क्या RSS ने 1949 में मनुस्मृति आधारित संविधान मांगा था?
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे और कर्नाटक में कांग्रेस विधायक प्रियंक खड़गे ने आरएसएस पर तीखा हमला किया है। उन्होंने ऐतिहासिक दस्तावेजों के हवाले से आरएसएस पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि आरएसएस ने 1949 में बाबा साहब आंबेडकर का पुतला दिल्ली के रामलीला मैदान में जलाया था। खड़गे ने बीजेपी महासचिव सी टी रवि से कहा कि वो अगर अनुमति दिलवाएं तो इन ऐतिहासिक तथ्यों को मैं देश की संसद में रख सकता हूं।
दरअसल, कर्नाटक विधानसभा में बीजेपी के सीनियर नेता सीटी रवि ने प्रियंक खड़गे से पूछा कि क्या उनके पास कोई सबूत है कि आरएसएस ने हिन्दू कोड बिल. संविधान और आम्बेडकर का विरोध किया था। प्रियंक खड़गे ने एक के बाद एक ट्वीट में कहा कि बीजेपी के विधायकों और नेताओं को आरएसएस के मुखपत्र ऑर्गनाइजर के पुरान आर्काइव्ड अंक और संविधानसभा की बहसों को पढ़ना चाहिए, जो आसानी से उपलब्ध हैं।
प्रियंक खड़गे ने कर्नाटक विधानसभा स्पीकर के पास जमा कराए गए दस्तावेजों के हवाले से कहा कि 7 दिसंबर 1949 को संघ के मुखपत्र ऑर्गनाइजर ने लिखा था - हम हिन्दू कोड बिल का विरोध करते हैं, क्योंकि यह विदेशी और अनैतिक सिद्धांतों पर आधारित एक अपमानजनक उपाय है। यह हिन्दू कोड बिल नहीं है। यह हिंदू के बजाय कुछ और है। हम इसकी निंदा करते हैं क्योंकि यह हिंदू कानूनों, हिंदू संस्कृति और धर्म से दूर है।
प्रियंक खड़गे के मुताबिक आरएसएस ने हिन्दू कोड बिल विरोधी कमेटी का नेतृत्व किया। 12 दिसंबर 1949 को आरएसएस के लोगों ने दिल्ली के रामलीला मैदान में हिन्दू कोड बिल और संविधान को मनु स्मृति के हिसाब से नहीं बनाने के विरोध में बाबा साहब आम्बेडकर का पुतला जलाया। हिन्दू कोड बिल पर संसद में जब चर्चा जारी थी तो संघ ने जवाहर लाल नेहरू और आम्बेडकर का मजाक उड़ाया। प्रियंक खड़गे ने ये सारे तथ्य ऑर्गनाइजर की रिपोर्ट के हवाले से पेश किए हैं।
As the Hon. Speaker had asked me to submit any information (historical) I may have that RSS had rejected the idea of Hindu Code Bill & Constitution, I have done the needful, officially.
— Priyank Kharge / ಪ್ರಿಯಾಂಕ್ ಖರ್ಗೆ (@PriyankKharge) December 27, 2022
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मनु स्मृति वाला संविधान चाहिए
प्रियंक खड़गे ने 7 दिसंबर 1949 को ऑर्गनाइजर में प्रकाशित लेख का हवाला देते हुए बताया कि उस समय आरएसएस ने अपने विचार लिखते हुए कहा था कि भारत को मनु स्मृति के हिसाब से चलाने वाला संविधान चाहिए। ये जो मौजूदा संविधान है, इसमें भारतीयता कहां है।
प्रियंक ने सावरकर की एक किताब के चैप्टर (मनुस्मृति में महिलाएं- संपूर्ण सावरकर संकलन पेज 416) के हवाले से लिखा है कि इस संविधान में भारतीयता कहां है। देश में वेद के बाद मनुस्मृति सबसे ज्यादा पूजी जाती है। मनु स्मृति ही अब हिन्दू कानून है। लेकिन इस संविधान में यह सब कहां है। बता दें कि इसी किताब में सावरकर ने सबसे पहले शब्द हिन्दू राष्ट्र का इस्तेमाल किया था।
प्रियंक के मुताबिक 30 नवंबर 1949 को ऑर्गनाइजर ने एक संपादकीय लिखा था जिसमें संविधान को लेकर सवाल उठाए गए थे कि इसमें मनु स्मृति के कानून कहां हैं। जिसे हिन्दू सबसे ज्यादा मानते हैं। इसी तरह उन्होंने गोलवलकर की पुस्तक बंच ऑफ थाट्स का भी जिक्र किया है, जिसमें कॉल टु द मदरहुड चैप्टर में गोलवलकर ने लिखा है कि हिन्दू महिलाएं आधुनिक होने से बचें। बता दें कि गोलवलकर आरएसएस के दूसरे सर संघचालक हुए हैं। वो 1906 में पैदा हुए थे। जून 1973 में उनका निधन हुआ था।