वैश्विक साहित्य के सितारा लेखक मिलान कुंदेरा का निधन
वैश्विक साहित्य के सितारा लेखक रहे मिलान कुंदेरा का आज फ्रांस की राजधानी पेरिस में निधन हो गया। वह 94 वर्ष के थे। 'द अनबियरेबल लाइटनेस ऑफ बीइंग' उनकी सबसे प्रसिद्ध रचनाओं में से एक है। इसी उपन्यास ने उन्हें वैश्विक स्टार बना दिया। सरकारी चेक टेलीविजन ने बुधवार को ख़बर दी कि चेक मूल के फ्रांसीसी लेखक मिलान कुंदेरा का निधन हो गया है। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार फ्रांस में कुंदेरा के प्रकाशक गैलिमार्ड के एक प्रवक्ता ने कहा कि कुंदेरा 'लंबी बीमारी' से जूझ रहे थे।
चेकोस्लोवाकिया में जन्मे कुंदेरा को एक समय वहाँ की कम्युनिस्ट पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था। कहा जाता है कि उन्होंने तब वहाँ राजनीतिक और रचनात्मक आज़ादी की उम्मीद छोड़ दी थी। इसके बाद उन्होंने फ्रांस में शरण ली थी। बाद में वह फ्रांस के ही नागरिक बन गए और उन्होंने बाक़ी की अपनी पूरी ज़िंदगी वहीं गुजारी।
कुंदेरा की लोकप्रिय पुस्तकों का सिलसिला 'द जोक' से शुरू हुआ। इसे 1967 में प्राग स्प्रिंग के समय प्रशंसा के लिए प्रकाशित किया गया था। फिर सोवियत नेतृत्व वाले सैनिकों के प्रवेश पर कुछ महीने बाद ही उस किताब को प्रतिबंधित कर दिया गया था। चेकोस्लोवाकिया की कम्युनिस्ट सरकार ने उनकी सभी पुस्तकों पर प्रतिबंध लगा दिया था जो 1989 में कम्युनिस्ट सरकार के पतन होने तक जारी रहा। तब उनकी रचनाओं को सिनिकल, कामुक और समाज-विरोधी क़रार दिया जाता था।
वैसे, वह खुद भी कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़े थे। कम्युनिस्टों से जुड़ने की उनकी अपनी कहानी भी काफ़ी रोचक है। हाई स्कूल स्नातक के रूप में कुंदेरा 1948 में उत्साहपूर्वक कम्युनिस्ट पार्टी में शामिल हुए थे। दो साल बाद उन्हें 'शत्रुतापूर्ण सोच और व्यक्तिवादी प्रवृत्ति' के कारण निष्कासित कर दिया गया था। इस वजह से कुंदेरा को फिल्म अकादमी में अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी, जहां उन्होंने संगीत और साहित्य का अध्ययन शुरू किया था।
उन्होंने 1953 में कविता संग्रह 'मैन: ए वाइड गार्डन' से एक लेखक के रूप में अपनी शुरुआत की। इसमें उन्होंने साम्यवादी दृष्टिकोण से ही सही, समाजवादी यथार्थवाद पर विचार किया। बाद में वह कम्युनिस्ट पार्टी में फिर से शामिल हो गए। लेकिन एक बार फिर उन्हें निष्कासित कर दिया गया।
अप्रैल 1929 में जन्मे मिलान कुंदेरा देश निकाला मिलने के बाद 1975 में फ्रांस चले गए थे। क़रीब छह साल बाद यानी 1981 में उनको वहाँ की नागरिकता मिली। कुंदेरा ने चेक तथा फ्रांसीसी दोनों भाषाओं में किताबें लिखी हैं। उन्होंने खुद ही अपनी सभी पुस्तकों को फ्रांसीसी में रूपांतरित कर प्रकाशित कराया। इसी वजह से उनकी फ्रांसिसी पुस्तकों को भी मूल रचना के तौर पर माना जाता है।
कई चेक लोगों ने उन्हें ऐसे व्यक्ति के रूप में देखा जिसने अपने हमवतन लोगों को छोड़ दिया और एक आसान रास्ता अपना लिया। मीडिया रिपोर्टों में कहा जाता है कि चेक लोग 2008 में एक चेक पत्रिका के इस आरोप पर विश्वास करने लगे कि वह अपने छात्र दिनों में एक मुखबिर थे और उन्होंने एक पश्चिमी जासूस को धोखा दिया था। उस एजेंट मिरोस्लाव ड्वोरेसेक ने 14 साल जेल में काटे। हालाँकि, कुंदेरा ने इन आरोपों को खारिज कर दिया था।
कुंदेरा ने हास्य कहानियाँ लिखीं और 1967 में उनका पहला उपन्यास, 'द जोक' प्रकाशित हुआ। जब प्राग स्प्रिंग समाप्त हुआ, तो पुस्तक की सिनिकल, कामुक और समाज-विरोधी कहकर निंदा की गई।
कुंदेरा ने अपना अंतिम उपन्यास, 'द फेस्टिवल ऑफ इनसिग्निफिकेंस' 2015 में पूरा किया। यह उपन्यास 2000 के बाद उनका पहला नया उपन्यास था। अपनी उत्कृष्ट कृति, 'द अनबियरेबल लाइटनेस ऑफ बीइंग' में कुंदेरा ने प्राग स्प्रिंग की पृष्ठभूमि के खिलाफ एक प्रेम त्रिकोण की कहानी बताई है। 1984 में प्रकाशित होने पर इस किताब ने कुंदेरा को एक अंतरराष्ट्रीय साहित्यिक सितारा बना दिया।