यूपी: बारिश होने से रेत बही तो दिखने लगे दफन किए शव, जानवरों ने नोचा
उत्तर प्रदेश के कई शहरों में बीते दिनों गंगा और अन्य नदियों में शवों के बहने की तसवीरें सामने आईं। राज्य सरकार ने अपनी नाकामियों को छुपाने और सोशल मीडिया पर हो रही फ़जीहत से बचने के लिए शवों को निकालकर घाट के किनारे दफ़ना दिया और सख़्त पहरा भी लगा दिया जिससे कोई भी शवों को गंगा या दूसरी नदियों में न फेंक सके।
योगी सरकार ने ऐसा करके राहत की सांस ली ही थी कि झमाझम बारिश ने उसके अरमानों पर पानी फेर दिया। प्रयागराज के इलाक़े में कुछ दिन पहले लगातार तीन दिन तक हुई बारिश से गंगा की रेत में दफन कई शव बाहर निकल आए हैं। इनमें से कुछ शवों को जंगली जानवर नोचने लगे हैं।
अमर उजाला के मुताबिक़, प्रयागराज के ऊंचाहार, डलमऊ, सरेनी विकास खंड क्षेत्र के गंगा घाटों की तसवीरों से लोगों में दहशत फैल गई है। बारिश के कारण इन शवों के ऊपर की रेत बह गई है। कहीं पर शवों से निकली हड्डियां तो कहीं कुछ कपड़े बिखरे हुए दिखाई पड़ रहे हैं। स्थानीय अफ़सरों का कहना है कि ये शव पुराने हैं जबकि इस घाट पर आने वाले लोग अफ़सरों की बात को ग़लत बताते हैं।
इसी तरह फाफामऊ कछार इलाक़े में दफ़नाए गए शव भी लगातार बारिश के कारण दिखाई पड़ने लगे। शवों के आसपास कुत्तों के होने की जानकारी मिलते ही नगर निगम की टीम वहां पहुंची और सभी शवों को फिर से बालू से पाट दिया गया।
स्थानीय लोगों के मुताबिक़, तीन दिन तक हुई बारिश से गंगा की रेत में दफन शवों के ऊपर से बालू बह गई और अब इससे शव बाहर निकल आए हैं और इन्हें जंगली जानवर खा रहे हैं। जानवरों के खाने के बाद कंकाल भी दिखाई देने लगे हैं और हड्डियां भी रेत पर पड़ी हैं। बारिश में रेत के बह जाने के बाद शवों के दिखाई देने के कारण स्थानीय प्रशासन को कुछ कहते नहीं सूझ रहा है।
रेत में शव दफन करने की तसवीरें जब सामने आई थीं, तभी से कहा जा रहा था कि बारिश होने से ये शव गंगा में बह जाएंगे और सारा पानी प्रदूषित हो जाएगा। कई दिनों तक शवों के गंगा में पड़े रहने के कारण पहले ही काफ़ी पानी गंदा हो चुका है।
कुछ दिन पहले प्रयागराज में गंगा किनारे स्थित श्रृंगवेरपुर धाम का एक वीडियो वायरल हुआ था। यह वीडियो समाचार चैनल न्यूज़ 18 का था। इसमें बताया गया था कि यहां 6-7 फुट गड्ढे खोदकर इनमें शवों को डाला गया है। गड्ढों को भरकर इनके बाहर से कपड़े और लकड़ियां लगा दी गई हैं। इस वीडियो में एक स्थानीय शख़्स ने कहा था कि बीते 10-15 दिनों में 4 से 5 हज़ार शव घाट में आ चुके हैं। हालांकि आधिकारिक रूप से इसकी कोई पुष्टि नहीं हुई थी।
लोगों की मुश्किल
गंगा किनारे बसे शहरों में रहने वाले लोगों का इस बारे में कहना था कि अंतिम संस्कार में लगने वाला सामान इन दिनों काफी महंगा हो गया है। एक व्यक्ति के अंतिम संस्कार में कम से कम 10 हज़ार का ख़र्च आता है। इसके अलावा श्मशान घाटों पर कोरोना संक्रमितों की मौतों के कारण लंबी लाइन लग रही है। श्मशान घाट में लकड़ियों की भी बहुत कमी हो गई है। ऐसे में इन मुश्किलों से बचने के लिए कई लोग शवों को दफना दे रहे हैं।
कोरोना संक्रमण फैलने का डर भी एक बड़ी वजह है, जिससे लोग शवों के अंतिम संस्कार से बच रहे हैं और घाटों पर जाकर इन्हें दफ़नाने के लिए दे देते हैं।