बोलने की आज़ादी का गला नहीं घोंट पाएँगे निरंकुश: कांग्रेस
विवादास्पद राजद्रोह क़ानून को निलंबित करने के सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फ़ैसले का कांग्रेस ने स्वागत किया है। इसके साथ ही इसने बिना नाम लिए बीजेपी की केंद्र सरकार पर निशाना भी साधा है।
कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा है कि शीर्ष अदालत के ताज़ा फ़ैसले का साफ़ संदेश है कि बोलने की आज़ादी को गला नहीं घोंटने दिया जाएगा। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद ट्वीट किया, 'सत्ता के गढ़ में बैठे दमन करने वालों और अधीनस्थों को आगाह किया गया- निरंकुश और तानाशाह शासकों द्वारा बोलने की आज़ादी को गला नहीं घोंटा जाएगा। सत्ता से सच बोलना देशद्रोह नहीं हो सकता और स्थिति बदलेगी।'
Historic indee!
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) May 11, 2022
Supreme Court has sent a clear message.
Suppressors & subjugators sitting in citadels of power be forewarned - Free Speech will not be throttled by autocrats & dictators masquerading as rulers. Speaking truth to power can’t be sedition & status quo will change. https://t.co/oMj7jRT0Vb
बता दें कि शीर्ष अदालत ने बुधवार को कहा है कि जब तक देशद्रोह के अपराध से निपटने वाली धारा 124ए की दोबारा जांच पूरी नहीं हो जाती, तब तक देशद्रोह क़ानून का इस्तेमाल जारी रखना उचित नहीं होगा। शीर्ष अदालत ने केंद्र और राज्यों से फिर से जाँच पूरी होने तक देशद्रोह के आरोप लगाने वाली कोई भी प्राथमिकी दर्ज करने से परहेज करने की बात कहते हुए कहा, 'देशद्रोह के लिए लगाए गए आरोपों के संबंध में सभी लंबित मामले, अपील और कार्यवाही को स्थगित रखा जाना चाहिए।'
सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह कानून यानी 124ए के मामले में हुई सुनवाईयों के दौरान केंद्र सरकार से पूछा था कि राजद्रोह के लंबित पड़े मामलों में क्या होगा। केंद्र सरकार ने अपना जवाब दाखिल करने के लिए शीर्ष अदालत से और वक्त मांगा था।
केंद्र ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि इस प्रावधान पर रोक लगाना सही तरीका नहीं हो सकता है। केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, 'एक संज्ञेय अपराध को पंजीकृत होने से नहीं रोका जा सकता है, प्रभाव को रोकना एक सही दृष्टिकोण नहीं हो सकता है और इसलिए जाँच के लिए एक जिम्मेदार अधिकारी होना चाहिए और उसकी संतुष्टि न्यायिक समीक्षा का विषय है।'
अदालत ने यह भी कहा कि जिन लोगों पर 124ए के तहत पहले से मुकदमा दर्ज है और वे जेल में हैं, वे लोग भी जमानत के लिए संबंधित अदालतों के पास जा सकते हैं।
अदालत ने कहा कि अगर राजद्रोह कानून के अंतर्गत कोई नया मुकदमा दर्ज होता है तो संबंधित पक्षों को यह आजादी है कि वे राहत के लिए अदालतों के पास जा सकते हैं। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने तमाम अदालतों से अनुरोध किया कि वह किसी तरह की राहत देने से पहले शीर्ष अदालत के द्वारा दिए गए आदेश को जरूर देख लें।