गौरक्षा आतंकवादः आर्यन मिश्रा की हत्या की कहानी कैसे उलझी, पुलिस बोली 'सबूत नहीं'
12वीं क्लास के छात्र आर्यन मिश्रा की हत्या की कहानी उलझती जा रही है। एनडीटीवी के मुताबिक फ़रीदाबाद पुलिस का कहना है कि उनके पास यह साबित करने के लिए अब तक कोई सबूत नहीं है कि हमलावर 'गौरक्षक' थे या ऐसे किसी संगठन से जुड़े थे जो इस तरह के काम में लगा हुआ है।
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पुलिस ने आर्यन मिश्रा की हत्या में पांच आरोपियों-सौरभ, अनिल कौशिक, वरुण, कृष्णा और आदेश को गिरफ्तार किया है। इनमें से अनिल कौशिक को हर किसी ने कथित गौरक्षक दल का सरगना बताया है। एनडीटीवी ने उसके घर और प्रॉपर्टी डीलिंग दफ्तर पर जाकर देखा तो उसके गौरक्षक होने के तथ्य गवाही दे रहे थे।
मंगलवार को एनडीटीवी से बात करते हुए, फ़रीदाबाद पुलिस के सहायक पुलिस आयुक्त (अपराध) अमन यादव ने कहा कि उनके पास यह संकेत देने के लिए अब तक कोई सबूत नहीं है कि कौशिक और अन्य गोरक्षक हैं या ऐसे किसी संगठन से जुड़े हुए हैं। लेकिन एनडीटीवी ने मंगलवार को ही फ़रीदाबाद में कौशिक के घर का दौरा किया और उनकी मां से बात की, जिन्होंने न केवल "गाय संरक्षण" में उनके काम के बारे में जानकारी दी, बल्कि 23 अगस्त को उनके द्वारा कार का पीछा करने के बारे में भी जानकारी दी। अनिल कौशिक की मां ने कहा- "हां, मेरा बेटा उस रात उस कार का पीछा कर रहा था। उसने मुझे बताया कि उसे लगा कि कार में गौ तस्कर है। उसने यह भी कहा कि पहली गोली डस्टर से चली थी। लेकिन उसने कोई गोली नहीं चलाई। मुझे नहीं पता कि उस (आर्यन मिश्रा) को किसकी गोली लगी। मेरा बेटा निर्दोष है, वह गायों की रक्षा करता है और समाज की सेवा करता है।''
एनडीटीवी ने कौशिक के घर के परिसर में दो गाड़ियाँ भी खड़ी देखीं। पहली, एक महिंद्रा बोलेरो, जिस पर 'गौ रक्षा दल' लिखा था, जबकि दूसरी एक गाय एम्बुलेंस थी, जिस पर कौशिक का नाम और 'लिव फॉर नेशन' लिखा था। 'लिव फ़ॉर नेशन' के कार्यालय का पता फ़रीदाबाद में पर्वतीय कॉलोनी है और एनडीटीवी को वहां बाहर 'कौशिक प्रॉपर्टीज़' का बोर्ड लगा हुआ मिला। उसके दफ्तर के आसपास के लोगों ने यह भी कहा कि कौशिक गौरक्षक है और उन्होंने कार्यालय के पास खड़े एक वाहन की ओर इशारा किया जिसका इस्तेमाल ऐसी गतिविधियों में किया जाता है।
कहानी पर कहानी
- द प्रिंट ने आर्यन मिश्रा के पिता सियानंद मिश्रा से बात की। द प्रिंट के मुताबिक सियानंद मिश्रा फ़रीदाबाद की स्थानीय जेल में गए, तो उनके बेटे के हत्या आरोपी ने उनके पैर छूए और माफ़ी मांगी। उन्होंने कहा कि “उन्हें लगा कि मेरा बेटा मुस्लिम है। अब उन्हें एक ब्राह्मण की हत्या का पछतावा है।'' मिश्रा ने 27 अगस्त को हत्या आरोपी और गौरक्षक दल के सरगना अनिल कौशिक के साथ हुई दर्दनाक मुलाकात का जिक्र करते हुए याद किया।
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द प्रिंट के मुताबिक सियानंद मिश्रा ने कहा- "मैंने कौशिक से पूछा, 'आप एक मुस्लिम को क्यों मारेंगे? सिर्फ़ एक गाय के कारण? आप कार के पहिए पर गोली चला सकते थे या पुलिस को बुला सकते थे। कानून अपने हाथ में क्यों लिया?' कौशिक के पास कहने को कुछ नहीं था।''
इस घटना से बजरंग दल के लोग शोक में हैं। पलवल और फ़रीदाबाद में 'गौरक्षा' गतिविधियों की देखरेख करने वाले एक सदस्य ने द प्रिंट से कहा कि सभी 'गौरक्षकों' से कहा गया है कि वे कानून को अपने हाथ में न लें, बल्कि अगर उन्हें कोई संदिग्ध गतिविधि दिखे या कोई सूचना मिले तो पुलिस को सचेत करें। बजरंग दल के सदस्य शैलेंद्र हिंदू नामक शख्स ने कहा- “यह घटना हमारे लिए एक कलंक है। एक दशक में यह पहली बार है कि ऐसी घटना हुई है। यह दुखद सच्चाई है कि हमने अपने भाई को मार डाला।”
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सियानंद मिश्रा कहते हैं कि “मैंने अपने सबसे छोटे बेटे का शव अपने कंधों पर उठाया। गौरक्षा के नाम पर यह गुंडागर्दी बंद होनी चाहिए। मैं इसका समर्थन नहीं करता।''
द प्रिंट के मुताबिक 27 अगस्त को जब सियानंद मिश्रा परिवार आर्यन के दाह संस्कार के लिए प्रयागराज में था, पिता को पुलिस से फोन आया। उन्होंने कहा, ''उन्हें शक है कि हत्या में गौरक्षक शामिल थे।'' अयोध्या के रहने वाले कट्टर हिंदू "सियानंद मिश्रा ने इस पर विश्वास करने से इनकार कर दिया और पुलिस से जानकारी छिपाने का अनुरोध किया। सच्चाई जानने की इच्छा से प्रेरित होकर, उत्तेजित मिश्रा ने पुलिस से आरोपी कौशिक से मीटिंग कराने का अनुरोध किया। तब से, जब उसने इस हत्या को 'स्वीकार' किया, उनके दिमाग को कुछ समझ में नहीं आ रहा है, वो हैरान हैं। सियानंद मिश्रा ने कहा, "कौशिक ने मुझे बताया कि काली खिड़कियों वाली कार में आमतौर पर तस्कर गायों को पलवल या नूंह ले जाते हैं।" कौशिक ने कथित तौर पर आर्यन के पिता को बताया कि डस्टर कार की काली खिड़कियों ने उसे यह देखने नहीं दिया कि कार के अंदर कौन है और उसने वाहन पर अंधाधुंध गोलियां चला दीं।
आर्यन के पिता सियानंद मिश्रा ने कहा- "केवल इसलिए कि हमने इन गोरक्षकों को आजादी दी है कि वे लोगों पर गोली चलाने के लिए अवैध बंदूकें रखने में सक्षम हैं।" उन्हें चिंता है कि उनके बेटे को गौ तस्कर के रूप में चित्रित किया जाएगा। फिर उन्होंने बुदबुदाते हुए कहा- “मेरा बेटा गौ तस्कर नहीं है। वह एक कट्टर हिंदू था।''
कार में आर्यन के अलावा चार लोग थे। उसका दोस्त हर्षित गुलाटी (23) जो गाड़ी चला रहा था, उसका भाई शैंकी (26), उनकी मां सुजाता (45) और उसकी दोस्त कीर्ति (49) थी। बारहवीं कक्षा के छात्र आर्यन एक पार्टी से घर लौटा था, जब उसे 24 अगस्त को रात लगभग 1.20 बजे हर्षित का फोन आया। मिश्रा परिवार हर्षित के पिता के अपार्टमेंट में घर किराए पर लिया है। आर्यन सोने वाला था, लेकिन - आधी रात को वो चला गया। आर्यन की मां उमा ने कहा- “उसने कहा कि माँ मुझे एक दोस्त से मिलने नीचे जाना है और मैं जल्दी वापस आ जाऊँगा। वह अपना फोन भी अपने साथ नहीं ले गया।''
दो घंटे बीत गए, लेकिन आर्यन वापस नहीं लौटा। इसके बजाय, हर्षित के पिता कृष्णा गुलाटी ने उनका दरवाजा खटखटाया और परिवार से अपने साथ आने का अनुरोध किया और कहा कि आर्यन मुसीबत में है। गुलाटी मिश्रा और उनके दूसरे बेटे को फरीदाबाद के एसएसबी अस्पताल ले गए, जहां उन्हें स्ट्रेचर पर आर्यन का शव मिला। मिश्रा ने द प्रिंट से कहा- “मैंने हर्षित और उसकी माँ सुजाता से पूछा कि मेरे बेटे को क्या हुआ। वे कहानियां बनाते रहे, कहते रहे कि सेक्टर 1 के कुछ गुंडों ने गोलीबारी की, लेकिन किसी ने मुझे सच नहीं बताया।”
दरअसल, गुलाटी परिवार की जिनसे दुश्मनी थी। उन्होंने उन लोगों को फंसाना चाहा। एक पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि गुलाटी परिवार ने जिनके नाम बताए, हमारी जांच से पता चला कि वे इसमें शामिल नहीं थे। फिर हमने घटनास्थल गदपुरी टोल प्लाजा की सीसीटीवी फुटेज चेक की। वहां से कौशिक और उसके गिरोह के वाहन का पता चला और पुलिस कौशिक तक जा पहुंची और सारा मामला खुल गया।