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इस शहर में बूस्टर डोज लगवाने पर छोले-भटूरे मुफ्त

इस शहर में बूस्टर डोज लगवाने पर छोले-भटूरे मुफ्त

कोविड वैक्सीन की बूस्टर डोज लगवाने पर इस शहर में आपको छोले-भटूरे मुफ्त ऑफर किए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी तक इस ऑफर को पेश करने वाले की तारीफ कर चुके हैं। शहर का नाम और इस ऑफर के बारे में ज्यादा जानकारी के लिए इस रिपोर्ट को पढ़ें। 

चंडीगढ़ में एक दुकानदार कोविड 19 वैक्सीन की तीसरी डोज लेने वालों को मुफ्त छोले-भटूरे की पेशकश कर रहा है। ये वही दुकानदार है, जिसकी पीएम मोदी ने पिछले साल तारीफ की थी। 

पीटीआई के मुताबिक 45 साल के दुकानदार संजय राणा का कहना है कि बूस्टर शॉट के लिए बहुत से लोग आगे नहीं आ रहे हैं। इसलिए मैंने मुफ्त छोले-भटूरे का ऑफर दिया है।

एक साल पहले संजय राणा ने उन लोगों को मुफ्त में छोले-भटूर खिलाए थे जो अपना COVID-19 वैक्सीन शॉट लेने के बाद उसी दिन इसका सर्टिफिकेट पेश करते थे। पीएम मोदी ने "मन की बात" में संजय का जिक्र करते हुए तारीफ की थी। 

पीएम मोदी ने उस समय कहा था कि संजय राणा जी के 'छोले भटूरे' का मुफ्त स्वाद लेने के लिए, आपको यह दिखाना होगा कि आपने उसी दिन टीका लिया है। जैसे ही आप उन्हें टीकाकरण संदेश दिखाएंगे, वह आपको स्वादिष्ट 'छोले भटूरे' देंगे। प्रधानमंत्री ने कहा था, 'कहा जाता है कि समाज की भलाई के लिए काम करने के लिए सेवा और कर्तव्य की भावना की जरूरत होती है। हमारे भाई संजय इसे साबित कर रहे हैं।

राणा एक फूड स्टॉल चलाते हैं और साइकिल पर 'छोले भटूरे' बेचते हैं। उनका कहना है कि वह पिछले 15 सालों से इस स्टॉल को चला रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनकी बेटी रिधिमा और भतीजी रिया ने पिछले साल उन्हें शॉट लेने वालों को मुफ्त में 'छोले भटूरे' देने का विचार दिया था। 

तीसरे शॉट की धीमी गति से चिंतित राणा ने पीटीआई से कहा कि मैं उन लोगों को छोले भटूरे मुफ्त दे रहा हूं जो उसी दिन एहतियाती खुराक का सबूत दिखाते हैं। राणा ने कहा कि लोग आगे आएं और बूस्टर डोज लेने में संकोच न करें। पहले से ही, हम देश के कई हिस्सों में कोरोना इन्फेक्शन में मामूली बढ़ोतरी देख रहे हैं। हमें स्थिति से बाहर होने तक इंतजार क्यों करना चाहिए? जिस तरह की स्थिति बनी हुई है उससे सबक सीखना चाहिए।

राणा ने कहा कि पिछले साल उन्होंने मई से सात महीने से अधिक समय के लिए 'छोले भटूरे' की पेशकश की थी और वह इस बार कुछ हफ्तों के लिए इसे मुफ्त देने में कोई गुरेज नहीं करेंगे। एक बच्चे के रूप में, मुझे देश की सेवा करने और सशस्त्र बलों में शामिल होने की बहुत इच्छा थी। लेकिन भाग्य में मेरे लिए कुछ और था। लेकिन अब मैं अपना काम किसी और तरीके से करना चाहता हूं, इससे मुझे बहुत संतुष्टि मिलती है।

राणा के स्टाल से कुछ लोग निराश होकर भी लौटते हैं। जब उन्हें पता चलता है कि उस दिन के लिए लाए गए "भटूरे" बिक चुके हैं। इस पर लोग उनसे छोले मांगते हैं। लेकिन कई बार वो भी खत्म हो जाता है।

हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर के रहने वाले राणा का कहना है यह मेरे लिए बहुत सम्मान की बात थी जब प्रधानमंत्री ने अपने मन की बात में मेरे नाम का जिक्र किया। राणा ने 10वीं तक पढ़ाई की और जब पिता का निधन हो गया, तो परिवार की जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ गई। उसी समय से वो यह काम कर रहे हैं।

देश में 10 अप्रैल से 18 वर्ष से अधिक आयु के सभी लोगों को COVID-19 टीकों की एहतियाती खुराक शुरू की गई थी। एक आधिकारिक सूत्र ने हाल ही में कहा था कि एहतियाती खुराक के लिए पात्र 68,97,62,152 लोगों में से केवल 7,30,96,284 ने ही इसे लिया है।

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