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यूपी-बिहार की तरह एमपी में भी नदियों में शव बहा रहे लोग

यूपी-बिहार की तरह एमपी में भी नदियों में शव बहा रहे लोग

उत्तर प्रदेश, बिहार की ही तरह मध्य प्रदेश में भी नदियों में शवों को बहाया जा रहा है।

उत्तर प्रदेश, बिहार की ही तरह मध्य प्रदेश में भी नदियों में शवों को बहाया जा रहा है। मध्य प्रदेश के पन्ना में कुछ दिन पहले स्थानीय रूंज नदी में पांच-छह लाशें मिली थीं लेकिन अब देवास जिले में नर्मदा नदी में शव को डाले जाने का वीडियो सामने आया है। 

इस वीडियो में पीपीई किट पहने कई लोग नाव में रखे शव को नर्मदा नदी में डाल रहे हैं। ग्रामीणों ने इस बारे में पुलिस को बता दिया है। पुलिस का कहना है कि वह इस वीडियो की जांच कर रही है। वीडियो में दिख रहे लोग स्थानीय खेतगांव इलाके के बताए जा रहे हैं। 

स्थानीय ख़बरों के मुताबिक़, यह शव 80 साल की एक महिला का था। महिला ने कुछ दिन पहले सीने में दर्द होने और सांस लेने में दिक्कत होने की शिकायत की थी। परिजनों को इस बात का शक था कि महिला को कोरोना हुआ था। वे उसके शव को अंतिम संस्कार के लिए नेमावर घाट पर लेकर पहुंचे और यहां एक नाव को किराये पर लेकर शव को नदी में बहा दिया। 

जलदाग की प्रथा 

अभी भी कई समुदायों में जलदाग या जलसमाधि की प्रथा चलती आ रही है। विशेषकर ऐसे इलाक़ों में जो नदियों के किनारे बसे हुए हैं। प्रथा के मुताबिक़, ऐसे लोग जिनकी उम्र 70 साल से ज़्यादा हो गयी है, उनके शवों को नदी में बहा दिया जाता है। ऐसी मान्यता है कि नदी में शव को बहाने से मृतक की आत्मा को ईश्वर से मिलने में सहायता होगी। 

कुछ दिन पहले जब पन्ना की रूंज नदी में पांच-छह शव मिले थे तो ग्रामीण बेहद परेशान हुए थे। क्योंकि शवों के नदियों में बहाए जाने से पानी बुरी तरह गंदा हो रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि वे लोग ऐसे पानी को कैसे पीयेंगे। 

लेकिन शायद स्थानीय अफ़सरों को यह बात समझ नहीं आ रही है कि ऐसे लोगों पर कड़ी कार्रवाई की ज़रूरत है जो लाशों को नदियों में डाल रहे हैं। इससे पानी तो गंदा होगा ही, इस पानी का इस्तेमाल करने वाले लोग भी संक्रमित हो सकते हैं। नदियों में शव मिलने की घटनाएं बिहार के बक्सर से लेकर उत्तर प्रदेश के ग़ाज़ीपुर, हमीरपुर में भी हो चुकी हैं। 

बिहार के बक्सर में गंगा नदी में 71 शव मिले थे और इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। काफी आलोचना होने के बाद प्रशासन ने शवों को निकालकर दफ़नाया था। 

अंतिम संस्कार को लेकर डर 

इन शवों को लेकर कहा जा रहा है कि इन लोगों की कोरोना से मौत हुई है। गांवों में कोरोना संक्रमण फैलने का डर इतना ज़्यादा है कि परिजन किसी की कोरोना से मौत होने पर अंतिम संस्कार करने से भी डर रहे हैं। इसके अलावा ग्रामीणों के मुताबिक़, कोरोना से मौत होने के बाद मृतक के परिजनों के सामाजिक बहिष्कार का डर है और इस वजह से नदी में बहा दिए जाने वाले शवों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। 

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