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नई राजनीतिः कहते हैं कि राहुल का अंदाज-ए-बयां है और

नई राजनीतिः कहते हैं कि राहुल का अंदाज-ए-बयां है और

राहुल गांधी की मोहब्बत की दुकान एक दलित परिवार के घर में भी खुल गई। हाल ही में भाजपा ने राहुल गांधी के आरक्षण के संबंध में दिये गये बयान को लेकर उन्हें दलित विरोधी घोषित करने की कोशिश की थी। लेकिन राहुल ने अपने निराले अंदाज में एक नये वीडियो के जरिये जो जवाब दिया है, वो अलग ही लेवल का मामला है। जानिए पूरी कहानीः

नेता विपक्ष राहुल गांधी ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले एक ऐसी इबारत लिख दी है, जिसकी काट पीएम मोदी, अमित शाह से लेकर आरएसएस तक नहीं कर पाएंगे। महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव की घोषणा कभी भी हो सकती है। राहुल गांधी दो दिन के दौरे पर महाराष्ट्र में थे। महाराष्ट्र में दलित मतदाता 15-16 फीसदी हैं। यह वीडियो महाराष्ट्र के अलावा देशभर के दलितों से संवाद कर रहा है।

राहुल गांधी ने इसी तरह हरियाणा चुनाव के दौरान वहां के बेरोजगार युवकों पर डंकी नाम से वीडियो बनाकर पूरे चुनाव की हवा ही बदल दी थी। उसका असर 5 अक्टूबर को मतदान के दिन साफ दिखाई दिया। राहुल गांधी का संवाद का यह तरीका एकदम नया है। वे समस्याओं के साथ जी रहे लोगों से सीधे संवाद कर रहे हैं, उनके साथ समय बिता रहे हैं, उनका दर्द साझा कर रहे हैं। यह नये किस्म का चुनाव संवाद है। इसके जनक राहुल गांधी ही हैं।

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने सोमवार को एक वीडियो सोशल मीडिया पर साझा किया। वीडियो में वो महाराष्ट्र के कोल्हापुर में एक दलित जोड़े के साथ उनके ही घर में खाने का आनंद लेते और दलित व्यंजनों को खाते देखे जा सकते हैं। लेकिन बीच-बीच में राहुल दलित समुदाय के सामने आ रही चुनौतियों पर सवाल करते, पूछते, जानकारी लेते हुए देखे जा सकते हैं। 

एक्स पर पोस्ट किए गए 6 मिनट के वीडियो में कांग्रेस सांसद राहुल दलित व्यंजनों के बारे में 'दलित किचन ऑफ मराठवाड़ा' के लेखक शाहू पटोले को उत्सुकता से सुनते नजर आ रहे हैं। उन्होंने बैंगन के साथ 'हरभर्याची भाजी' (चने के साग से बनी एक सब्जी) और 'तुअर दाल' तैयार करने में भी हाथ आजमाया।

 - Satya Hindi

कोल्हापुर में सनाडे परिवार के साथ भोजन करते राहुल गांधी

सनाडे परिवार ने राहुल के साथ खुलकर बातचीत में जाति-आधारित भेदभाव और दलित व्यंजनों के महत्व पर अपने अनुभव साझा किए। चर्चा के दौरान, पटोले ने अपनी पुस्तक के बारे में जानकारी साझा की। राहुल गांधी ने दलित व्यंजन और इसके सामाजिक और राजनीतिक महत्व को समझने में काफी दिलचस्पी दिखाई।

उन्होंने साहू पटोले का हवाला देते हुए कहा, ''दलित क्या खाते हैं, यह कोई नहीं जानता।'' उन्होंने पटोले की पुस्तक का उल्लेख करते हुए कहा कि इसका मकसद दलित कैसे खाना पकाते हैं, उसके बारे में बताना है।

राहुल ने कहा- "आज भी, बहुत कम लोग दलित रसोई के बारे में जानते हैं। जैसा कि शाहू पटोले जी ने कहा, 'कोई नहीं जानता कि दलित क्या खाते हैं।' राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ''वे क्या खाते हैं, कैसे पकाते हैं और इसका सामाजिक और राजनीतिक महत्व क्या है, इसके बारे में उत्सुक होकर मैंने अजय तुकाराम सनाडे और अंजना तुकाराम सनाडे के साथ एक दोपहर बिताई।''

उन्होंने आगे लिखा, "पटोले जी और सनाडे परिवार के जाति और भेदभाव के व्यक्तिगत अनुभवों के बारे में बात करते हुए, हमने दलित व्यंजनों के बारे में जागरूकता की कमी और इस संस्कृति के दस्तावेज़ीकरण के महत्व पर चर्चा की।" कांग्रेस सांसद ने रेखांकित किया कि संविधान दलितों को भागीदारी और अधिकार देता है। उन्होंने कहा, "लेकिन समाज में सभी का सच्चा समावेश और समानता तभी संभव होगी जब हर भारतीय अपने दिल में भाईचारे की भावना के साथ प्रयास करेगा।" 

राहुल गांधी का महाराष्ट्र दौरा आगामी विधानसभा चुनाव से पहले हो रहा है, जो इस साल के अंत में होने की संभावना है। गांधी परिवार ने राष्ट्रव्यापी जाति जनगणना की वकालत करते हुए कहा है कि यह सुनिश्चित करेगा कि पिछड़े समुदायों के प्रत्येक व्यक्ति को उनका हक मिलेगा।

राहुल गांधी के दलित किचन में जाने, भोजन बनाने में हाथ बंटाने से पहले राहुल सुल्तानपुर में उस मोची की दुकान पर जाकर बैठे थे, जिसकी अपनी समस्याएं थीं। राहुल कुलियों के बीच गये। राहुल ट्रक ड्राइवरों के बीच गये। वो लोको रेलवे के कर्मचारियों के बीच गये। कर्नाटक में वो गिग वर्करों के बीच गये। राहुल के इस अंदाज की चर्चा सोशल मीडिया पर जबरदस्त है।

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