कोरोना: पूरे टीके लेने वालों को भी संक्रमित कर रहा है डेल्टा वैरिएंट
कोरोना का डेल्टा वैरिएंट पूरे टीके लिए हुए लोगों को भी संक्रमित कर रहा है, अब लगातार ऐसे मामले आ रहे हैं। दुनिया के 10 बड़े विशेषज्ञों ने भी इसकी पुष्टि की है। और अब इस वजह से दुनिया के सामने एक बड़ी चिंता भी है।
विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना वायरस का डेल्टा वैरिएंट अब तक सबसे ज़्यादा तेज़ फैलने वाला और सबसे ज़्यादा घातक भी है। फ़ोर्ब्स की एक रिपोर्ट के अनुसार चीन के वुहान में सबसे पहले मिले कोरोना संक्रमण से 50 फ़ीसदी ज़्यादा तेज़ी से फैलने वाला अल्फा वैरिएंट था। यह वैरिएंट सबसे पहले इंग्लैंड में पाया गया था। इस अल्फा से भी 40-60 फ़ीसदी ज़्यादा तेज़ी से फैलने वाला डेल्टा वैरिएंट है। यह सबसे पहले भारत में मिला था और अब तक दुनिया के अधिकतर देशों में फैल चुका है।
वायरोलॉजिस्ट और महामारी विज्ञानियों के अनुसार, जैसे-जैसे देश प्रतिबंधों में ढील दे रहे हैं और अपनी अर्थव्यवस्थाओं को खोल रहे हैं, डेल्टा वैरिएंट इस बीमारी के बारे में आशंकाओं को बढ़ा रहा है। हालाँकि, राहत की बात यह है कि भले ही पूरे टीके लेने के बाद भी डेल्टा वैरिएंट संक्रमित कर रहा हो, लेकिन वैक्सीन मरीज़ों को गंभीर स्थिति में पहुँचने से बचाव कर रही है। 'रायटर्स' की रिपोर्ट के अनुसार, 10 प्रमुख कोविड विशेषज्ञों के साक्षात्कार के अनुसार, कोरोना वायरस के किसी भी वैरिएंट के कारण होने वाले गंभीर संक्रमण और अस्पताल में भर्ती होने के ख़िलाफ़ वैक्सीन सुरक्षा बहुत मज़बूत है और जिन्होंने टीका नहीं लिया है वे सबसे अधिक जोखिम में हैं।
पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड यानी पीएचई ने शुक्रवार को कहा कि ब्रिटेन में डेल्टा वैरिएंट के साथ अस्पताल में भर्ती कुल 3,692 लोगों में से 58.3% लोगों का टीकाकरण नहीं हुआ था और 22.8% को पूरी तरह से टीका लगाया गया था। डेल्टा वैरिएंट से प्रभावित सिंगापुर में सरकारी अधिकारियों ने बताया कि इसके कोरोना वायरस के तीन चौथाई मामले टीकाकरण वाले व्यक्तियों में हुए, हालाँकि कोई भी गंभीर रूप से बीमार नहीं था।
संयुक्त राज्य अमेरिका में नये संक्रमण के मामलों में डेल्टा वैरिएंट के क़रीब 83% मामले आ रहे हैं। अब तक जितने भी गंभीर मामले आए हैं उनमें ग़ैर-टीकाकरण वाले क़रीब 97% लोग हैं।
इज़राइली स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा है कि वर्तमान में अस्पताल में भर्ती कोरोना के 60% मामले टीकाकरण वाले लोगों में हैं। उसमें से अधिकतर 60 साल के ऊपर के हैं।
डेल्टा वैरिएंट से प्रभावित देश इंडोनेशिया के बारे में भी चेतावनी देने वाली रिपोर्टें आ रही हैं। इंडोनेशिया में कोरोना संक्रमण के कारण सैकड़ों बच्चों की मौत हो गई है। इस महीने हर हफ़्ते 100 से ज़्यादा बच्चों की मौतें हुई हैं। इंडोनेशिया में जो मामले आ रहे हैं उसके 12.5 फ़ीसदी बच्चे हैं। और यह सब तब हो रहा है जब देश में डेल्टा वैरिएंट काफ़ी तेज़ी से फैला है। इंडोनेशिया में अब तक 83 हज़ार लोगों की मौत हो चुकी है। मृतकों में 18 साल से कम उम्र के क़रीब 800 बच्चे शामिल हैं। हाल में जो बच्चों की मौतें हुई हैं उसमें से आधे तो 5 साल से कम उम्र के हैं।
यह डेल्टा वैरिएंट वही है जिसे भारत में कोरोना की दूसरी लहर में तबाही लाने के लिए ज़िम्मेदार माना गया।
विशेषज्ञों की सबसे बड़ी चिंता यह है कि डेल्टा वैरिएंट लोगों के बीच ज़्यादा दूरी तक और ज़्यादा आसानी से फैलता है। रायटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, ब्रिटेन में जीनोम सिक्वेंसिंग का ज़िम्मा संभाल रहे माइक्रोबायोलॉजिस्ट शेरोन पीकॉक ने कहा कि इस समय दुनिया के लिए सबसे बड़ा जोखिम केवल डेल्टा वैरिएंट है। उन्होंने इस वैरिएंट को अभी तक का सबसे तेज़ वैरिएंट बताया।
कैलिफोर्निया के ला जोला में स्क्रिप्स रिसर्च ट्रांसलेशनल इंस्टीट्यूट के निदेशक जीनोमिक्स विशेषज्ञ एरिक टोपोल ने कहा कि डेल्टा संक्रमणों में इन्क्यूबेश यानी शरीर में संक्रमण फैलने की अवधि कम होती है और वायरल कणों की मात्रा बहुत अधिक होती है। टोपोल ने कहा, 'इसलिए टीकों को चुनौती मिल रही है। जिन लोगों को टीका लगाया गया है उन्हें विशेष रूप से सावधान रहना होगा।' इसीलिए अब दुनिया भर में पूरे टीके लिए हुए लोगों को भी सही से मास्क पहनने, सोशल डिस्टेंसिंग जैसे कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करने को कहा जा रहा है।