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यूपी: बाराबंकी में बलात्कार के बाद दलित युवती की हत्या

यूपी: बाराबंकी में बलात्कार के बाद दलित युवती की हत्या

उत्तर प्रदेश में दलितों पर हो रही अत्याचार की घटनाओं में एक और घटना जुड़ गई है। यह घटना बाराबंकी में हुई है। 

उत्तर प्रदेश में दलितों पर हो रही अत्याचार की घटनाओं में एक और घटना जुड़ गई है। यह घटना बाराबंकी में हुई है। हाथरस पीड़िता के साथ जिस तरह की हैवानियत हुई थी, वैसा ही इस घटना में भी हुआ है और यहां भी उत्तर प्रदेश पुलिस पर मनमानी करने के आरोप लग रहे हैं। 

परिजनों का कहना है कि उनकी बेटी के साथ बलात्कार किया गया और गला घोटकर हत्या कर दी गई। उनकी बेटी की लाश एक खेत में मिली। उन्होंने कहा है कि बेटी के शरीर पर कपड़े नहीं थे। 

पुलिस ने शुरुआत में सिर्फ़ हत्या का मुक़दमा दर्ज किया था लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट में यह साफ होने के बाद कि पीड़िता के साथ दुष्कर्म हुआ है, उसे आईपीसी की धारा 376 भी जोड़नी पड़ी। परिजनों का कहना है कि उनकी बेटी नाबालिग है जबकि पुलिस का कहना है कि उन्होंने अपनी शिकायत में उसकी उम्र 18 साल से ज़्यादा लिखाई है। हालांकि पुलिस ने कहा है कि इससे जांच पर कोई असर नहीं पड़ेगा। 

पीड़िता के पिता ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ से कहा कि उनकी बेटी खेत में फसल काटने गई थी। उन्होंने कहा कि शाम को 5.30 बजे तक जब वह वापस नहीं लौटी तो चिंता होने पर वह खेत में गए, वहां पहले उन्हें उसकी चप्पलें मिलीं और थोड़ा और आगे जाने पर उसकी लाश। उन्होंने कहा कि पीड़िता चार भाई-बहनों में सबसे बड़ी थी। 

दाह संस्कार कराने की जल्दी 

परिजनों ने पुलिस पर आरोप लगाया है कि उसने दबाव बनाकर उनकी बेटी का जल्दी अंतिम संस्कार करा दिया। पुलिस ने यही काम हाथरस में भी किया था, जहां पर परिजनों के लाख बिलखने के बाद भी रात को ही उनकी बेटी को जला दिया गया था। उसके बाद यही काम बलरामपुर में किया गया और अब इस घटना में भी। तीनों ही जगहों पर पीड़िता दलित समुदाय से हैं और आख़िर पुलिस को दाह संस्कार करने की इतनी जल्दी क्या है, ऐसे में पुलिस पर सवाल उठेंगे ही। 

चित्रकूट में दरिंदगी

चित्रकूट कोतवाली इलाक़े के कैमरहा का पूर्व नाम के गांव में एक दलित नाबालिग लड़की को 8 अक्टूबर को तीन लोगों ने अगवा कर लिया और फिर बलात्कार किया था। हैवानों ने नाबालिग के हाथ-पांव बांधकर उसे एक नर्सरी में फेंक दिया था। यह घटना 8 अक्टूबर को हुई थी। घटना के दौरान नाबालिग शौच के लिए खेतों में गई थी। घटना से दुखी होकर नाबालिग ने आत्महत्या कर ली थी। 

अगस्त में गोरखपुर से दलित उत्पीड़न की एक घटना सामने आई थी, जिसमें एक नाबालिग के साथ दो लोगों ने बलात्कार किया था और हैवानियत की हदें पार करते हुए उसके बदन को सिगरेट से दाग दिया था। इस मामले में अपहरण, सामूहिक बलात्कार और पॉक्सो एक्ट की धाराओं के तहत दोनों अभियुक्तों के ख़िलाफ़ केस दर्ज किया गया था। 

कब तक भागेगी सरकार

उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाओ तो कहा जाएगा कि इसलामिक देशों से 100 करोड़ की फ़ंडिंग सरकार को बदनाम करने के लिए हो रही है, लोग इस तरह की कोरी बकवास पर भरोसा भी कर लें लेकिन आम आदमी की हिफ़ाजत की जिम्मेदारी का काम अगर सरकार नहीं कर पाएगी तो सवाल तो पूछने ही पड़ेंगे। उसमें भी उत्तर प्रदेश में दलित समाज पर हो रहे अत्याचारों की एक अंतहीन सी दास्तां दिखाई देती है। लेकिन सवाल यह है कि योगी सरकार अपनी जिम्मेदारी से कब तक भागेगी। 

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