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अमेरिका पर कोरोना की मार, 6 हफ़्तों में 3 करोड़ बेरोज़गार

अमेरिका पर कोरोना की मार, 6 हफ़्तों में 3 करोड़ बेरोज़गार

अमेरिका में बीते 6 हफ़्तों में 3 करोड़ से ज़्यादा लोगों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा है।

कोरोना किस कदर दुनिया भर की अर्थव्यवस्था को तबाह कर रहा है और कैसे करोड़ों लोग बेरोज़गार हो रहे हैं इसकी एक बानगी है अमेरिका। अमेरिका में बीते 6 हफ़्तों में 3 करोड़ से ज़्यादा लोगों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा है। जिन लोगों ने श्रम विभाग में रोज़गार जाने के बाद मिलने वाली सुविधाओं और रियायतों को लिए आवेदन किए हैं, उनकी संख्या के आधार पर यह अनुमान लगाया गया है। 

कोई रियायत नहीं!

सरकारी एजेन्सियाँ इससे परेशान हैं और वे इतने लोगों के लिए इंतजाम नहीं कर पा रही हैं। इसका नतीजा यह है लाखों लोगों को कोई रियायत नहीं मिल रही है। ऐसे लोग न घर भाड़ा दे पा रहे हैं और न ही खाने-पीने का इंतजाम कर रहे हैं। 

अमेरिकी अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि वाकई में इससे कहीं अधिक लोगों की नौकरी गई है। 

इकोनॉमिक पॉलिसी इंस्टीच्यूट ने अपने अध्ययन में पाया है कि बीते चार हफ़्तों में जितने लोगों को बेरोज़गारी से जुड़ी रियायतें मिलीं, उससे कहीं ज़्यादा लोगों को ये सुविधाएँ मिल सकती थी।

आँकड़ों से ज़्यादा बेरोज़गार!

लेकिन कई लोगों ने इन रियायतों के लिए आवेदन नहीं किया क्योंकि इससे जुड़ी प्रक्रिया बेहद जटिल थी। इस इंस्टीच्यूट के वरिष्ठ अर्थशास्त्री एलिस गोल्ड ने न्यूयॉर्क टाइम्स से कहा, ‘आँकड़े जो बता रहे हैं, समस्या उससे बड़ी है। हम आर्थिक कष्ट के दौर से गुजर रहे हैं।’

नतीजा यह है कि ये रियायतें देने वाली एजेन्सियाँ बदहाल हैं। शेयर बाज़ार पर बहुत ही बुरा असर पड़ा है। एस एंड पी 500 सूचकांक 1 प्रतिशत नीचे गिरा। अमेरिका के सभी राज्यों का अध्ययन किया गया है। यह पाया गया है कि ऐसी बेरोज़गारी 1930 के महामंदी के बाद कभी नहीं आई। 

बढ़ रही है बेरोज़गारी की रफ़्तार

अमेरिका में लोगों की नौकरी किस रफ़्तार से जा रही है, इसे इससे भी समझा जा सकता है कि सिर्फ बीते दो हफ़्तों में 80 लाख लोगों की नौकरी गई है। 

इसके पहले के 4 हफ़्ते में अमेरिका में 2.20 करोड़ लोगों की नौकरी गई थी। इसके साथ ही औद्योगिक उत्पादन और खुदरा बिक्री में भी ऐतिहासिक गिरावट देखी गई थी।

श्रम विभाग के आँकड़े

आईएनजी से जुड़े अर्थशास्त्री जेम्स नाइटली ने वॉल स्ट्रीट जर्नल से कहा था कि मौजदा 14 प्रतिशत की दर से बेरोज़गारी बढ़ती रही तो बेरोज़गारों की संख्या जल्द ही 1.50 करोड़ हो जाएगी। इसका मतलब यह है कि साल 2009 के बाद रोज़गार के क्षेत्र में जो बढ़त हासिल हुई थी, वह बेकार चली जाएगी। लेकिन अब तक का ही आँकड़ा उससे आगे निकल चुका है। 

वजह यह है कि बार, रेस्तरां, दुकान, होटल वगैरह बंद होने से उनमें काम करने वालों को नौकरी से निकाल दिया गया है। इसके अलावा निर्माण कार्य में लोगों की नौकरी भी गई है।

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