यूपी में बीजेपी और इंडिया गठबंधन के बीच सीधी टक्कर होगी या फिर गठबंधन दलों के उम्मीवारों के बीच भी फ्रेंडली फाइट होगी? फिलहाल, सीटों को लेकर इंडिया गठबंधन के सहयोगी दल कांग्रेस और एसपी के बीच बातचीत फाइनल नहीं हो पाई है। कहा जा रहा है कि कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी से उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से 20 सीटें मांगी हैं, लेकिन सपा को यह मांग अनुचित लगी है। तो सवाल है कि क्या बातचीत के आगे बढ़ने में अड़चनें हैं?
कांग्रेस और सपा के बीच आगे की बातचीत कैसी होने की संभावना है, इसको जानने से पहले यह जान लें कि दोनों दलों के बीच सीट बँटवारे को लेकर कहाँ तक बात पहुँची है।
सीट-बँटवारे की दूसरे औपचारिक दौर की बातचीत बुधवार को हुई। इकोनॉमिक टाइम्स ने बैठक में मौजूद लोगों के हवाले से ख़बर दी कि कांग्रेस और एसपी ने सीट-बँटवारे के फॉर्मूले पर चर्चा की और इस बात पर सहमति जताई कि किस पार्टी को कौन सी सीट मिलेगी, यह तय करने के लिए 'जीतने की क्षमता' मुख्य मानदंड होना चाहिए।
एक वरिष्ठ नेता ने पहचान जाहिर न करने की शर्त पर ईटी को बताया, 'सीटों की सही संख्या पर चर्चा हुई। कांग्रेस ने 20 सीटें मांगी हैं। सीटों की सूची पर भी चर्चा हुई। दोनों पार्टियों ने फिर से मिलने और सीटों पर बातचीत करने का फैसला किया है।' उन्होंने कहा है कि बसपा या रालोद से गठबंधन पर कोई चर्चा नहीं हुई।
एक वरिष्ठ नेता ने अख़बार से कहा, 'आरएलडी समाजवादी पार्टी की सहयोगी पार्टी है। यह साफ है कि आरएलडी की गठबंधन की कोई भी बात कांग्रेस से नहीं, बल्कि समाजवादी पार्टी से होगी।' आरएलडी की सपा से बातचीत हो चुकी है।
हालाँकि, दोनों तरफ़ से सीटों को लेकर साफ़ कुछ भी नहीं कहा गया। बैठक से बाहर निकलते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद ने पत्रकारों से कहा, 'हमने अच्छी बातचीत की... हमने अपनी सूची एक-दूसरे के सामने रखी और प्रत्येक सीट के विवरण की एक-दूसरे से तुलना की और हमें उम्मीद है कि उनकी ओर से अंतिम चर्चा तक पहुंचने से पहले हमें और अधिक प्रतिक्रिया मिलेगी।' बसपा के शामिल होने से जुड़े सवालों पर खुर्शीद ने कहा कि नेतृत्व इसे संभाल लेगा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को उम्मीद है कि भारत जोड़ो न्याय यात्रा के यूपी पहुंचने से पहले गठबंधन को अंतिम रूप दे दिया जाएगा।
एसपी सांसद रामगोपाल यादव ने कहा, 'हम आधा सफर तय कर चुके हैं और जल्द ही पूरा सफर पूरा करेंगे।' यूपी कांग्रेस प्रमुख अजय राय और विधायक आराधना मिश्रा भी चर्चा में शामिल हुए। सपा सांसद जावेद अली खान, पूर्व सपा एमएलसी और अखिलेश यादव के करीबी उदयवीर सिंह और रामगोपाल यादव ने सपा का प्रतिनिधित्व किया।
हालाँकि मायावती ने घोषणा की है कि बसपा अकेले चुनाव लड़ेगी, लेकिन कांग्रेस यूपी में महागठबंधन के लिए उत्सुक है क्योंकि उसे लगता है कि यही एकमात्र तरीका है जिससे विपक्ष भाजपा को कड़ी टक्कर दे सकता है।
ऐसा इसलिए है कि 2019 के चुनाव में वोट प्रतिशत के हिसाब से बीजेपी के ख़िलाफ़ बाकी दलों के एकजुट हुए बिना उसको चुनौती देना मुश्किल है। 2019 में बीजेपी को 49.56%, बीएसपी को 19.26%, एसपी को 17.96% और कांग्रेस को 6.31% वोट मिले थे। हालाँकि सपा और बसपा का प्रभाव काफी कम हुआ है, लेकिन एकजुट विपक्ष समीकरण बदल सकता है।