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कोरोना: यूएस में हर रोज़ 1.5 लाख केस, यूरोप में भी दूसरी लहर

कोरोना: यूएस में हर रोज़ 1.5 लाख केस, यूरोप में भी दूसरी लहर

मॉडर्ना वैक्सीन के प्रभावी होने की रिपोर्ट भले ही उम्मीद जगाए, लेकिन कोरोना की दूसरी लहर ने दुनिया के सामने चिंता बढ़ा दी है। इसमें भी अमेरिका और यूरोप तो गंभीर संकट में हैं। अमेरिका में एक दिन पहले ही 1 लाख 66 हज़ार नये मामले आए।

मॉडर्ना वैक्सीन के प्रभावी होने की रिपोर्ट भले ही उम्मीद जगाए, लेकिन कोरोना की दूसरी लहर ने दुनिया के सामने चिंताएँ बढ़ा दी हैं। इसमें भी अमेरिका और यूरोप में तो गंभीर स्थिति है। अमेरिका में एक दिन पहले ही 1 लाख 66 हज़ार नये मामले आए। इससे एक दिन पहले ही 1 लाख 84 हज़ार से ज़्यादा पॉजिटिव केस आए थे। वहाँ 4 नवंबर के बाद से लगातार एक लाख से ज़्यादा संक्रमण के मामले आ रहे हैं। यूरोप की भी वैसी ही हालत है। यूरोप में एक दिन पहले सवा दो लाख नये संक्रमण के मामले आए। वहाँ भी लगातार 2 लाख से ज़्यादा केस आ रहे हैं। 

यूरोपीय देशों में कोरोना संक्रमण की पहली लहर जब आई थी तो उन देशों में हर रोज़ क़रीब 5-9 हज़ार मामले आ रहे थे। जून-जुलाई आते-आते वहाँ स्थिति इतनी सामान्य सी हो गई थी मानो वायरस को नियंत्रित कर लिया गया हो। अमेरिका में भी जब पहली लहर आई थी तब एक दिन में सबसे ज़्यादा क़रीब 78 हज़ार संक्रमण के मामले आए थे। लेकिन अब इसमें बेतहाशा बढ़ोतरी हो रही है। 

अमेरिका ऐसा पहला देश है जहाँ हर रोज़ कोरोना संक्रमण के मामले 1 लाख से ज़्यादा आ रहे हैं। अमेरिका पहला ऐसा देश है जहाँ एक करोड़ से ज़्यादा संक्रमण के मामले आए। अमेरिका ऐसा पहला देश है जहाँ ढाई लाख से ज़्यादा मौतें हुई हैं।

अमेरिकी स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख अधिकारी और संक्रामक रोगों के प्रमुख डॉ. एंथोनी फॉसी ने कहा है कि यह संभव है कि देश में अगले 4 महीने में 2 लाख लोगों की मौत हो जाए। इसका मतलब है कि क़रीब एक साल पूरा होने पर 4 लाख से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी होगी। 

संक्रमण के मामलों में यह बढ़ोतरी तब हुई है जब हाल में अमेरिका में चुनाव हुआ है। हालाँकि जो बाइडन ने चुनाव प्रचार के लिए जनसभाएँ तो नहीं कीं लेकिन ट्रंप ने जमकर जनसभाएँ कीं। उनकी सभाओं में आए लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों को तोड़ते और मास्क नहीं लगाए हुए देखा गया।

ख़ुद ट्रंप बिना मास्क लगाए प्रचार करते देखे गए थे। कोरोना संक्रमित होने के बाद भी उन्हें मीडिया के सामने मास्क को उतारते हुए देखा गया था। 

अमेरिका में कोरोना की दूसरी लहर के लिए इस चुनावी प्रचार का असर कितना रहा, इस पर कोई रिपोर्ट तो नहीं आई है, लेकिन आशंका पहले से ही जताई जा रही थी कि संक्रमण काफ़ी बढ़ सकता है। 

प्रेजिडेंट-इलेक्ट जो बाइडन ने सोमवार को कहा कि यदि निवर्तमान राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प अमेरिका के सत्ता परिवर्तन को अवरुद्ध करते रहे तो कोरोना वायरस महामारी के बिगड़ने से 'अधिक लोगों की मौत हो सकती है'। 

 - Satya Hindi

यूरोप में भी ऐसी ही स्थिति है। फ़्रांस, रूस, स्पेन, इंग्लैंड, इटली, जर्मनी, पोलैंड और यूक्रेन जैसे देशों में हर रोज़ 10 हज़ार से लेकर 35 हज़ार संक्रमण के मामले आ रहे हैं। पूरे यूरोप में हर रोज़ दो लाख से ज़्यादा संक्रमण के मामले आ रहे हैं। 

यह स्थिति बिल्कुल उसके उलट है जब मार्च महीने में यूरोप कोरोना महामारी का केंद्र था और अप्रैल महीने में यह केंद्र अमेरिका में शिफ़्ट होने लगा था। यह वह वक़्त था जब यूरोप के अधिकतर देशों में लॉकडाउन था और स्कूल-कॉलेज से लेकर बार-रेस्तराँ सब बंद थे। लेकिन जून महीना आते-आते यूरोप में स्थिति नियंत्रण में आने लगी थी। इसके बाद तो स्थिति इतनी सुधर गई थी कि कुछ देशों में स्कूल-कॉलेज, बार-रेस्तराँ आदि तक खोल दिए गए और कई देशों में स्कूलों को खोलने की बात होने लगी थी। स्थिति जब सामान्य सी लगने ही लगी थी कि अब संक्रमण की दूसरी लहर आ गई है। 

पूरे यूरोप में अब तक 1 करोड़ 39 लाख से ज़्यादा संक्रमण के केस आ चुके हैं और तीन लाख से ज़्यादा मौतें हो चुकी हैं।

पूरे भारत में कोरोना संक्रमण के मामले कम होते जा रहे हैं लेकिन कुछ राज्यों में स्थिति ख़राब है। मध्य जुलाई के बाद पहली बार भारत में एक दिन में 30 हज़ार से कम कोरोना संक्रमण के मामले आए हैं। पहले एक समय हर रोज़ क़रीब 98 हज़ार संक्रमण के मामले आने लगे थे। दिल्ली में कोरोना संक्रमण अनियंत्रित होती दिख रही है। इसके लिए केजरीवाल सरकार ने फिर से बाज़ारों में लॉकडाउन लगाने की केंद्र सरकार से अनुमति माँगी है। दो दिन पहले ही देश के गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली में फैलते संक्रमण को देखते हुए बैठक ली थी। केरल, महाराष्ट्र और हरियाणा में भी संक्रमण के मामले ज़्यादा आ रहे हैं। पूरे देश में अब तक 88 लाख से ज़्यादा कोरोना संक्रमण के मामले आए हैं और 1 लाख 30 हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। अब तक सबसे ज़्यादा प्रभावित राज्य महाराष्ट्र है।

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