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CSDS लोकनीति सर्वेः भाजपा की विपक्ष पर 12% की बढ़त के क्या मायने हैं?

CSDS लोकनीति सर्वेः भाजपा की विपक्ष पर 12% की बढ़त के क्या मायने हैं?

सीएसडीएस लोकनीति सर्वे में कहा गया है कि भाजपा को विपक्षी दलों पर 12 फीसदी की बढ़त इस चुनाव में मिली हुई है। इस आंकड़े को देखे तो लगता है कि भाजपा आसानी से बाजी मारने वाली है। लेकिन ऐसा नहीं है। सीएसडीएस लोकनीति सर्वे ने ही हमें बताया कि लोगों कह रहे हैं कि महंगाई पर सरकार काबू नहीं पा सकी, बेरोजगारी बढ़ रही है, भ्रष्टाचार के लिए सरकार जिम्मेदार है। लोगों पर धार्मिक मुद्दे या अयोध्या हावी नहीं है। ऐसे में यह 12 पर्सेंट की बढ़त भाजपा के लिए कितनी सीटें बढ़ा पाएगी, इसकी भविष्यवाणी मुश्किल है। जानिएः

लोकनीति-सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज (सीएसडीएस) के चुनाव पूर्व सर्वेक्षण के अनुसार, लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा ने विपक्षी इंडिया गठबंधन पर 12% अंकों की बढ़त बना रखी है।

द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, सर्वे के अनुसार, दस में से चार मतदाताओं ने भाजपा का समर्थन किया।


एक तरफ तो भाजपा ने 12 पर्सेंट की महत्वपूर्ण बढ़त बना रखी है, लेकिन कांग्रेस को भी थोड़ा फायदा होने की उम्मीद है यानी कांग्रेस थोड़ा बेहतर प्रदर्शन करेदी, लेकिन उससे भाजपा को कोई बड़ा खतरा पैदा होने की संभावना नहीं है।आधे से अधिक जवाब देने वालों ने भाजपा की 10 साल पुरानी सरकार के प्रदर्शन पर संतुष्टि व्यक्त की, जो मोदी सरकार को एक और मौका देने की दिशा में झुकाव का संकेत देता है।

सर्वे में दावा किया गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 'गारंटी' नारा मतदाताओं के बीच लोकप्रियता हासिल कर रहा है। हालांकि कांग्रेस का दावा है कि राहुल गांधी की गारंटी के मुकाबले मोदी की गारंटी फीकी पड़ गई है। बल्कि मोदी ने जिस तरह से कांग्रेस के घोषणापत्र को मुस्लिम लीग से जोड़ा तो उस वजह से ज्यादा लोगों ने घोषणापत्र पढ़ा और कांग्रेस के प्रति झुकाव दिखाया। 

सीएसडीएस लोकनीति सर्वे में कहा गया है कि भाजपा ने बेशक 12 फीसदी की बढ़त बनाए रखी है लेकिन इसके बावजूद, 2019 की तुलना में मोदी सरकार के कामकाज से लोगों की संतुष्टि में उल्लेखनीय गिरावट आई है। शहरी क्षेत्रों में मोदी के अगले कार्यकाल के लिए कम समर्थन दिखाई दे रहा है। यह बात सीएसडीएस के उस आंकड़े से मेल खाती है, जिसमें कहा गया था कि लोग बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी, रिश्वतखोरी से तंग हैं। उनके सामने अयोध्या, मंदिर कहीं नहीं ठहर रहे हैं।


भाजपा के लिए एक ही राहत की बात है कि पीएम मोदी का व्यक्तित्व एक निर्णायक वजह बना हुआ है, लगभग आधे उत्तरदाताओं ने राहुल गांधी के मुकाबले उन्हें प्रधानमंत्री के रूप में पसंद किया है। भाजपा समर्थकों के लिए अयोध्या में मंदिर ही मोदी की बड़ी उपलब्धि लगती है। हालांकि मोदी के मुकाबले राहुल की स्थिति भी बेहतर हुई है। 

सर्वे की जो महत्वपूर्ण बात है, वो है रोजमर्रा की चीजों की बढ़ती कीमतें, बढ़ती बेरोजगारी मतदाताओं के बीच महत्वपूर्ण चिंताएं हैं, जो मोदी और भाजपा की निरंतर लोकप्रियता पर सवाल उठा रही हैं। उत्तर भारत में जहां उसकी स्थिति बहुत मजबूत है, वहां दक्षिण भारत में सीमित सफलता की उम्मीद भी जताई गई है।

सर्वे के मुताबिक जिन लोकसभा सीटों पर भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला है, वहां कांग्रेस भारी पड़ रही है। लेकिन बहुकोणीय मुकाबले में वोटों का विभाजन दिखता है।


इस चुनाव में जो मुद्दे मोदी और भाजपा बनाना चाह रहे हैं, वो बन नहीं पा रहे हैं।  सीएसडीएस-लोकनीति सर्वे के अनुसार, महंगाई और नौकरी की कमी पर चिंताएं मतदाताओं की भावनाओं पर हावी हैं, आधे से अधिक उत्तरदाताओं ने इन मुद्दों पर चिंता व्यक्त की है। करीब 62 प्रतिशत लोग बेरोजगारी को बहुत बड़ी चुनौती मानते हैं, सिर्फ 12 फीसदी अन्यथा महसूस करते हैं।

ऐसा नहीं है कि नौकरी की चिन्ता किसी खास वर्ग में है। मुस्लिम (67%), OBC हिंदू (63% प्रतिशत), अनुसूचित जनजाति (59%), और उच्च जाति (57%) आदि में भी नौकरी की कमी को लेकर चिन्ता जताई जा रही है। सर्वे में परिवारों पर महंगाई के प्रभाव को रेखांकित किया गया है, 71% उत्तरदाताओं ने आटा, दाल-चावल, खाद्य तेल, सब्जी की कीमतों में वृद्धि की सूचना दी है, जो विशेष रूप से गरीबों और मुस्लिम समुदायों को प्रभावित कर रही है।

लोकनीति-सीएसडीएस सर्वे 2024 में 19 राज्यों के 10,019 लोगों से प्रतिक्रियाएं एकत्र की गईं।

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