+
अज़हरुद्दीन को तेलंगाना से चुनाव क्यों लड़वाना चाहती है कांग्रेस?

अज़हरुद्दीन को तेलंगाना से चुनाव क्यों लड़वाना चाहती है कांग्रेस?

मुहम्मद अज़हरुद्दीन इस बार लोकसभा चुनाव तेलंगाना से लड़ सकते हैं। कांग्रेस आलाकमान क्यों चाहता है कि अज़हरुद्दीन इस बार हैदराबाद से चुनाव लड़ें और असदउद्दीन ओवैसी को सीधे चुनौती दें।

भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान मुहम्मद अज़हरुद्दीन इस बार लोकसभा चुनाव तेलंगाना से लड़ सकते हैं। तेलंगाना में काफ़ी कमज़ोर पड़ चुकी कांग्रेस ने अज़हरुद्दीन के ज़रिये अल्पसंख्यक समुदाय का समर्थन वापस हासिल करने की रणनीति बनाई है। सूत्रों की मानें तो कांग्रेस आलाकमान चाहता है कि अज़हरुद्दीन इस बार हैदराबाद से चुनाव लड़ें और मज़लिस पार्टी के असदउद्दीन ओवैसी को सीधे चुनौती दें।

सूत्रों का कहना है कि असदउद्दीन ओवैसी कांग्रेस के लिए सिर्फ़ तेलंगाना में ही नहीं, बल्कि देश के कई हिस्सों, ख़ासकर कर्नाटक और महाराष्ट्र में परेशानी का कारण बने हुए हैं। कांग्रेस के रणनीतिकारों का मानना है कि अपनी पार्टी मजलिस के उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतार कर ओवैसी अल्पसंख्यकों के वोट काट रहे हैं जिससे कांग्रेस को नुक़सान और कांग्रेस विरोधी पार्टियों को फ़ायदा हो रहा है। तेलंगाना में पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान ओवैसी ने के. चंद्रशेखर राव की तेलंगाना राष्ट्र समिति के साथ गठजोड़ किया था। ओवैसी ने कांग्रेस के ख़िलाफ़ आग उगली थी। लोकसभा चुनाव में भी वह तेलंगाना राष्ट्र समिति के साथ होंगे और कांग्रेस के ख़िलाफ़ प्रचार करेंगे।

कांग्रेस के रणनीतिकार चाहते हैं कि अज़हरुद्दीन सीधे असदउद्दीन ओवैसी को टक्कर दें और उन्हें चुनाव के दौरान हैदराबाद तक ही सीमित रखें। लेकिन दिलचस्प बात यह है कि अज़हरुद्दीन ने अभी तक कोई फ़ैसला नहीं लिया है।

सूत्र बताते हैं कि अज़हरुद्दीन ओवैसी के ख़िलाफ़ चुनाव मैदान में उतरने के इच्छुक नहीं हैं। उन्हें लगता है कि वह ओवैसी को कड़ी टक्कर दे सकते हैं, लेकिन हरा नहीं सकते। इसी वजह से अज़हर चाहते हैं कि वह हैदराबाद शहर की ही सिकंदराबाद लोकसभा सीट से चुनाव लड़ें।

अज़हर का सिकंदराबाद पर ज़ोर क्यों

सूत्रों की मानें तो अज़हर को सिकंदराबाद से लड़ने के दो फ़ायदे जान पड़ते हैं। 

  1. उनको चुनाव में हैदराबाद से नहीं, बल्कि सिकंदराबाद से जीत की संभावना दिखती है।
  2. वह अपने पुराने दोस्त असदुद्दीन से दुश्मनी मोल लेना नहीं चाहते हैं। 

ग़ौर करने वाली बात है कि असदुद्दीन के पिता सलाउद्दीन ओवैसी के समय से ही अज़हरुद्दीन के ओवैसी परिवार से अच्छे सम्बन्ध रहे हैं। मुश्किल दौर में भी ओवैसी परिवार ने अज़हरुद्दीन का साथ दिया था। इन सब के बीच इतना तय माना जा रहा है कि 2019 का लोकसभा चुनाव अज़हर तेलंगाना से ही लड़ेंगे। 

तेलंगाना के कांग्रेस नेता चाहते हैं कि अज़हर को उनके पैतृक राज्य से चुनाव लड़वाना चाहिए ताकि तेलंगाना में पार्टी के घटते जनाधार को बढ़ाया जा सके।

राज्य के ज़्यादातर कांग्रेसी नेता यही चाहते हैं कि अज़हर सिकंदराबाद से ही चुनाव लड़ें, क्योंकि हैदराबाद से ओवैसी के ख़िलाफ़ लड़ने से न उन्हें फ़ायदा होगा और न ही पार्टी को।

बीजेपी की क्या होगी रणनीति

पिछले चुनाव में सिकंदराबाद लोकसभा सीट भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता बंडारू दत्तात्रेय ने जीती थी। वह केंद्रीय मंत्री भी बनाये गए। लेकिन कुछ कारणों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें मंत्री पद से हटा दिया था। ऐसा माना जा रहा है कि ख़राब सेहत की वजह से इस बार दत्तात्रेय की जगह किसी दूसरे नेता को बीजेपी टिकट देगी। बीजेपी के किसी नए नेता के होने की वजह से अज़हरुद्दीन की सिकंदराबाद से जीत की संभावनाएँ बनती हैं। लेकिन सिकंदराबाद से दो बार लोकसभा का चुनाव जीतने वाले अंजन कुमार यादव से अज़हरुद्दीन को पार्टी के अंदर ही चुनौती मिल सकती है। लेकिन अज़हर के चाहने वालों को भरोसा है कि अंजन पार्टी आलाकमान के फ़ैसले के ख़िलाफ़ नहीं जाएँगे।

अज़हर ने 2009 में यूपी से लड़ा था चुनाव

बता दें कि 2009 में अज़हरुद्दीन ने लोकसभा का चुनाव उत्तरप्रदेश के मुरादाबाद से लड़ा था और चुनाव में जीत हासिल कर पहली बार संसद पहुँचे थे। 2014 में उनकी सीट बदल दी गयी थी। अज़हरुद्दीन ने कांग्रेस के टिकट पर 2014 का चुनाव राजस्थान की टोंक-सवाई माधोपुर सीट से लड़ा था, लेकिन वह हार गए थे। 

सत्य हिंदी ऐप डाउनलोड करें