सीट बँटवारे पर चर्चा के लिए कांग्रेस में अभी तैयारी ही! जानें अब तक क्या हुआ
इंडिया गठबंधन के साथ सीट बँटवारे पर कांग्रेस में अभी चर्चा ही चल रही है। वह भी तब जब उसके सामने बीजेपी जैसी पार्टी है। कांग्रेस नेताओं ने उन राज्यों में उन सीटों की संख्या पर चर्चा की, जहां सहयोगी दलों के साथ संभावित मतभेद हो सकते हैं। विभिन्न राज्यों के कांग्रेस नेताओं ने अपनी आकांक्षाएँ बताई हैं और यह भी बताया है कि पार्टी गठबंधन के सहयोगियों के साथ बातचीत करते समय कितनी सीटें अपने पास रखनी चाहिए।
कांग्रेस एलायंस कमेटी संयोजक मुकुल वासनिक ने कहा कि कांग्रेस एलायंस कमेटी ने पिछले कई दिनों में इंडिया गठबंधन के विभिन्न राज्यों के नेताओं से चर्चा की। उन्होंने कहा कि उन्होंने उन सभी चर्चाओं की विस्तृत जानकारी कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल के सामने रखी। वासनिक ने कहा कि अब हम जल्दी ही सभी राजनीतिक दलों के साथ इस विषय पर चर्चा करेंगे।
मुकुल वासनिक ने विभिन्न विपक्षी दलों के प्रमुखों से बात की है। उन्होंने कहा है कि गठबंधन के सहयोगियों के साथ जल्द ही सीट बंटवारा कर लिया जाएगा। समझा जाता है कि पार्टी को उम्मीद है कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा के अगले चरण से पहले सीट-बंटवारे समझौते को अंतिम रूप दे दिया जाएगा। भारत जोड़ो न्याय यात्रा 14 जनवरी से शुरू होगी। इस बात को ध्यान में रखते हुए उम्मीदवारों की सूची को भी जल्द ही अंतिम रूप दिए जाने की उम्मीद है। कांग्रेस का यह फ़ैसला गुरुवार शाम दिल्ली स्थित पार्टी मुख्यालय में हुई बैठक में आया।
एक अन्य बैठक पार्टी प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे के घर पर हुई, जहां राहुल गांधी के अलावा सीट बंटवारे पर मुकुल वासनिक की अध्यक्षता वाली समिति भी मौजूद थी। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और भूपेश बघेल सीट-बँटवारे समिति के सदस्य हैं। इसके अलावा पी चिदंबरम वाली मैनिफेस्टो कमिटी की भी बैठक हुई। इसकी दूसरी बैठक भी कुछ दिनों में फिर से होगी।
मीडिया रिपोर्टों में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि खड़गे ने दिन में एआईसीसी महासचिवों और राज्य प्रभारियों, राज्य कांग्रेस अध्यक्षों और कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) के नेताओं की बैठक में कहा कि पार्टी 255 सीटों पर ध्यान केंद्रित करेगी। बैठक में राहुल गांधी भी शामिल हुए। समझा जाता है कि पार्टी का यह फ़ैसला गठबंधन के दलों के लिए सीटें छोड़ने के लिए लिया गया है।
राज्यों में कांग्रेस के नेताओं ने इसे एक संकेत के रूप में लिया कि पार्टी इस बार इंडिया गठबंधन की पार्टियों को समायोजित करने के लिए कम संख्या में सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार है।
2019 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने 421 सीटों पर चुनाव लड़ा और 52 सीटें जीतीं। तब उसने गठबंधन के चलते बिहार की 40 सीटों में से केवल नौ सीटों पर, झारखंड की 14 सीटों में से सात सीटों पर, कर्नाटक की 28 सीटों में से 21 सीटों पर, महाराष्ट्र की 48 सीटों में से 25 सीटों पर और तमिलनाडु की 39 सीटों में से नौ सीटों पर चुनाव लड़ा था। उत्तर प्रदेश में उसने 80 में से 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था।
अभी तक सीट बँटवारे को लेकर इंडिया गठबंधन में तकरार बरकरार है। सहयोगी दलों के नेताओं की ही बयानबाज़ी नहीं रुकी है। ऐसे में सीट बँटवारा इतना आसान भी नहीं है।
ममता बनर्जी ने हाल ही में कहा था, 'इंडिया गठबंधन पूरे भारत में मौजूद रहेगा और बंगाल में तृणमूल कांग्रेस लड़ेगी। बंगाल में केवल तृणमूल कांग्रेस ही है जो भाजपा को सबक सिखा सकती है। वह पूरे देश को जीत का रास्ता दिखा सकती है, कोई अन्य पार्टी नहीं।'
शिव सेना यूबीटी नेता संजय राउत ने भी कहा है, 'यह महाराष्ट्र है और यहाँ की सबसे बड़ी पार्टी शिवसेना है। कांग्रेस एक राष्ट्रीय पार्टी है। हमने हमेशा कहा है कि लोकसभा चुनाव में शिवसेना दादरा और नगर हवेली सहित 23 सीटों पर लड़ती रही है और यही स्थिति रहेगी।'
अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी के नेताओं ने भी संकेत दिया है कि वे दिल्ली और पंजाब की 21 सीटों में से कोई भी सीट साझा नहीं करना चाहेंगे। भगवंत मान तो कांग्रेस को लेकर बड़ा बयान दे दिया था और कह दिया था कि दोनों राज्यों में पार्टी अब ख़त्म हो चुकी है।
बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और तमिलनाडु जैसे राज्यों से ज्यादा प्रतिक्रियाएँ नहीं आई हैं। राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन से उसका कद और कम होने की आशंका है।