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कोरोना से होने वाली मौतों के आंकड़ों को छिपा रही है योगी सरकार?

कोरोना से होने वाली मौतों के आंकड़ों को छिपा रही है योगी सरकार?

आंकड़ों से ये साफ दिख रहा है कि उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण की रफ़्तार बेहद तेज़ है। 

आंकड़ों से ये साफ दिख रहा है कि उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण की रफ़्तार बेहद तेज़ है। लेकिन क्या राज्य सरकार मौत के आंकड़ों को छुपा रही है। एनडीटीवी की एक ख़बर से इसका संकेत मिलता है कि कहीं कुछ गड़बड़ ज़रूर है क्योंकि सरकारी आंकड़ों में लखनऊ में कोरोना से जितने लोगों की मौत होने की बात बताई गई है, वह आंकड़ा लखनऊ के श्मशान घाटों में जितने शवों का अंतिम संस्कार किया गया है, उससे बहुत कम है। 

राज्य सरकार के आंकड़ों के मुताबिक़, पिछले सात दिनों में 124 लोगों की मौत कोरोना वायरस के कारण हो चुकी है। लेकिन लखनऊ के श्मशान घाट से जो आंकड़े एनडीटीवी को मिले हैं, उसके मुताबिक़, इतने वक़्त में 400 से ज़्यादा लोगों का अंतिम संस्कार किया जा चुका है। इसका मतलब साफ है कि कम से कम 276 लोगों की मौत का आंकड़ा ग़ायब है। 

एनडीटीवी की रिपोर्ट कहती है कि सरकारी आंकड़ों के मुताबिक़, 13 अप्रैल को 18 लोगों की मौत हुई लेकिन 86 शवों का अंतिम संस्कार किया गया, 12 अप्रैल को भी 86 शवों का अंतिम संस्कार किया गया लेकिन सरकारी आंकड़ा 21 रहा। इसी तरह 11 अप्रैल को 57 शवों का अंतिम संस्कार किया गया लेकिन सरकारी आंकड़ा इस बार 31 रहा और 10 अप्रैल को 59 शवों का अंतिम संस्कार किया गया और सरकारी आंकड़ा 23 था। 

एनडीटीवी ने इस बारे में लखनऊ के एक वरिष्ठ अफ़सर अमित सिंह से बात की तो उन्होंने कहा, “यह बात मेरी जानकारी में नहीं है। मैं कोरोना से मारे गए सभी लोगों के शवों का आंकड़ा रखता हूं और बाक़ी मौतों के बारे में मुझे नहीं पता।” 

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सीएम योगी भी कोरोना से संक्रमित।

इस बारे में राज्य के उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा से जब यह पूछा गया कि सरकारी और श्मशान घाट के आंकड़ों में इतना अंतर क्यों है तो उन्होंने एनडीटीवी को बताया, “हमने सिर्फ़ उन लोगों की लिस्ट जारी की है जो अस्पतालों में भर्ती थे या जिनकी जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी के यहां दर्ज थी। दूसरे जिलों या राज्यों से आने वाले लोगों की अगर यहां मौत हो जाती है तो उनका भी अंतिम संस्कार यहीं होता है।” 

राज्य सरकार का यह अपना तर्क है लेकिन मौतों के आंकड़े में जो अंतर है, वह साफ दिखाई दे रहा है। ऐसे में यह सवाल ज़रूर उठता है कि यह अंतर क्यों है और क्या कहीं कुछ छुपाया जा रहा है। 

देश के कुछ बाकी राज्यों की तरह उत्तर प्रदेश में भी संक्रमण के मामले बढ़े हैं और हालात निश्चित रूप से चिंताजनक हो रहे हैं। उत्तर प्रदेश में बुधवार को रिकॉर्ड मामले सामने और यह आंकड़ा 20,510 रहा और राज्य में एक्टिव मामलों की संख्या 1,11,835 तक पहुंच गयी। प्रदेश में एक्टिव मामलों की संख्या 13,65,704 है जबकि 1,72,085 लोगों की मौत हो चुकी है। मंगलवार को भी 18 हज़ार से ज़्यादा मामले आए थे। 

लॉकडाउन लगाने पर विचार करें: कोर्ट

उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण के तेज़ गति से बढ़ते मामलों के बीच इलाहाबाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा है कि वह ऐसे जिलों में जहां संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं, वहां पर पूर्ण लॉकडाउन लगाने को लेकर विचार करे। उत्तर प्रदेश में बीते कुछ दिनों में ही संक्रमण ने रफ़्तार पकड़ी है और बीते दिन 18 हज़ार से ज़्यादा नए मामले सामने आए हैं। 

जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस अजित कुमार ने मंगलवार को राज्य सरकार को आदेश दिया कि वह ऐसे सभी कार्यक्रमों पर रोक लगाए जिनमें 50 लोगों की भीड़ इकट्ठी होती हो। अदालत ने कहा कि नाइट कर्फ्यू बहुत छोटा क़दम है और यह केवल रात को होने वाली पार्टियों और रमज़ान और नवरात्रि में होने वाले बड़े धार्मिक कार्यक्रमों पर रोक लगा सकता है। 

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