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कोवैक्सीन ट्रायल में मौत का कारण ज़हर: भारत बायोटेक

कोवैक्सीन ट्रायल में मौत का कारण ज़हर: भारत बायोटेक

मध्य प्रदेश के भोपाल स्थित एक निजी मेडिकल कॉलेज में कोवैक्सीन टीके के ट्रायल के दौरान टीका लगाने के नौ दिन बाद एक युवा वालंटियर की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत से हड़कंप मच गया है।

मध्य प्रदेश के भोपाल स्थित एक निजी मेडिकल कॉलेज में कोवैक्सीन टीके के ट्रायल के दौरान टीका लगाने के नौ दिन बाद एक युवा वालंटियर की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत से हड़कंप मच गया है।

क्या कहना है कंपनी का?

टीका बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड ने शनिवार को इस पर सफाई देते हुए एक बयान में कहा कि उस व्यक्ति की मौत सांस व हृदय की गति रुकने से हुई है। संदेह है कि उसे ज़हर दे दिया गया था, पुलिस इस मामले की जाँच कर रही है। 

कंपनी ने गांधी मेडिकल कॉलेज के हवाले से कहा है, 

"तीसरे चरण के ट्रायल के लिए वालंटियर हर शर्तों को पूरा करता था, उसे पूरी तरह स्वस्थ पाया गया था। टीका लेने के नौ दिन बाद उसकी मौत हो गई।"


भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड

मृतक के परिजनों का आरोप

बता दें, पुराने भोपाल के टीला जमालपुरा क्षेत्र के सुबेदार कालोनी में रहने वाले दिहाड़ी मजदूर दीपक मरावी (45 वर्ष) 12 दिसंबर को कोवैक्सीन का ट्रायल टीका दिया गया था। नौ दिनों के बाद 21 दिसंबर को दीपक की संदिग्ध हालातों में मौत हो गई। दीपक के परिवार में पत्नी के अलावा तीन बच्चे हैं।

मरावी की पत्नी का आरोप है कि कोवैक्सीन ट्रायल के पहले तक उसके पति अच्छे-भले थे। किसी तरह की परेशानी नहीं थी।

"वे रोज़ मज़दूरी पर जाया करते थे। ट्रायल के बाद उनकी तबियत बिगड़ने लगी थी। लेकिन किसी ने उनकी सुध नहीं ली। उनकी तबियत 19 दिसंबर को ज्यादा बिगड़ी एवं 21 दिसंबर को मुँह से झाग निकलने के बाद उनकी मौत हो गई।"


मृतक की पत्नी

'ट्रायल की जानकारी नहीं'

मरावी की पत्नी ने यह भी कहा, ‘टीका लगवाने के एवज में 750 रुपये मिलने की बात होने पर उन्होंने टीका लगवाया था। टीका लगाने वालों ने उन्हें नहीं बताया था कि ट्रायल कर रहे हैं।’ 

मामले से जुड़ी पड़ताल में यह भी स्पष्ट हुआ है कि दीपक को वैक्सीन ट्रायल में शामिल किये जाने संबंधी कोई सहमति पत्र भी नहीं दिया गया था।

भोपाल में लंबे वक़्त से गैस पीड़ितों के लिए काम कर रही संस्था की रचना ढींगरा ने इस मामले को उठाया। उन्होंने मृतक मरावी की पत्नी और बच्चों की दुर्दशा मीडिया के सामने रखी। मामला मीडिया में आने के बाद हड़कंप मचा। चिकित्सा शिक्षा मंत्री ने इस पर उन्हें टुकड़े-टुकड़े गैंग का सदस्य क़रार दिया। 

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टुकड़े-टुकड़े गैंग?

पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा के सदस्य दिग्विजय सिंह शनिवार दोपहर को मृतक मरावी के घर पहुँचे। उन्होंने मरावी की पत्नी से पूरे मामले को जाना। टीका लगाने वाले निजी अस्पताल प्रबंधन और सरकार द्वारा इस परिवार की कोई सुध नहीं लिये जाने पर सिंह ने गहरा अफसोस जताया। 

दिग्विजय सिंह ने कहा, "मैं निंदा करता हूं चिकित्सा शिक्षा मंत्री की, जिन्होंने इस मामले को उठाने वाली सामाजिक कार्यकर्ता रचना को टुकड़े-टुकड़े गैंग का सदस्य बताया।"

पूर्व मुख्यमंत्री सिंह ने सवाल उठाया कि आख़िर ग़रीब लोगों पर ही क्यों टीके के परीक्षण किए जा रहे हैं और फिर परीक्षण के बाद उन पर कोई निगरानी नहीं रखी जा रही? तो फिर परीक्षण क्यों किया गया? उन्होंने कहा कि वे पीड़ित परिवार के साथ हैं और उनकी हरसंभव मदद करेंगे।

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क्या कहा मुख्यमंत्री ने?

दीपक मरावी की मौत के बाद उठाये जा रहे सवालों को लेकर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कहा है कि दीपक मरावी की विसरा रिपोर्ट आने पर सही तथ्य सामने आएंगे, टीके को लेकर ग़लत धारणा नहीं बनानी चाहिए। 

शिवराज सिंह के मुताबिक़, उनकी जानकारी में कोरोना वैक्सीन के नतीजे के दुष्परिणाम 24 घंटे से लेकर तीन दिन के अंदर आ जाते हैं। लेकिन, दीपक मरावी की मौत 7 दिन बाद हुई है, ऐसे में मौत के कारणों के लिए जाँच रिपोर्ट का इंतजार करना चाहिए।

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