कोरोना: एक दिन में सबसे ज़्यादा 194 पॉजिटिव केस, संख्या पहुँची 900 के पार
भारत में कोरोना वायरस पॉजिटिव के मामले हर रोज़ अब पिछले दिनों के मुक़ाबले ज़्यादा आ रहे हैं। पॉजिटिव मामलों की संख्या बढ़कर 979 हो गई है। इससे पहले शनिवार को एक दिन में सबसे ज़्यादा 194 मामले आए और इसके साथ ही पॉजिटिव मामलों की संख्या बढ़कर 918 हो गई थी। अब तक 25 लोगों की मौत हुई है।
वैसे, अब तक सभी देशों में ऐसा ही देखने को आया है कि जब तक इस पर नियंत्रण नहीं हो जाता है तब तक यह काफ़ी तेज़ी से फैलता है। यानी हर रोज़ पहले के मुक़ाबले ज़्यादा लोग प्रभावित होते हैं। हालाँकि भारत में जो मामले सामने आ रहे हैं उसमें संदेह जताया जा रहा है कि पॉजिटिव केस कहीं ज़्यादा होंगे क्योंकि संभावित लक्षण वाले लोगों की जाँच ठीक से नहीं हुई है। यानी ज़्यादा से ज़्यादा जाँच होने पर मामले और ज़्यादा आएँगे।
ऐसे ही आरोप अमेरिका में भी कुछ समय पहले तक लगाए जा रहे थे कि वहाँ जाँच कम हुई है इसलिए संख्या पॉजिटिव संख्या कम दिख रही है। जब जाँच में तेज़ी लाई गई तो संख्या अप्रत्याशित रूप से बढ़ गई।
आज से ठीक 9 दिन पहले अमेरिका में 18,200 मामले थे। लेकिन अब वहाँ पॉजिटिव मामले 1 लाख 23 हज़ार से भी ज़्यादा हो गए हैं। अब तो स्थिति ऐसी है कि हर रोज़ 10 हज़ार से ज़्यादा मामले सामने आ रहे हैं। मरने वालों की संख्या भी बढ़कर 2200 से ज़्यादा हो गई है। वैसे ऐसी ही तेज़ी इटली में भी दिखी थी और वहाँ अब 92 हज़ार से ज़्यादा पॉजिटिव मामले आए हैं।
इटली में काफ़ी ज़्यादा मौतें हुई हैं और यह संख्या 10 हज़ार को पार कर गई है। पॉजिटिव केसों की संख्या के मामले में चीन तीसरे स्थान पर आ गया है और वहाँ अब तक 81439 मामले आए हैं जबकि 3300 लोगों की मौत हुई है। स्पेन में क़रीब 73 हज़ार मामले हैं और वहाँ क़रीब छह हज़ार लोगों की मौत हुई है।
अब भारत में जाँच में तेज़ी 21 मार्च के बाद से लाई गई है और इसके साथ ही पॉजिटिव मामलों की संख्या बढ़ती जा रही है। यह वही समय था जब कई राज्यों में पाबंदी लगाई गई थी। कुछ राज्यों में लॉकडाउन की घोषणा की गई थी। जब क़रीब 30 राज्यों में या तो पूरी तरह या फिर आंशिक रूप से लॉकडाउन हो गया था तब प्रधानमंत्री ने पूरे देश भर में लॉकडाउन की घोषणा कर दी। यानी ज़रूरी सेवाओं को छोड़कर कोई भी सेवा नहीं चलाने का फ़ैसला लिया गया। इसको लागू कराने के लिए सख़्ती भी बरती गई। माना जा रहा है कि इससे वायरस के फैलने की कड़ी टूटेगी और वायरस को काबू किया जा सकेगा। हालाँकि अभी तक ऐसा होता नहीं दिख रहा है और मामले ज़्यादा आ रहे हैं।