पीएम के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाने के लिए दिल्ली पुलिस के पास पहुंची सीपीआई (एम)
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) यानी सीपीआई (एम) की नेता वृंदा करात और पुष्पिंदर सिंह ग्रेवाल सोमवार को दिल्ली के मंदिर मार्ग पुलिस स्टेशन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाने के लिए पहुंचे थे।
हालांकि मंदिर मार्ग पुलिस स्टेशन ने पीएम के खिलाफ उनकी शिकायत को लेने से इंकार कर दिया। इसके बाद उन्होंने अपनी शिकायत को दिल्ली के पुलिस आयुक्त के पास भेजी है।
सीपीआई (एम) ने सोमवार को कहा कि उसने राजस्थान में "संपत्ति के वितरण" संबंधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टिप्पणी के खिलाफ दिल्ली पुलिस आयुक्त को एक शिकायत भेजी है। उसने कहा है कि दिल्ली के स्थानीय पुलिस स्टेशन के अधिकारियों ने उसकी शिकायत को दर्ज करने से इंकार कर दिया था।
इसको लेकर जारी एक बयान में पार्टी ने कहा है कि सीपीआई (एम) नेता बृंदा करात और पुष्पिंदर सिंह ग्रेवाल ने पीएम मोदी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने के लिए मंदिर मार्ग एसएचओ से संपर्क किया था। पुलिस स्टेशन ने जब शिकायत स्वीकार करने से इनकार कर दिया तब शिकायत को दिल्ली के पुलिस आयुक्त को भेज दिया गया है।
सीपीएम नेता वृंदा करात और पुष्पिंदर सिंह ग्रेवाल ने इस शिकायत में मंदिर मार्ग पुलिस स्टेशन के एसएचओ को संबोधित करते हुए लिखा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बयान समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देने वाला है जो कि कि राष्ट्रीय एकता के लिए भी हानिकारक है।
वृंदा करात और पुष्पिंदर सिंह ग्रेवाल ने लिखा है कि हम प्रधानमंत्री द्वारा कहे गए कथनों के संबंध में शिकायत करने के लिए लिख रहे हैं। हमारा मानना है कि नरेंद्र मोदी आईपीसी की धारा 153ए/153बी/298/504/505 के तहत नफरत फैलाने वाला भाषण देते हैं।
21अप्रैल 2024 को राजस्थान के बांसवाड़ा में एक चुनावी रैली के दौरान दिए गए भाषण में, पीएम नरेंद्र मोदी ने जानबूझकर और रणनीतिक रूप से मुस्लिम विरोधी हथकंडों का इस्तेमाल किया ताकि हिंदू समुदाय को यह आभास कराया जा सके कि उनकी संपत्ति खतरे में है।
घृणास्पद भाषण का उपयोग करके वोट के लिए अपील करना पूरी तरह से अवैध है।सीपीआई (एम) नेताओं ने अपनी इस शिकायत में कहा कि उनका मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिया गया बयान भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के तहत नफरत फैलाने वाला भाषण है।
शिकायत में पीएम के भाषण का जिक्र
इस शिकायत वाले पत्र में वृंदा करात और पुष्पिंदर सिंह ग्रेवाल ने पीएम के भाषणों को लेकर लिखा है कि, “उन्होंने कहा है कि,अगर कांग्रेस की सरकार बनेगी तो हर एक की प्रॉपर्टी का सर्वे किया जाएगा। हमारी बहनों के पास सोना कितना है, उसकी जाँच की जाएगी उसका हिसाब लगाया जाएगा।हमारे आदिवासी परिवारों में चाँदी होता है, सिल्वर कितना है उसका हिसाब लगाया जाएगा। सरकारी मुलाजिमों के पास कितना जगह है,.... इतना ही नहीं, आगे क्या कहा है, यह जो गोल्ड है बहनों का और और जो सम्पत्ति है यह सबको समान रूप से वितरित कर दी जाएगी। क्या यह आपको मंजूर है क्या?
आपकी सम्पत्ति सरकार को ऐंठने का अधिकार है क्या? क्या आपकी सम्पत्ति को, आपने मेहनत करके कमाई हुई सम्पति को सरकार को ऐंठने का अधिकार है क्या। क्या उसस सम्पत्ति को, मेरी माताओं बहनों की जिंदगी में, सोना वह सिर्फ शो करने के लिए नहीं होता है उसके स्वाभिमान से जुड़ा हुआ है।
उसका मंगलसूत्र, वह एक सोने की कीमत का मुद्दा नहीं है, उसके जीवन के सपनों से जुड़ा हुआ है। तुम उससे छीनने की बात कार रहे हो अपने मैनिफेस्टो में?
गोल्ड ले लेंगे और सब वितरित कर देंगे और पहले जब उनकी सरकार थी उन्होंने कहा था कि देश की सम्पत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है। इसका मतलब किसको बाटेंगे? जिनके ज़्यादा बच्चें हैं उनको बाटेंगे। घुसपैठियों को बाटेंगे।
क्या आपकी मेहनत की कमाई का पैसा घुसपैठियों को दिया जाएगा? आपको मंजूर है यह? यह कांग्रिस का मैनिफेस्टो कह रहा है कि वह माताओं और बहनों के सोने का हिसाब करेंगे, उसकी जड़ती करेंगे जानकारी लेंगे और फिर उस सम्पत्ति को बांट देंगे और उनको बाटेंगे जिनको मनमोहन सिंह जी की सरकार ने कहा था कि सम्पत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानो का है। भाइयों और बहनों, यह अर्बन नक्सल की सोच, मेरी माताओं और बहनों, यह आपका मंगलसूत्र भी नहीं बचने देंगे, यहाँ तक जाएँगे मैं कह रहा हूँ।"