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आप, सपा से सीट बँटवारे के बाद उद्धव, ममता से वार्ता; जुड़ रहा इंडिया गठबंधन?

आप, सपा से सीट बँटवारे के बाद उद्धव, ममता से वार्ता; जुड़ रहा इंडिया गठबंधन?

नीतीश कुमार और जयंत चौधरी के अलग होने, टीएमसी के अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा से एक समय बिखरता दिख रहा इंडिया गठबंधन क्या फिर से मज़बूती से जुड़ रहा है? जानिए, सीट शेयरिंग को लेकर क्या स्थिति है। 

क्या चुनाव रणनीति में अक्सर दो क़दम आगे माने जाने वाली बीजेपी के उसके गठबंधन के साथियों के साथ सीट शेयरिंग के बारे में कुछ खबर सुनी है? लगता है कि इस मामले में इंडिया गठबंधन आगे बढ़ता दिख रहा है। पहले उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी से सीटों का बँटवारा हो गया और फिर आप के साथ कांग्रेस के सीट बँटवारे की ख़बर आ गई। अब तो उसकी महाराष्ट्र में शिवसेना यूबीटी और तमिलनाडु में डीएमके के साथ भी आखिरी दौर की बातचीत की ख़बर आ रही है। यही नहीं, जिस तृणमूल ने पश्चिम बंगाल में अकेले लड़ने की घोषणा कर दी थी वहाँ भी फिर से बातचीत शुरू होने की ख़बर है। तो क्या इंडिया गठबंधन फिर से एकजुट होने लगा और उसमें नयी ऊर्जा आ गई है? 

महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल में सीट शेयरिंग को लेकर कांग्रेस की बातचीत के बारे में जानने से पहले यह जान लें कि समाजवादी पार्टी और आप से उसकी किस तरह सहमति बनी है। 

एक दिन पहले ही लोकसभा चुनाव के लिए आप-कांग्रेस गठबंधन को लेकर सहमति बन गई है। दिल्ली में 4 सीटों पर आप और कांग्रेस 3 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है। कांग्रेस और आप के दिल्ली गठबंधन के फॉर्मुले में आम आदमी पार्टी नई दिल्ली, नॉर्थ वेस्ट दिल्ली, वेस्ट दिल्ली और साउथ दिल्ली से चुनाव लड़ सकती है। वहीं कांग्रेस पूर्वी दिल्ली, उत्तर पूर्वी दिल्ली और चांदनी चौक से चुनाव लड़ सकती है। जल्द ही औपचारिक घोषणा हो सकती है। इसके साथ ही गुजरात, हरियाणा, गोवा और चंडीगढ़ में साथ मिलकर चुनाव लड़ने की सहमति बनी है। दोनों ने आपसी सहमति से ही पंजाब में अलग-अलग चुनाव लड़ने की घोषणा की है। 

दो दिन पहले समाजवादी पार्टी और कांगेस में यूपी की सीटों के बँटवारे को लेकर समझौता हुआ। समाजवादी पार्टी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 17 सीटें देगी। इसके साथ ही मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने एक सीट देने की बात कही है। दोनों दलों ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इसकी घोषणा की थी। इससे पहले अखिलेश यादव ने कहा था कि 'हमारे बीच कोई विवाद नहीं है। दोनों दलों के बीच गठबंधन होगा और जल्द ही सारी चीजें साफ हो जायेंगी। बाकी चीजें तो पुरानी हो गई हैं। अंत भला तो सब भला।' 

राहुल ने उद्धव को किया फोन

बहरहाल, अब राहुल गांधी ने महाराष्ट्र की 48 सीटों में से आठ पर गतिरोध पर चर्चा करने के लिए एक दिन पहले उद्धव ठाकरे को फोन किया। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार भारत जोड़ो न्याय यात्रा के बीच में मौजूद राहुल गांधी ने कथित तौर पर शिवसेना (यूबीटी) नेता से एक घंटे तक बात की। एनडीटीवी ने सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट दी है कि कांग्रेस मुंबई की छह लोकसभा सीटों में से तीन- मुंबई दक्षिण मध्य, मुंबई उत्तर मध्य और मुंबई उत्तर पश्चिम पर चुनाव लड़ना चाहती है। कथित तौर पर उद्धव ठाकरे राज्य में 18 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ना चाहते हैं, जिनमें मुंबई की चार सीटें - मुंबई साउथ, मुंबई नॉर्थ वेस्ट, मुंबई नॉर्थ ईस्ट और मुंबई साउथ सेंट्रल शामिल हैं। महाविकास अघाडी में शरद पवार की भी पार्टी है। 

रिपोर्ट है कि महाराष्ट्र में तीनों दलों के बीच लगभग 40 सीटों पर सहमति बन गई है लेकिन वार्ताकार आठ सीटों पर अटके हुए हैं।

डीएमके सात सीटों पर सहमत

तमिलनाडु में सत्तारूढ़ डीएमके कांग्रेस को सात लोकसभा सीटें देने पर सहमत हो गई है। हालाँकि कांग्रेस ने इस राज्य में 16 सीटों की मांग रखी थी। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार टी.आर. बालू के नेतृत्व वाली डीएमके टीम ने कांग्रेस नेतृत्व को बताया है कि वह सात से अधिक सीटें देने पर विचार नहीं कर सकती है। लेकिन बातचीत जारी है और क़रीब हफ़्ते भर में सीट शेयरिंग की घोषणा की जा सकती है।

टीएमसी से फिर वार्ता?

आम चुनाव के लिए तृणमूल के साथ सीट-शेयरिंग समझौते पर फिर से वार्ता शुरू हो गई है। कुछ रिपोर्टों में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि कांग्रेस 5 सीटों की मांग कर रही है। हालाँकि एनडीटीवी ने सूत्रों के हवाले से ख़बर दी है कि बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी अपने शुरुआती प्रस्ताव से पीछे हटने की संभावना नहीं है। टीएमसी पहले से दो सीट देने को तैयार दिख रही है। इसको लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तो कह दिया है कि टीएमसी बंगाल में अकेले लड़ेगी। अब टीएमसी की ओर से कहा गया है कि यदि सहमति बनती है तो जल्द ही इसकी घोषणा की जाएगी। 

हालाँकि, इंडिया गठबंधन के ये दल एकसाथ आते दिख रहे हैं, लेकिन इसके कई साथी गठबंधन से बाहर भी चले गए हैं। नीतीश कुमार का जेडीयू भी उनमें से एक है। नीतीश कुमार ही इंडिया गठबंधन की नींव रखने वाले माने गए थे। उन्होंने देश भर में विपक्षी दलों के नेताओं के साथ बातचीत शुरू की थी और कांग्रेस के विरोधी दलों को भी बातचीत की मेज पर ले आए थे।

इंडिया गठबंधन में फिर एक दौर आया जब यह बिखरता हुआ दिखा। इसमें से संयोजक का पद भी अहम माना जाता है। बहरहाल, जो हो, इस बीच नीतीश ने इंडिया गठबंधन को छोड़कर बीजेपी के नेतृत्व वाले इंडिया गठबंधन का दामन थाम लिया। इसके बाद उत्तर प्रदेश में आरएलडी भी इंडिया गठबंधन छोड़कर एनडीए में शामिल हो गया। यह वह दौर था जब ममता बनर्जी ने अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी थी। तब पंजाब में भी आप के अकेले लड़ने की ख़बर आ गई थी। ख़बरें तो यहाँ तक चलने लगी थीं कि आप और सपा से भी कांग्रेस की सीट शेयरिंग नहीं हो पाएगी। तब तो इसके कयास लगाए जाने लगे थे कि क्या इंडिया गठबंधन ख़त्म हो जाएगा? अब हालात बदले-बदले से हैं। तो क्या बीजेपी के लिए सच में यह बड़ी चिंता की बात है?

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