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लॉकडाउन: दिल्ली से घर लौट रहे डेलीवरी एजेंट की मौत, 200 किमी चला था पैदल 

लॉकडाउन: दिल्ली से घर लौट रहे डेलीवरी एजेंट की मौत, 200 किमी चला था पैदल 

लॉकडाउन के बाद हज़ारों लोगों के बीच दिल्ली से पैदल ही मध्य प्रदेश में अपने घर लौट रहे 38 साल के एक शख्स की मौत हो गई। वह दिल्ली में डेलीवरी एजेंट का काम करने थे।

लॉकडाउन के बाद हज़ारों लोगों के बीच दिल्ली से पैदल ही मध्य प्रदेश में अपने घर लौट रहे 38 साल के एक शख्स की मौत हो गई। वह दिल्ली में डेलीवरी एजेंट का काम करते थे। लॉकडाउन के बाद घर के लिए निकला यह शख्स 200 किलोमीटर से ज़्यादा चल चुका था और अपने घर से क़रीब 80 किलोमीटर ही दूर था।  

वह उन हज़ारों लोगों में से एक थे जो दिल्ली एनसीआर से लगातार तीन-चार दिन से जैसे-तैसे अपने घर पहुँचने की जद्दोजहद में हैं। पैदल ही लोग अपने-अपने घरों के लिए निकले जा रहे हैं चाहे कोई वाहन मिले या न मिले। लॉकडाउन के बाद देश भर में ऐसा ही माहौल है। काम बंद होने के कारण ग़रीब मज़दूरों को शहर में रहना ज़्यादा ही मुश्किल हो रहा है और हज़ार-हज़ार किलोमीटर तक पैदल चलने के लिए ऐसे लोग जोखिम उठा रहे हैं। हालाँकि, सरकारों ने अपनी-अपनी तरफ़ से खाने-पीने की व्यवस्था करने के दावे किए हैं और सरकार ने भी राहत पैकेज की घोषणा की है। लेकिन लगता है ये नाकाफ़ी साबित हो रहे हैं।

मृतक व्यक्ति का नाम रणवीर सिंह बताया जाता है और वह दिल्ली से क़रीब 326 किलोमीटर दूर मध्य प्रदेश के मुरैना ज़िले के रहने वाले थे। 'एनडीटीवी' की रिपोर्ट के अनुसार वह हाईवे से आगरा पहुँचे थे कि वह चलते-चलते गिर पड़े। एक स्थानीय दुकानदार ने उन्हें चाय और बिस्किट खिलाई। लेकिन कुछ देर बाद ही उन्हें दिल का दौरा पड़ा और उनकी मौत हो गई। 

पिछले तीन-चार दिनों से दिल्ली-एनसीआर से पैदल ही अपने गृह राज्य जाने के लिए निकले हज़ारों लोगों की तसवीरें आती रही हैं। बता दें कि दिल्ली-एनसीआर में कोरोना पॉजिटिव के मामले काफ़ी ज़्यादा आए हैं। लॉकडाउन के बीच काम बंद होने से कई लोगों के सामने भूखे रहने की नौबत आ गई है। इनके सामने संकट कैसा है इसका अंदाज़ा दिल्ली के आनंद विहार की शनिवार शाम की तसवीर से लगाया जा सकता है। 

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा एक हज़ार बसों की व्यवस्था किए जाने की ख़बर के बाद शनिवार रात को दिल्ली के नज़दीक आनंद विहार बस अड्डे पर हज़ारों लोग पहुँच गए। इससे ज़बरदस्त अफरातफरी और अव्यवस्था का माहौल रहा। इस भीड़ में स्त्रियाँ, बच्चे, बुजुर्ग सभी उम्र के लोग थे। बसों की संख्या इतनी नहीं हो पायी कि सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन हो पाए। ऐसे में लोगों के बीच वायरस फैलने का भी ख़तरा बना रहा। 

ऐसा नहीं है कि लोग सिर्फ़ दिल्ली-एनसीआर से पैदल ही पलायन कर रहे हैं। ऐसी ही तसवीरें गुजरात के अहमदाबाद, तेलंगाना के हैदराबाद जैसे शहरों से भी आई हैं। अहमदाबाद से निकलकर लोग राजस्थान में अपने घर पहुँचने की कोशिश में हैं। हैदराबाद में पढ़ने वाले हज़ारों छात्र आंध्र प्रदेश में पहुँच जाना चाहते हैं। ऐसी ही स्थिति चेन्नई, बेंगलुरु जैसे शहरों में दिखी। पूरे देश में यातायात के साधन नहीं हैं और लोगों के भूखे रहने की नौबत आ गई है। ऐसे में वे पैदल ही सैकड़ों किलोमीटर पैदल चल घर पहुँचने का रास्ता चुन रहे हैं। 

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