यूपी: कोरोना मरीज़ ने मौत से पहले वीडियो में कहा- अस्पताल में भारी लापरवाही
उत्तर प्रदेश के अस्पतालों में कोरोना इलाज में जिन लापरवाहियों को प्रशासन नकार रहा है उसको अब झाँसी के अस्पताल में कोरोना मरीज़ के एक वीडियो ने पुष्ट करने का काम किया है। यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है। कोरोना मरीज़ ने अपनी मौत से पहले यह वीडियो बनाया है और उसमें झाँसी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में व्याप्त लापरवाही का आरोप लगाया है।
राज्य के सरकारी अस्पतालों में एक के बाद एक लापरवाहियों की शिकायतें आ रही हैं और इसी बीच आए इस वीडियो से योगी सरकार के उन दावों की पोल खुलती दिख रही है जिसमें कहा गया है कि सरकारी अस्पतालों में कोरोना मरीज़ों के लिए पर्याप्त व्यवस्था है।
झाँसी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में भर्ती कोरोना मरीज़ वीडियो ने यह वीडियो सोमवार को बनाया था। वीडियो बनाने के बाद मरीज़ की मौत हो गई, लेकिन यह पता नहीं चला है कि मौत से कितनी देर पहले उसने वीडियो बनाया था।
वीडियो में मरीज़ को यह कहते सुना जा सकता है, 'पानी की कोई व्यवस्था नहीं है। मैं बहुत परेशान महसूस कर रहा हूँ। मुझे दूसरे अस्पताल में शिफ्ट करो। यहाँ कोई देखभाल नहीं है। कोई व्यवस्था नहीं है और पूरी लापरवाही है।' 'एनडीटीवी' की रिपोर्ट के अनुसार झाँसी के मुख्य चिकित्सा अधिकारी जीके निगम ने कहा है कि उस मरीज़ की पत्नी और बेटी भी कोरोना पॉजिटिव आए हैं और उन्हें दूसरे केंद्र पर रखा गया है। हालाँकि अधिकारी ने अस्पताल में लापरवाही बरतने के आरोपों पर कुछ नहीं कहा।
सोशल मीडिया पर और भी वीडियो वायरस हो रहे हैं जिसमें झाँसी के अस्पताल में पीने का पानी नहीं होने और दूसरी व्यवस्था में भारी लापरवाही बरते जाने के आरोप लगाए गए हैं। राज्य के दूसरे हिस्सों में भी ऐसी लापरवाहियाँ सामने आई हैं।
एक ऐसा ही मामला प्रयागराज से आया था। वीडियो में 57 साल का एक कोरोना मरीज़ सरकारी अस्पताल से बाहर आते दिखा था और जिसका शव रविवार को अस्पताल से क़रीब 500 मीटर दूस झाड़ियों में पड़ा मिला था। 'एनडीटीवी' की रिपोर्ट के अनुसार, उसके परिवार वालों ने आरोप लगाया था कि यह अस्पताल की लापरवाही से हुआ और यह भी कि अस्पताल में प्रताड़ना से तंग आकर मरीज़ अस्पताल से बाहर चला गया था। परिवार वालों ने मरीज़ से हुई बातचीत का ऑडियो क्लिप भी जारी किया था जिसमें मरीज़ कह रहा था कि 'उन्हें अस्पताल में कोई मदद नहीं कर रहा था'।
बता दें कि ऐसा ही एक मामला तेलंगाना के हैदराबाद में भी आया था जिसमें एक मरीज़ ने मरने से पहले वीडियो में आरोप लगाया था कि वह साँस नहीं ले पा रहा था और कथित तौर पर वेंटिलेटर सपोर्ट हटा लिया गया था। जून महीने के आख़िर में वह घटना घटी थी।
उस वीडियो में क़रीब 34 वर्षीय मरीज़ को कहते सुना जा सकता था, 'मैं साँस नहीं ले पा रहा हूँ... हालाँकि मैं गिड़गिड़ाता रहा लेकिन पिछले तीन घंटों से ऑक्सीज़न नहीं दी। पापा, मैं अब साँस नहीं ले पा रहा हूँ, लगता है मेरा हृदय रुक गया है... बाय-बाय पापा।' कुछ रिपोर्टों में कहा गया है कि अस्पताल द्वारा उनको मृत घोषित किए जाने से क़रीब एक घंटा पहले उन्होंने यह वीडियो मैसेज रिकॉर्ड किया था। दिल को दहला देने वाला यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। उस चेस्ट अस्पताल के अधीक्षक महबूब ख़ान ने हालाँकि इस आरोप का खंडन किया था कि वेंटिलेटर हटा दिया गया था। ख़ान ने कहा था कि युवक की दिल की गति अचानक रुकने से मौत हो गई।