महंगाई पर कांग्रेस के संघर्ष से डर गयी बीजेपी?
जब कभी भी आजाद भारत में कांग्रेस का इतिहास लिखा जाएगा तो इन तीन तस्वीरों की सदैव चर्चा रहेगी जो शुक्रवार 5 अगस्त 2022 को नयी दिल्ली में देखने को मिली। गांधी-नेहरू परिवार की विरासत संभालते ये तीनों नेता महंगाई के खिलाफ अलग-अलग समूह का नेतृत्व करते दिखे। सभी ने खासतौर से विरोध की काली पोशाक पहन रखी थी।
सोनिया गांधी सांसदों का नेतृत्व कर रही थीं तो बेटी प्रियंका गांधी वाड्रा बैरिकेड फांदती हुई आंदोलनकारियों के साथ आगे बढ़ रही थीं। वहीं, राहुल गांधी महंगाई विरोधी आंदोलन को सामने से नेतृत्व दे रहे थे। राहुल-प्रियंका हिरासत में लिए गये। कई सांसद और वरिष्ठ नेता भी उनके साथ रहे।
सोनिया-राहुल-प्रियंका की नेतृत्वकारी तस्वीरें एक साथ एक रंग में कुछ ऐसी नज़र आयीं कि सत्ताधारी दल की सियासत को करवट बदलनी पड़ गयी। जो बीजेपी कांग्रेस के महंगाई विरोध आंदोलन को ईडी विरोध से जोड़ रही थी, सुबह से रविशंकर प्रसाद जैसे नेता इसी काम में लगा दिए गये थे; वही बीजेपी शाम होते-होते हताश और निराश दिखने लगी।
पूर्व बीजेपी अध्यक्ष और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को टीवी स्क्रीन पर उतरना पड़ा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने काले कपड़े इसलिए पहने क्योंकि इस दिन राम मंदिर का शिलान्यास हुआ था और कांग्रेस को इसका विरोध करना था। कश्मीर में अनुच्छेद 370 खत्म होने की तारीख से भी अमित शाह ने काले कपड़ों को जोड़ा।
फिर राम मंदिर का सहारा!
महंगाई पर कांग्रेस का विरोध प्रदर्शन पहले से तय था। 5 अगस्त की जो अहमियत बीजेपी की नज़रों में है उस बारे में भी सभी जानते थे। लेकिन, क्या खुद बीजेपी इस बात को भूल गयी जब उसने अपने दिग्गज बड़बोले नेता रविशंकर प्रसाद को इसी मोर्चे पर लगाया? प्रसाद सुबह से हमलावर दिखे कि कांग्रेस परिवार के भ्रष्टाचार को बचाने के लिए सड़क पर है। उन्होंने एक बार भी 5 अगस्त से इस आंदोलन को नहीं जोड़ा। बीजेपी ने इस दिन किसी उत्सव का आयोजन भी नहीं किया। इसके अलावा जब कांग्रेस ने 5 अगस्त को महंगाई के विरोध में प्रदर्शन की घोषणा की तब भी बीजेपी को इसका भान नहीं हुआ कि कांग्रेस ने इस दिन को क्यों चुना?
इससे उलट महंगाई पर कांग्रेस के आंदोलन को ईडी से जोड़कर बीजेपी टीवी बहस जीत लेने भर की योजना से खुश थी। मगर, कांग्रेस के तेवर और गांधी परिवार के तीन सदस्यों की संघर्ष क्षमता ने महंगाई पर देश की सोच को प्रभावित करने का काम किया।
बीजेपी और उसकी पोषित मीडिया ने कोई कसर बाकी नहीं रखी जिससे यह साबित हो सके कि ईडी से डरकर ही कांग्रेस ने महंगाई पर संघर्ष का रास्ता चुना है। मीडिया सोनिया-राहुल-प्रियंका से कैमरे हटा नहीं पा रहा था। हिरासत में लिए जाने और उससे पहले मोदी से नहीं डरने की बात कहते हुए राहुल गांधी ने अपनी बात रखी।
सच का सामना करने से क्यों कतरा रही है सरकार?
5 अगस्त को लेकर अचानक संवेदनशील हो गयी बीजेपी को वास्तव में सच का सामना करना पड़ा है। महंगाई को लेकर देश हलकान है। कांग्रेस ने बस इस भावना को अपनी जुबान दी है। सोनिया-राहुल-प्रियंका के आंदोलन ने महंगाई के मुद्दे पर समूचे देश को आंदोलित करने में सफलता हासिल की है। टीवी स्क्रीन पर वे इस कदर छाए कि हट न सके। पुलिस की ओर से जिस तरीके से कांग्रेस के दिग्गज नेताओं के साथ धक्का-मुक्की की गयी, उसे भी सबने देखा। ऐसे में आम धारणा इस रूप में बनने लगी कि मोदी सरकार महंगाई पर लगातार झूठ बोल रही है। कांग्रेस ने महंगाई के मुद्दे पर सरकार को बेचैन कर दिया।
वहीं, सरकार महंगाई पर सच का सामना करने तक से कतरा रही है। बीजेपी यह मानने तक को तैयार नहीं है कि देश में महंगाई है। उसके तर्क दुनिया के विभिन्न देशों में महंगाई और भारत में ही पूर्व की सरकारों में महंगाई की दरों से तुलना करने तक सीमित है। महंगाई को रोकने के लिए मोदी सरकार के पास क्या योजना है, उसे लेकर पूरी तरह से खामोशी है। यह बात आम जनता को निराश कर रही है और लोगों को मोदी सरकार का रवैया नागवार गुजर रहा है।
अमित शाह का कांग्रेस को जवाब देने के लिए उतरना कांग्रेस के आंदोलन के मजबूत प्रभाव का प्रमाण है। राम मंदिर शिलान्यास और कश्मीर में अनुच्छेद 370 को हटाने की तारीख 5 अगस्त के दिन काले कपड़े पहनने के नाम अमित शाह कांग्रेस पर हमलावर हुए।
दिल्ली पहुंचे यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी उसी हिसाब से हमलावर दिखे। हिन्दुओं के मान-सम्मान पर चोट पहुंचाने का आरोप कांग्रेस पर लगा है। तुष्टिकरण का आरोप नये सिरे से चस्पां हुआ है। मगर, आश्चर्यजनक ढंग से महंगाई पर न अमित शाह ने कुछ कहा, न योगी आदित्यनाथ ने। निश्चित रूप से महंगाई पर चुप्पी रामभक्तों को भी रास नहीं आने वाली है। यही कांग्रेस की जीत है।
महंगाई से पीड़ित है जनता, चलेगा हिन्दुत्व का मुद्दा?
बीजेपी चाहे लाख कोशिश करे, अगर कांग्रेस उनके बुने जाल में नहीं फंसना चाहती है तो उसे बीजेपी के उठाए मुद्दों पर रिएक्ट करने के बजाए महंगाई पर ही अड़े रहना होगा। सीएसडीएस के ताजा सर्वे के मुताबिक देश में 80 फीसदी जनता महंगाई पर मुखर है। जनता चाहती है कि महंगाई के मुद्दे पर राजनीतिक विरोध हो। यही भावना कांग्रेस के लिए संजीवनी का काम कर सकती है। इसमें संदेह नहीं कि बीजेपी का विशाल नेटवर्क और चुनाव लड़ने-जीतने का हालिया अनुभव किसी अन्य मुकाबले मजबूत है। यह भी एक कारण है कि वह तुरंत कांग्रेस को जवाबी रणनीति के साथ सामने आ गयी।
बीजेपी की रणनीति नयी नहीं है। हिन्दुत्व के मुद्दे को लेकर ही वह कांग्रेस पर हमलावर हुई है। हिन्दुत्व के मुद्दे को बीजेपी ने हमेशा ही दो हिस्सों में बांट कर देखा है। एक सकारात्मक हिन्दुत्व जिसमें हिन्दुओं के हक की बात की जाती है। दूसरा है नकारात्मक हिन्दुत्व, जिसमें हिन्दुत्व पर खतरे को बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया जाता है। अपने विरोधियों को हिन्दुत्व का विरोधी बताना, तुष्टिकरण करने वाला और मुस्लिम परस्त बताना बीजेपी की इसी रणनीति का हिस्सा होता है।
हिन्दुत्व पर देश की फिजां भी बदली है। राहुल गांधी ने जहां लिंगायत समुदाय के धर्मगुरु से दीक्षा ली है वहीं राम मंदिर का मुद्दा हिन्दी पट्टी से बाहर असरदार नहीं है। हिन्दी पट्टी में भी महंगाई के मुकाबले यह कितना असरदार रहेगा, यह देखने वाली बात है। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या पुरानी घिसी-पिटी रणनीति से इस बार महंगाई के मुद्दे पर आंदोलित कांग्रेस को रोक पाएगी बीजेपी?