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कुंभ मेले में जमकर लूट, कैग की रिपोर्ट से हुआ खुलासा 

कुंभ मेले में जमकर लूट, कैग की रिपोर्ट से हुआ खुलासा 

रिपोर्ट में विभिन्न विभागों से कुंभ के लिए आवंटित बजट पर सवाल खड़ा किया गया है। कुंभ मेला अधिकारी ने अन्य विभागों के बजट खर्चे की जानकारी उपलब्ध नहीं कराई जिससे उस बजट के खर्चे का विवरण ही नहीं मिल सका।

रामराज्य का दावा करने वाली उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के दौरान प्रयागराज में हुए कुंभ मेले में सरकारी धन की जमकर लूट हुई है। कुंभ मेले के दौरान निर्माण से लेकर खरीद में धांधली की बात सामने आयी है। उत्तर प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र में पेश की गयी नियंत्रक महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में कुंभ मेले में हुई बंदरबांट का खुलासा किया गया है।

कैग की रिपोर्ट आने के बाद विपक्ष इसे उत्तर प्रदेश के इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला बता रहा है, वहीं सत्ताधारी बीजेपी ने इस पूरे मामले पर चुप्पी साध रखी है। प्रदेश सरकार ने कुंभ मेले के लिए 2743.60 करोड़ रुपये आवंटित किए थे जिनमें से जुलाई, 2019 तक 2112 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। 

कैग की रिपोर्ट में शौचालय निर्माण से लेकर, ट्रैक्टर, ड्रोन विमानों व एलईडी लाईटों की खरीद, टेंट लगवाने और आपदा राहत कोष के इस्तेमाल तक में धांधली उजागर की गयी है।

फर्जी ट्रैक्टर की खरीद दर्शाई 

कुंभ मेले के इंतजाम में लगे अधिकारियों ने कागजों पर ही ट्रैक्टर खरीद डाले और जब कैग ने परीक्षकों ने उनका मिलान किया तो फर्जीवाड़ा सामना आया। रिपोर्ट के मुताबिक़ कुंभ मेले में जिन 32 ट्रैक्टर को खरीदा गया उनके रजिस्ट्रेशन नंबर मेल नहीं खाते। ट्रैक्टरों की खरीद दिखाते हुए जो नंबर बताए गए वह कार, मोपेड और स्कूटर के पंजीकृत नंबर हैं। 

कैग की रिपोर्ट के मुताबिक़, क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय के दस्तावेजों से मैसर्स स्वास्तिक कंस्ट्रक्शन से संबंधित सत्यापन रिपोर्ट में दिखाए गए  32 ट्रैक्टरों की पंजीकरण संख्या के सत्यापन से पता चला कि चार ट्रैक्टरों के पंजीकरण नंबर एक मोपेड, दो मोटरसाइकिल और एक कार के थे।

 - Satya Hindi

आपदा राहत कोष की लूट

कैग की रिपोर्ट में बताया गया है कि कुंभ मेले में आपदा राहत के लिए भी कोष का आवंटन किया गया था। इस कोष का इस्तेमाल आपदा की स्थिति में किया जाना था। हालांकि बिना किसी आपदा के भी इस धन का इस्तेमाल कर बंदरबांट कर लिया गया। 

कुंभ मेले में आपदा राहत कोष से गृह पुलिस विभाग को 65.87 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया, कैग ने इस पर भी सवाल उठाया है कि आपदा राहत कोष का प्रयोग तो आपदा की स्थितियों में होता है, ऐसे में आवंटित धन का अपव्यय हुआ।

रिपोर्ट में विभिन्न विभागों से कुंभ के लिए आवंटित बजट पर सवाल खड़ा किया गया है। कुंभ मेला अधिकारी ने अन्य विभागों के बजट खर्चे की जानकारी उपलब्ध नहीं कराई जिससे उस बजट के खर्चे का विवरण ही नहीं मिल सका।

सड़क निर्माण के नाम पर लूटा 

इसी रिपोर्ट में बताया गया है कि बिना वित्तीय स्वीकृत सड़कों के निर्माण में भारी अनियमितता हुई और स्वीकृत दरों से कई गुना ज्यादा पर काम कराया गया। रिपोर्ट के मुताबिक़ यूपी पुलिस द्वारा खरीदे गये 10 ड्रोन कैमरे जिनकी कुल लागत 32.50 लाख थी वे इस्तेमाल में ही नहीं लाये गये। 

सीएजी ने पाया कि ये 10 ड्रोन कैमरे किसी काम के नहीं थे और बेकार निकले। रिपोर्ट में कहा गया है कि भ्रष्टाचार के कारण समस्त कुंभ में आये हुये श्रद्धालुओं की सुरक्षा के साथ एक बड़ा खिलवाड़ किया गया। यदि कोई अप्रिय घटना घटित हो जाती तो कितना बड़ा हादसा होता।

पाखाने, लाईट-टेंट में कमाई 

कुंभ में टिन, टेंट, पंडाल, बैरिकेडिंग के कार्यों के लिए 105 करोड़ रुपये की वित्तीय स्वीकृति के सापेक्ष मेला अधिकारी ने 143.13 करोड़ रुपये के कार्य कराए। योगी सरकार ने 42000 रुपये में एक शौचालय का निर्माण किया और 231.45 करोड़ रुपये अस्थाई टेंटों के निर्माण में खर्च किए जिसके बारे में सीएजी का कहना है कि इसका कुल भुगतान 143 करोड़ रुपये ही होना चाहिए था। 

कुंभ के आयोजन में कोई कार्य बिना कमीशन और रिश्वत के नहीं कराया गया। मेले में 10,500 रुपये की एलईडी लाईट का भुगतान 22,650 रुपये कर दिया गया और राज्य को इस मद में भी 32 लाख रुपये का चूना लगा दिया।

विपक्ष उठा रहा सवाल 

कुंभ में हुए इस घोटाले पर कैग की रिपोर्ट को लेकर विधान परिषद में कांग्रेस दल के नेता दीपक सिंह ने सदन में मामला उठाया हालांकि उस पर कोई बहस नहीं हो सकी। दीपक सिंह कहते हैं कि  कुंभ के आयोजन में किया गया ये घोटाला यूपी के इतिहास में सबसे बड़ा घोटाला है। 

उनका कहना है कि इतना बड़ा घोटाला सरकार ने हो जाने दिया और इसमें लिप्त भ्रष्टाचारियों को ढाई साल का समय बीजेपी सरकार द्वारा दिया गया, यदि सही समय से इसपर सरकार ने कार्य किया होता तो कई मंत्री और अधिकारी इस भ्रष्टाचार के चलते जेल चले गये होते। 

सिंह ने कहा कि कैग की ऑडिट रिपोर्ट ने योगी आदित्यनाथ की बीजेपी सरकार के पारदर्शिता के झूठ को पुनः बेनकाब किया है।

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