कुनाल कामरा को लेकर बंटा सोशल मीडिया, हुई जोरदार बहस
पत्रकार अर्णब गोस्वामी को ‘व्यक्तिगत आज़ादी’ के आधार पर जमानत देने के बाद सुप्रीम कोर्ट के इस फ़ैसले की जमकर आलोचना हो रही है। आलोचना करने वालों में सबसे मुखर हैं कॉमेडियन कुणाल कामरा। कामरा के ट्वीट्स के ख़िलाफ़ अदालत से शिकायत की गई और अदालत ने उन पर अवमानना का मुक़दमा चलाये जाने की मंजूरी दे दी।
लेकिन लगता है कि कामरा इससे झुकने वाले नहीं हैं। कामरा ने एलान-ए-जंग करते हुए कहा है कि वह न तो वकील हायर करेंगे, न ही माफ़ी मांगेंगे और न जुर्माना भरेंगे। कामरा के मुताबिक़, उन्होंने जो कहा है वह उससे पीछे नहीं हटेंगे।
इसके बाद हालिया प्रशांत भूषण मामले की भी याद लोगों को ताज़ा हो आई है। प्रशांत भूषण ने अपने ट्वीट्स को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बताते हुए माफ़ी मांगने से इनकार कर दिया था और सुप्रीम कोर्ट को उन्हें एक रुपये के जुर्माने पर छोड़ना पड़ा था।
देखिए, इस विषय पर वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की टिप्पणी-
लेकिन कामरा जब ये कहते हैं कि वह कोई जुर्माना भी नहीं भरेंगे तो इसका मतलब साफ है कि यह मामला और तूल पकड़ेगा। आइए, देखते हैं कि ट्विटर पर लोगों का कुणाल के ट्वीट्स और उन पर अवमानना का मुक़दमा चलाने को लेकर क्या कहना है।
कुणाल के माफ़ी न मांगने वाले ट्वीट पर साकेत राय नाम के यूजर लिखते हैं कि हमें तुम पर गर्व है।
#kunalkamra #ContemptOfCourt
— Saket Rai (@SaketRa47639915) November 13, 2020
You are real men.... Keep fight with this selective judgment office ... @kunalkamra88 we are proud on you ... https://t.co/I8H6S3UxWl
एडवोकेट अब्दुल हन्नान लिखते हैं कि वे कुणाल कामरा के बयान का समर्थन नहीं करते लेकिन साथ ही वह अर्णब गोस्वामी की भाषा को लेकर सवाल भी उठाते हैं।
मै #कुणाल_कामरा के बयान का समर्थन नहीं करता परंतु एक सवाल है कि एक पत्रकार एक राज्य के मुख्यमंत्री और पुलिस कमिश्नर के प्रति #अपशब्दों का इस्तेमाल करता है,तो वो सुप्रीम कोर्ट की नजर फ्रीडम ऑफ स्पीच है परन्तु कोर्ट के प्रति की गई टिप्पणी अवमानना के अंतर्गत क्यों आती है। pic.twitter.com/5OVxHKuxjo
— AdvocatE AbduL HannaN (@advocate_hannan) November 12, 2020
एडवोकेट बजरंग राठौर कहते हैं कि ईश्वर कुणाल को थोड़ा समझ दे।
I never seen this type of third class guy who make jokes on each and everything, may God give you some sense.
— Advocate Bajrang Rathore (@BajrangRathor11) November 12, 2020
#kunalkamra
रेखा मीणा सुप्रीम कोर्ट की निष्पक्षता पर सवाल उठाती हैं।
सुप्रीम कोर्ट की निष्पक्षता पर क्या आपको कभी शक नहीं होता..
— Rekha Meena (@Iamrekhameena) November 13, 2020
डरिये मत! सच कहिए!
एडवोकेट वंदना जोशी पूछती हैं कि कुणाल कामरा पर अवमानना का केस क्यों किया गया है
कुणाल कामरा पर अवमानना का केस क्यों ..
— वंदना जोशी (Advocate, Delhi High Court) (@Vandana55422147) November 13, 2020
क्योंकि मिलार्ड को भी अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बचाये रखनी है।
दिनेश भारद्वाज नाम के ट्विटर यूजर कहते हैं कि कुणाल कामरा ने जो कहा है, वो बात देश की सारी जनता कहना चाहती है, कह नहीं पाई वो बात अलग है।
कुणाल कामरा ने जो कहा है ,वो बात तो देश की सारी जनता कहना चाहती है ,कह नही पाई वो बात अलग है ..देश की किसी भी सवैधानिक संस्था पर बीजेपी का झंडा लगे या ना लगे.. ये संस्थाएं है तो अब बीजेपी की ही..
— dinesh bhardwaj (@bhardwaj2509) November 13, 2020
मोहम्मद अली लिखते हैं, ‘अफसोस जो आवाज़ इस देश के पत्रकारों को उठानी चाहिए थी वो आवाज एक स्टैंड अप कॉमेडियन कुणाल कामरा को उठानी पड़ रही है।’
अफसोस कि जो आवाज इस देश के पत्रकारों को उठाना चाहिए थी वो आवाज एक स्टैंड अप कॉमेडियन #कुणाल_कामरा को उठाना पड़ रही है।
— Mohd Ali (@Mohdaliali1234) November 13, 2020
कुणाल जैसे लोगो की हिम्मत की तारीफ करनी पड़ेगी जो आपके लिए खुद को मुसीबत में डाल देते है
‘व्यक्तिगत आज़ादी’ पर भी सवाल
शीर्ष अदालत की ‘व्यक्तिगत आज़ादी’ वाली टिप्पणी भी सोशल मीडिया पर बहस का मुद्दा बनी हुई है। लोगों का कहना है कि क्या वरवर राव, उमर खालिद व कुछ अन्य लोगों की कोई व्यक्तिगत आज़ादी नहीं है। सोशल मीडिया पर कुछ लोगों के फ़ोटो वायरल कर या उनका जिक्र कर अदालत से पूछा जा रहा है कि आख़िर इन लोगों के लिए व्यक्तिगत आज़ादी वाला क़ानून या अधिकार लागू क्यों नहीं होता।
इनमें पत्रकार सिद्दीक़ी कप्पन, सामाजिक कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज, 79 वर्षीय वरवर राव, 83 साल के स्टेन स्वामी, यूएपीए के तहत गिरफ़्तार उमर खालिद, जेएनयू के छात्र शरजील इमाम, जामिया के छात्र मीरान हैदर सहित कुछ और लोगों के नाम हैं। विक्रम नाम के यूज़र ने ऐसा ही एक ट्वीट किया।
Where Is The Personal Liberty #ContemptOfCourt#kunalkamra pic.twitter.com/MkLXpzOBds
— ᐯIKᖇᗩᗰ (@vikramgondal) November 13, 2020
आवाज़ को दबाने की कोशिश
कुणाल कामरा के मामले में सोशल मीडिया साफ तौर पर बंटा दिखता है। बीजेपी और दक्षिणपंथी विचारधारा के समर्थक कुणाल कामरा के ख़िलाफ़ कड़ी से कड़ी कार्रवाई किए जाने की मांग करते हैं। वहीं, दूसरी ओर सत्ता के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने वाले लोगों का कहना है कि कामरा ने जो कुछ कहा है, वह अभिव्यक्ति की आज़ादी के हक़ के तहत कहा है और उन पर अदालत की अवमानना का मुक़दमा चलाना आलोचना की आवाज़ को दबाने की कोशिश है।