दिल्ली में बुजुर्ग महिला और कुत्तों को उजड़ने से कोर्ट ने बचाया, लेकिन हल्द्वानी?
हल्द्वानी पर सुप्रीम कोर्ट का जो भी फैसला हो, लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट ने करीब 250 स्ट्रीट डॉग को बेसहारा होने से बचा लिया है। इन स्ट्रीट डॉग को आश्रय और संरक्षण देने वाली 80 साल की बुजुर्ग महिला की झुग्गी हटाने के एमसीडी आदेश पर दिल्ली हाईकोर्ट ने फिलहाल रोक लगा दी है।
साउथ दिल्ली के साकेत में 80 साल की प्रतिमा देवी लगभग 250 कुत्तों के लिए आश्रय चला रही हैं। इनमें ज्यादातर वो कुत्ते हैं, जिन्हें उनके मालिकों ने छोड़ दिया है, या बिछड़ कर आ गए हैं या फिर स्ट्रीट डॉग हैं।
प्रतिमा देवी को लोग 'अम्मा' के नाम से जानते हैं। वो अपना गुजारा करने के लिए कूड़ा बीनने का काम करती हैं। उनका कहना है कि वो सिर्फ उन सैकड़ों कुत्तों की देखभाल के लिए कमाती हैं जिन्हें वह खिलाती हैं और उनकी देखभाल करती हैं।
एमसीडी ने अनुपम मार्केट कैंपस में पीवीआर हॉल के पास स्थित उनकी झोपड़ी को दो चरणों में गिराया। सोमवार को एमसीडीकर्मी छोटी-मोटी तोड़फोड़ करके चले गए। लेकिन मंगलवार को उन्होंने प्रतिमा देवी की पूरी झुग्गी तहस-नहस कर दी और इस भयानक ठंड में प्रतिमा देवी और उनके कुत्ते बेघर, बेसहारा हो गए।
अम्मा ने बुधवार 4 जनवरी को अदालत का रुख किया। जिसमें नगर निकाय द्वारा बिना किसी पूर्व सूचना के उनकी झोपड़ी गिराने को चुनौती दी गई। बुधवार को चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की बेंच के सामने इस मामले का तत्काल उल्लेख किया गया, जिसने उसी दिन इसकी सुनवाई की अनुमति दी।
वकील वैभव गग्गर और शिवानी सेठी के माध्यम से प्रतिमा देवी ने अपनी याचिका में कहा कि 3 जनवरी को एमसीडी ने बिना किसी पूर्व सूचना के उनके अस्थायी आश्रय पर बुलडोज़र चला दिया, जिससे वह और उनके द्वारा संरक्षित कुत्ते घायल हो गए, कुछ गायब हो गए और कुछ मलबे के नीचे फंस गए। इससे इलाके में और आसपास अराजकता का माहौल बन गया।
यह केस जस्टिस मनोज कुमार ओहरी की कोर्ट में पहुंचा। उन्होंने एमसीडी आदेश के खिलाफ स्टे जारी कर दिया। अदालत ने प्रतिमा देवी को अंतरिम उपाय के रूप में तिरपाल लगाने की अनुमति दी। क्योंकि झुग्गी टूटने के कारण वह और कुत्ते कड़कड़ाती ठंड में बिना आश्रय के रह गए थे।
दिल्ली हाईकोर्ट ने एमसीडी और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी करते हुए उन्हें प्रतिमा देवी के पुनर्वास की संभावना तलाशने का निर्देश दिया और मामले की सुनवाई 15 मार्च के लिए स्थगित कर दी।
अदालत ने आदेश में लिखा है - मामले के तथ्यों और परिस्थितियों और याचिकाकर्ता के इस तर्क को ध्यान में रखते हुए कि प्रतिवादी एमसीडी द्वारा बिना किसी पूर्व सूचना के आपत्तिजनक कार्रवाई की गई है, यह अदालत यह निर्देश देना उचित समझती है कि एमसीडी यथास्थिति बनाए रखेगी। सुनवाई की अगली तारीख तक और आश्रय की तत्काल जरूरत को पूरा करने के लिए, याचिकाकर्ता को अंतरिम उपाय के रूप में तिरपाल लगाने की भी अनुमति दी जाएगी।
सुनवाई के दौरान एमसीडी के वकील ने याचिका का विरोध किया और कहा कि याचिकाकर्ता को वैकल्पिक स्थान की तलाश खुद करनी चाहिए। हालांकि प्रतिमा देवी के वकील ने अदालत को बताया कि इन सामुदायिक कुत्तों को रखने के लिए नगर निकाय द्वारा उपलब्ध कराया गया कोई वैकल्पिक आश्रय उपलब्ध नहीं है। उन्होंने अदालत को अवगत कराया कि कुत्तों में व्यवहार परिवर्तन से चारों ओर अस्थिरता पैदा हो सकती है। आवारा कुत्तों के साथ याचिकाकर्ता के सिर पर कोई छत नहीं है। कुछ कुत्ते ध्वस्त अस्थायी आश्रय के मलबे में फंसे हुए हैं। यह पूरी तरह से कानून के स्थापित सिद्धांतों के विपरीत है और साथ ही यह याचिकाकर्ता के मौलिक अधिकार का भी उल्लंघन करता है।
अदालत ने संक्षिप्त सुनवाई के बाद आदेश पारित कर दिया और इस तरह प्रतिमा देवी और सामुदायिक कुत्ते उजड़ने से बच गए।