सुप्रीम कोर्ट पर ट्वीट से कुनाल कामरा पर अवमानना का केस
रिपब्लिक टीवी के संपादक अर्णब गोस्वामी की ज़मानत को लेकर एक के बाद एक कई ट्वीट से सुप्रीम कोर्ट की आलोचना करने पर स्टैंड अप कॉमेडियन कुनाल कामरा पर अवमानना का केस चलेगा। एटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने यह केस चलाने की अनुमति दे दी है। क़ानून के एक छात्र और दो वकीलों ने इस मामले में अवमानना का केस चलाने के लिए मंजूरी माँगी थी। अपील करने के 24 घंटे के अंदर ही उन्हें यह मंजूरी मिल गई। सुप्रीम कोर्ट और इसके जज पर ट्वीट करने के मामले में हाल के दिनों में यह दूसरा मामला है। इससे पहले प्रतिष्ठित वकील प्रशांत भूषण पर अवमानना का केस चला था और इस पर काफ़ी बहस भी हुई थी।
कुनाल कामरा के ख़िलाफ़ ताज़ा अवमानना का मामला अर्णब गोस्वामी पर एक फ़ैसले से जुड़ा है। सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदिरा बनर्जी ने एक दिन पहले ही इस मामले में सुनवाई की। चंद्रचूड़ ने इस बात पर निराशा जताई कि हाई कोर्ट किसी नागरिक की व्यक्तिगत आज़ादी की सुरक्षा के लिए अपने न्यायिक अधिकारों का प्रयोग करने में असफल रहा। उन्होंने कहा कि अगर यह अदालत आज इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करती है तो यह विनाश के रास्ते पर ले जाने वाला होगा। अदालत ने कहा कि अगर राज्य सरकारें किसी शख़्स को निशाना बनाती हैं तो उन्हें इस बात का अहसास होना चाहिए कि सुप्रीम कोर्ट उनकी सुरक्षा के लिए है।
सुप्रीम कोर्ट के इस फ़ैसले पर अलग-अलग लोगों ने प्रतिक्रियाएँ दीं और दूसरे कई राज्यों में पत्रकारों के जेल में होने का हवाला दिया गया। सोशल मीडिया पर लोगों ने कहा कि कई जगहों पर तो पत्रकारों को सिर्फ़ ट्वीट करने भर के लिए जेल में बंद रखा गया है और उन्हें ज़मानत नहीं मिल रही है।
इसी क्रम में स्टैंड अप कॉमेडियन कुनाल कामरा ने सुप्रीम कोर्ट की आलोचना वाले कई ट्वीट किए। उनमें उन्होंने जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ का नाम भी लिया।
कुनाल कामरा के ट्वीट पर ही कई ट्विटर यूज़र ने आपत्ति जताई और उन्हें अवमानना का केस के लिए तैयार रहने की चेतावनी दी। इसी बीच कई लोगों ने अवमानना का केस चलाने के लिए एटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल से अनुमति माँगी।
एटॉर्नी जनरल ने जो अनुमति दी है उसमें उन्होंने कहा है, 'यही वह समय है जब लोगों को समझ आना चाहिए कि सर्वोच्च न्यायालय पर बिना किसी तर्क के और खुलेआम हमला करने के लिए सज़ा मिलेगी।'
अटॉर्नी जनरल ने कहा कि कॉमेडियन के ट्वीट न केवल ग़लत संदर्भ में थे बल्कि स्पष्ट रूप से हास्य और अवमानना के बीच की रेखा को पार कर गए। वेणुगोपाल ने कहा, 'ट्वीट भारत के सर्वोच्च न्यायालय और उसके न्यायाधीशों की संपूर्ण निष्ठा के ख़िलाफ़ एक घोर अपमान है।'
उन्होंने यह भी कहा कि आज लोग दुस्साहसपूर्वक और खुलेआम सर्वोच्च न्यायालय और उसके न्यायाधीशों की निंदा करते हैं जिसे वे मानते हैं कि अभिव्यक्ति की आज़ादी है।
अर्णब की गिरफ़्तारी क्यों
बता दें कि आर्किटेक्ट अन्वय नाइक और उनकी मां की आत्महत्या के मामले में गिरफ़्तार अर्णब गोस्वामी को बुधवार रात को जेल से रिहा कर दिया गया। 4 नवंबर की सुबह रायगढ़ और मुंबई पुलिस ने अर्णब गोस्वामी को उनके घर से गिरफ़्तार कर लिया था। अर्णब ने रिहाई के लिए बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया था। लेकिन वहाँ से उन्हें राहत नहीं मिली थी। इसके बाद अर्णब के वकीलों ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट का रूख़ किया था।वैसे, कुनाल कामरा और अर्णब गोस्वामी के बीच 36 का आँकड़ा रहा है। दोनों के बीच इसकी शुरुआत तब हुई थी जब इसी साल जनवरी में कुनाल कामरा ने फ़्लाइट में अर्णब गोस्वामी को घेरा और उनसे कुछ सवाल पूछे थे। लेकिन अर्णब गोस्वामी ने उनके सवालों का जवाब देना तो दूर, उनसे बात तक नहीं की थी। कामरा ने इस घटना का वीडियो अपने ट्विटर अकाउंट पर शेयर किया था। इसके बाद इसे मामले ने काफ़ी तूल पकड़ा था।
I did this for my hero...
— Kunal Kamra (@kunalkamra88) January 28, 2020
I did it for Rohit pic.twitter.com/aMSdiTanHo
बहरहाल, सुप्रीम कोर्ट में अवमानना का एक ऐसा ही मामला अगस्त महीने में काफ़ी चर्चा में रहा था जिसमें प्रशांत भूषण का नाम आया था। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट और इसके आख़िरी पाँच मुख्य न्यायाधीशों पर टिप्पणी की थी। यह मामला अपनी तरह का एक अलग मामला बन गया था और बेहद सुर्खियों में रहा था। आख़िर में कोर्ट ने प्रशांत भूषण को अवमानना का दोषी माना था और उनपर 1 रुपये का जुर्माना भी लगाया था।