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इंदौर के चार कब्रिस्तानों में पहुँचे नौ दिनों में 183 जनाज़े!

इंदौर के चार कब्रिस्तानों में पहुँचे नौ दिनों में 183 जनाज़े!

इंदौर के मुसलिम बाहुल्य इलाक़ों में क्या कोरोना संक्रमण को छिपाया जा रहा है? इंदौर के महू नाका कब्रिस्तान में अकेले गुरुवार को 11 जनाज़े पहुँचे।

इंदौर के मुसलिम बाहुल्य इलाक़ों में क्या कोरोना संक्रमण को छिपाया जा रहा है ज़िला प्रशासन तमाम कोशिशों के बाद भी क्या संक्रमणग्रस्त बस्तियों में लोगों के कथित असहयोग के चलते इस तरह की प्रवृत्ति को काबू में नहीं कर पा रहा है ये और ऐसे अनेक सवाल तब उठने लगे हैं जब इंदौर के कोरोना संक्रमण से ज़्यादा प्रभावित बस्तियों से लगे कब्रिस्तानों में ‘बड़ी संख्या’ में जनाज़ों के पहुँचने लगे हैं।

इंदौर के महू नाका कब्रिस्तान में अकेले गुरुवार को 11 जनाज़े पहुँचे। जबकि खजराना, सिरपुर और लुनियापुरा कब्रिस्तानों में गुरुवार को पहुँचे जनाज़ों की संख्या 10 रही। एक ही दिन में चार कब्रिस्तानों में कुल 21 जनाज़ों के पहुँचने से प्रशासन और मध्य प्रदेश सरकार के माथे पर चिंता की लकीरें बढ़ गई हैं।

मध्य प्रदेश में इंदौर कोरोना हाॅट स्पाॅट बना हुआ है। संक्रमण यहाँ बहुत तेज़ी से बढ़ा है। गुरुवार को इंदौर में एक डाॅक्टर की भी मौत हुई है। शत्रुघ्न पंजवानी नामक डाॅक्टर ने दम तोड़ा है। देश में इंदौर ऐसा पहला शहर बना है, जहाँ कोरोना से पीड़ित डाॅक्टर की मौत हो गई है।

इंदौर में गुरुवार को कोविड-19 के रोगियों का आँकड़ा 221 पहुँच गया था। इनमें 23 लोगों की मौतें दर्ज हुई थीं। कुल रोगियों में 17 ठीक भी हुए। कल शाम तक के कोविड-19 के रोगियों में आठ की हालत गंभीर बताई गई थी।

इंदौर के उपरोक्त चार कब्रिस्तानों को लेकर प्रशासन और सरकार की चिंता इसलिए है, क्योंकि इन चार कब्रिस्तानों में पूरे मार्च महीने में केवल 130 जनाज़े पहुँचे थे। लेकिन एक अप्रैल से लेकर नौ अप्रैल तक यह संख्या 183 दर्ज हुई है।

सबसे ज़्यादा 64 जनाज़े नौ दिनों में महू नाका कब्रिस्तान में पहुँचे हैं। जबकि लुनियापुरा और कटकपुरा के नाम से पहचाने जाने वाले कब्रिस्तान में 56 जनाज़े आए हैं। खजराना कब्रिस्तान में 34 और सिरपुर कब्रिस्तान में एक से नौ अप्रैल के मध्य 29 लोगों को दफनाया गया है। 

 - Satya Hindi

इंदौर शहर के ये चारों कब्रिस्तान उन बस्तियों से लगे हुए हैं, जहाँ कोरोना संक्रमण अत्यधिक फैला हुआ है। अब तक कोविड-19 के सबसे ज़्यादा रोगी इन बस्तियों से ही मिले हैं। सिलसिलेवार मौतों को देखते हुए प्रश्न उठाया जा रहा है कि कहीं लोग कोरोना रोग को छिपा तो नहीं रहे हैं

जाँच करवा रहे हैं: कलेक्टर

इंदौर के कलेक्टर मनीष सिंह ने मीडिया से कहा है, ‘उपरोक्त बस्तियों में मौत के आँकड़े बढ़े हैं, लेकिन ये कोरोना के नहीं हैं। दूसरी जो मौतें हुई हैं, उनमें हाईपरटेंशन और शुगर के मरीज ज़्यादा रहे हैं। अभी घरों से लोगों का मूवमेंट बंद हो गया है। बाहरी आवागमन भी हमने बंद कर दिया है। हम जाँच भी करवा रहे हैं।’

तीन बड़ी घटनाएँ हुई हैं इन बस्तियों में

कोरोना संक्रमण के चलते सख्ती के बीच इंदौर की ज़्यादा प्रभावित इन बस्तियों में तीन बड़ी घटनाएँ हो चुकी हैं। इन बस्तियों में लोगों एक समूह ने डाॅक्टरों और स्वास्थ्य विभाग के दल पर हमला बोला था। मारपीट और पथराव करने से भी वे नहीं चूके थे। इस घटना के पहले स्वास्थ्य अमले पर कोरोना संदिग्धों द्वारा थूकने जैसा इंदौर का शर्मनाक वाकया भी मीडिया की सुर्खी बना था। तीसरी बड़ी घटना इंदौर की एक अन्य बस्ती में पुलिस बल पर हमले के रूप में सामने आयी थी। तमाम घटनाओं के लिए आधा दर्जन से ज़्यादा दोषी लोगों पर रासुका लगाकर उन्हें जेल भेजा जा चुका है।

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