कोरोना वायरस से सबसे पहले मरी थीं वुहान प्रयोगशाला के वैज्ञानिक की पत्नी?
क्या वाकई कोरोना वायरस प्राकृतिक जीव नहीं है और इसे चीन के शहर ऊहान (वुहान) स्थित सरकारी प्रयोगशाला में बनाया गया था? और क्या इसका पहला शिकार उस प्रयोगशाला में काम कर रहे एक वैज्ञानिक की पत्नी थी, जिसकी मौत सिर्फ 30 साल की उम्र में एक अनजान वायरस से संक्रमित होने के बाद हो गई थी?
ये सवाल एक बार फिर उठ रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने खुफ़िया एजेन्सी सीआईए से कहा है कि वह इस पूरे मामले की जाँच करे, उसके बाद से कई तरह के सिद्धान्त प्रतिपादित किए जा रहे हैं, कई बातें कही जा रही हैं।
अमेरिकी अफ़सर का दावा
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, कोरोना वायरस का उत्पत्ति और वुहान प्रयोगशाला के बीच के रिश्तों की जाँच कर रहे अमेरिकी अधिकारी डेविड अशर ने दावा किया है कि वुहान इंस्टीच्यूट ऑफ़ वायरोलॉजी के एक वैज्ञानिक की पत्नी की मौत इस वायरस से 8 अक्टूबर 2019 के पहले ही हो चुकी थी।
अशर ने कहा कि जाँच के दौरान वुहान प्रयोगशाला में काम कर चुके एक व्यक्ति ने उन्हें यह जानकारी दी थी। डेविड अशर ने अमेरिकी टेलीविज़न फ़ॉक्स न्यूज़ से कहा,
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कितने लोगों की मौत इनफ्लूएंजा से बीमार होकर अस्पताल में भर्ती होने के बाद हो जाती है? इसके अलावा ऐसा कब होता जब COV- RaTG13 वायरस पर शोध कर रहे लोगों में से कई लोग एक साथ ही बीमार पड़ जाते हैं?
डेविड अशर, जाँच अधिकारी, अमेरिका
अशर इस दावे को सिरे से खारिज करते हैं कि कोरोना वायरस किसी दूसरे जीव से मानव शरीर में प्रवेश कर गया। वे इस थ्योरी को हास्यास्पद क़रार देते हैं।
ब्रिटिश-नॉर्वे वैज्ञानिकों का शोध
दूसरी ओर ब्रिटिश प्रोफ़ेसर एंगस डैलग्लीश और नॉर्वे के वैज्ञानिक डॉक्टर बर्जर सोरेन्सन ने कहा है कि कोरोना वायरस के प्राकृतिक पूर्वज नहीं थे।
ब्रिटिश अख़बार 'द डेली मेल' के अनुसार,
'इन दोनो वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि चीन की गुफ़ाओ में पाए जाने वाले चमगाड़दों में मौजूद वायरस को निकाल कर उसे ख़तरनाक कोरोना वायरस में तब्दील कर दिया गया है जिसने पूरी दुनिया में तबाही मचा रखी है।'
वैज्ञानिकों का दावा
इन वैज्ञानिकों ने कोविड-19 वायरस के ऐसे फिंगर प्रिंट हासिल कर लेने का दावा किया है जिसे सिर्फ प्रयोगशाला में ही विकसित किया जा सकता है, जो प्रकृति में नहीं हो सकता।
इन वैज्ञानिकों ने यह भी दावा किया है कि वुहान प्रयोगशाला ने इससे जुड़े आकँड़ों को या तो छुपाया है या जानबूझ कर नष्ट कर दिया है।
यह शोधपत्र 'क्वार्टरली रिव्यू ऑफ़ बायोफ़िजिक्स डिस्कवरी' में प्रकाशित हुआ है। यह भी दावा किया गया है कि इस परियोजना को ग्रेन ऑफ फंक्शन प्रोजेक्ट का नाम दिया गया था।
एंगस डैलग्लीश और डॉक्टर बर्जर सोरेन्सन ने यह भी कहा है कि,
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चीनी वैज्ञानिकों ने गुफा में पाए जाने वाले वायरस से मौजूदा कोरोना वायरस विकसित किया और फिर रीट्रो-इंजीनियरिंग कर पहले की तरह ही एक और वायरस बना दिया, ताकि यह पता न चल सके यह प्राकृतिक वायरस नहीं है।
एंगस डैलग्लीश और डॉक्टर बर्जर सोरेन्सन, वैज्ञानिक
सोरेन्सन का दावा है कि इसमें गड़बड़ी यह हुई कि रीट्रो-इंजीनयरिंग किया हुआ यह वायरस प्रयोगशाला से बाहर निकल गया।
बता दें कि इसके पहले ऑस्ट्रेलिया से छपने वाले अख़बार 'द ऑस्ट्रेलियन' ने कोरोना वायरस से जुड़े हुए मामले में एक धमाकेदार रहस्योद्धाटन किया था और कोरोना के लिए सीधे तौर पर चीन को ज़िम्मेदार ठहराया था।
जल्द ही छपने वाली किताब 'वॉट रियली हैपेन्ड इन वुहान' में इस शोध पत्र के बारे में जानकारी दी गई है। इस किताब के लेखक शारी मार्क्सन हैं और इसे हार्पर कॉलिन्स छाप रहा है, सितंबर तक इसके बाज़ार में आने की संभावना है।
तत्कालीन अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने आरोप लगाया था कि कोरोना वायरस चीन के वुहान की प्रयोगशाला से निकला है और इस बात के काफ़ी सबूत हैं। लेकिन बीजिंग ने इन आरोपों को ग़लत बताया था। तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने भी यही आरोप लगाया था। उसके बाद अमेरिका ने डब्लूएचओ छोड़ दिया था।
जो बाइडन ने राष्ट्रपति बनने के बाद डब्लूएचओ में अमेरिका की वापसी का एलान किया।