाह वाला हलफनामा प्रेस में लीक हो गया है... यह हलफनामा एक सफेद कागज के टुकड़े पर है, जिसमें कोई लेटरहेड नहीं है...।'
बता दें कि यह वही अडानी समूह है जिसके ख़िलाफ़ 24 जनवरी की एक रिपोर्ट में यूएस शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी ग्रुप पर स्टॉक में हेरफेर और लेखा धोखाधड़ी का आरोप लगाया था। रिपोर्ट में कहा गया था कि उसने अपनी रिसर्च में अडानी समूह के पूर्व वरिष्ठ अधिकारियों सहित दर्जनों व्यक्तियों से बात की, हजारों दस्तावेजों की जांच की और इसकी जांच के लिए लगभग आधा दर्जन देशों में जाकर साइट का दौरा किया। हालाँकि अडानी समूह ने इन आरोपों का खंडन किया है। इस रिपोर्ट के बाद से अडानी समूह की क़ीमतें शेयर बाज़ार में धड़ाम गिरी हैं। इस मामले के सामने आने के बाद से टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा अडानी के मुद्दे को उठा रही हैं। उन्होंने लगातार इस मुद्दे को उठाया है। संसद से लेकर सोशल मीडिया तक पर।
फरवरी महीने में टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने न केवल अडानी समूह पर गंभीर आरोप लगाए थे, बल्कि सेबी को भी कठघरे में खड़ा कर दिया था। उन्होंने कहा था कि 'सेबी और अडानी के बीच सांठगांठ है। सेबी में उनके रिश्तेदार बैठे हैं, इसलिए उन्होंने अनदेखी की। अडानी ने उनकी मिलीभगत से मनमाने तरीके से सब किया।'