मप्र: कोरोना की डबल डोज़ ले चुके लोगों को ही मिलेगी शराब!
कोरोना टीकाकरण के लक्ष्य को पूरा करने के लिए देश के अन्य हिस्सों की तरह मध्य प्रदेश में भी सरकारी मशीनरी को एड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ रहा है। नागरिकों को दोनों डोज़ लेने के लिए मशीनरी अजीबो-गरीब फरमान भी जारी कर रही है।
इसी क्रम में मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में आदेश दिया गया है, ‘शराब उन्हीं ग्राहकों को बेची जाए, जिन्हें दोनों डोज़ लग चुकी हों।’
खंडवा जिले के आबकारी अफ़सर ने शराब के लिए कोरोना वैक्सीन के दो डोज़ अनिवार्य होने के आदेश की पुष्टि की है। अफ़सर का कहना है, “आदेश लागू भी हो गया है।”
अफ़सर के मुताबिक़, शराब खरीदने के लिए पहुंचने वाले ग्राहक से दुकान संचालक इस बात की पुष्टि पहले कर रहे हैं कि उस शख्स ने वैक्सीन की दोनों डोज़ लगवा ली हैं या नहीं? ग्राहक जब इस बात की मौखिक पुष्टि करता है कि उसे दोनों डोज़ लग चुकी हैं, तभी उसे शराब बेची जा रही है।
यह पूछने पर कि दोनों डोज़ लगवा लेने संबंधी कोई प्रमाण, शराब बेचने वाले दुकानदार देख रहे हैं क्या? अधिकारी ने कहा, “सर्टिफिकेट नहीं देखा जा रहा है, दोनों डोज़ ले लेने संबंधी मौखिक स्वीकारोक्ति भर खरीददार से ली जा रही है।”
जब पूछा गया कि सामने वाला झूठ बोल रहा हो तो कैसे मालूम होगा? इस पर आबकारी महकमे के अफ़सर ने हैरान करने वाला हास्यापद तर्क दिया। अफ़सर ने कहा, “मेरा अपना व्यक्तिगत अनुभव है, शराब पीने वाला कभी भी झूठ नहीं बोलता।”
आबकारी अफ़सर ने यह भी बताया कि स्थानीय प्रशासन के आदेश को जिले में शराब की सभी दुकानों पर बोर्ड बनवाकर चस्पा भी किया जा रहा है।
सिंगरोली में एफआईआर के आदेश
मध्य प्रदेश के अनुसूचित जनजाति बाहुल्य सिंगरोली जिले के कलेक्टर राजीव रंजन मीणा ने पिछले सप्ताह सख्त आदेश जारी करते हुए कहा था, “जिनकी कोरोना की दूसरी डोज़ बाक़ी है, यदि वे 15 नवंबर तक दूसरी डोज़ नहीं लगवायेंगे तो ऐसे लोगों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज करने का कदम उठाया जायेगा।”
कलेक्टर ने अपने आदेश में कहा, “शासकीय, अर्द्धशासकीय, निजी और अन्य संस्थानों में काम करने वाले जो भी कर्मचारी/श्रमिक दूसरी डोज़ नहीं लगवायेंगे, उन्हें ड्यूटी से अनुपस्थित घोषित किया जाएगा। ड्यूटी पर पहुंचने के लिए जारी गेट पास रद्द कर दिए जायेंगे।”
कलेक्टर द्वारा दी गई डेडलाइन निकल चुकी है, फिलहाल तो सिंगरोली से कोई एफ़आईआर होने की सूचना अभी निकलकर सामने नहीं आयी है। यह जरूर मालूम हुआ है कि डीएम के आदेश के बाद लोगों ने दूसरी डोज़ लगवाने का क्रम तेज कर दिया है।
पूरी तरह अनलॉक हुआ मप्र
मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह सरकार ने 17 नवंबर से मध्य प्रदेश को पूरी तरह से अनलॉक कर दिया है। मास्क और फिजिकल डिस्टेंस संबंधी कोरोना गाइड लाइन को छोड़कर सभी तरह की पाबंदियां सरकार ने हटा ली हैं। रात के कर्फ़्यू से मुक्ति के अलावा सूबे की जनता को सार्वजनिक कार्यक्रमों में आने-जाने, शादी-ब्याह, मृत्यु के अवसर पर होने वाली रस्मों, राजनैतिक-धार्मिक जुलूस-जलसों, मेले-ठेले लगाने की आजादी सरकार ने दी है।
शादी-ब्याह का सीजन दो दिन पहले आरंभ हुआ है, सभी पाबंदियां हटने से समारोह को भव्यता के साथ मनाने वाले खासे खुश हैं।
उधर, डॉक्टर बिरादरी कह रही है, “अतिउत्साह में किसी भी तरह की चूक भारी पड़ सकती है, कोरोना अभी पूरी तरह से ख़त्म नहीं हुआ है।”
47 जिले कोरोना फ्री
डॉक्टरों की चिंता सही भी है, मध्य प्रदेश में छिटपुट संख्या में कोरोना के रोगियों के मिलने का सिलसिला अभी भी जारी है। हालांकि 52 में से 47 जिले कोरोना फ्री हैं। भोपाल और इंदौर सहित बचे हुए जिलों में कोरोना के एक्टिव केस हैं। मप्र में आज भी कोविड-19 के सात रोगी मिले हैं।
जारी है वैक्सीन महाअभियान
मध्य प्रदेश की कुल जनसंख्या 8.50 करोड़ है। टीके लेने के लिए अधिकृत 18 वर्ष और इससे ऊपर की आयु सीमा वाले कुल पात्रों में से पांच करोड़ लोगों को ही अभी टीके की पहली डोज़ लग पायी है।
मध्य प्रदेश सरकार के दावों के अनुसार, वह टीकाकरण में देश में ऊपरी पायदान पर है। दावों के अनुसार, 92 प्रतिशत लोगों को पहली और 50 प्रतिशत लोगों को दोनों डोज़ लग चुकी हैं। सरकार ने 31 दिसंबर तक 100 प्रतिशत पात्र लोगों को टीके की दोनों डोज़ देने का लक्ष्य रखा है।
राज्य की सरकार ने 10 और 17 नवंबर को महाअभियान चलाकर लक्ष्य हासिल करने का प्रयास किया है। अभियान के तहत 17 नवंबर को रिकार्ड 17 लाख टीके लगाये गये। अब 24 नवंबर और 4 दिसंबर को भी महाअभियान चलाया जाएगा।