हाथरस: यूपी में सड़क पर उतरे कांग्रेसी, लखनऊ में पुलिस ने रोका मार्च
हाथरस की घटना के विरोध में कांग्रेस ने कई राज्यों में जोरदार प्रदर्शन किया है। विशेषकर उत्तर प्रदेश में कांग्रेस कार्यकर्ता कई जगहों पर और बड़ी संख्या में सड़कों पर उतरे हैं। प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू के नेतृत्व में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने लखनऊ में मंगलवार शाम को कैंडल लाइट मार्च निकाला। लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक दिया।
यह मार्च लखनऊ में कांग्रेस मुख्यालय से निकल रहा था। पुलिस के द्वारा मार्च को रोके जाने पर अजय कुमार लल्लू सहित सैकड़ों कार्यकर्ता धरने पर बैठ गए। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने वाराणसी, कौशांबी, हाथरस, बांदा, गोरखपुर, मेरठ, चंदौली, अमेठी सहित प्रदेश में कई जगहों पर प्रदर्शन किया है।
इसके अलावा दिल्ली में भी महिला कांग्रेस की कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया है। कांग्रेस का कहना है कि जिस आवाज को दबाने के लिए योगी सरकार इतनी बेताब है, वो आवाज और भी ऊंची होती जाएगी। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने ‘हाथरस की बेटी को न्याय दो’ के नारे भी लगाए।
हाथरस की बेटी के लिए न्याय मांगना गुनाह है क्या
— Ajay Kumar Lallu (@AjayLalluINC) September 29, 2020
सीएम ने पुलिस भेजें है हमारे कैंडल मार्च को रोकने के लिए, पुलिस का यह व्यवहार देखिए। अपराधियों को गृह विभाग पालती है, न्याय मांगने वालों पर ज़ुल्म।
न डरेंगे, न झुकेंगे...न्याय की आवाज़ बुलंद करेंगे। pic.twitter.com/OUc5oHGPJD
हाथरस में 14 सितंबर को दलित परिवार की बेटी के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया। दरिंदों ने उसकी जीभ काट दी थी। उसके गले की हड्डी टूट गई थी क्योंकि बलात्कारियों ने चुन्नी से उसका गला घोटने की कोशिश की थी और उसकी पीठ में भी गहरी चोटें आई थीं। इस लड़की की मौत के बाद देश भर में गुस्सा है। कोरोना संक्रमण के ख़तरे के बावजूद लोग सड़कों पर निकल रहे हैं और उत्तर प्रदेश सरकार के निकम्मेपन के ख़िलाफ़ आवाज़ उठा रहे हैं। राजनीतिक दलों से जुड़ी महिला नेताओं ने इसके लिए योगी सरकार को जिम्मेदार ठहराया है।
सरकार बोली- दुष्कर्म की पुष्टि नहीं
उत्तर प्रदेश सरकार का कहना है कि मृतक लड़की के साथ दुष्कर्म की पुष्टि मेडिकल रिपोर्ट में नहीं हुई है। बुरी तरह से पिटाई के बाद लकवाग्रस्त हो चुकी पीड़िता के शरीर पर आई गंभीर चोटों का भी जिक्र सरकारी मेडिकल रिपोर्ट में नहीं किया गया है। ‘सत्य हिन्दी’ के पास मौजूद पीड़िता की मेडिकल रिपोर्ट में उसे साफ दिख रही चोटों का जिक्र नहीं है बल्कि महज दुपट्टे से गला कसने का जिक्र किया गया है। रिपोर्ट में मृतका के शरीर व अंदरुनी अंगों में किसी तरह की चोट का जिक्र इस रिपोर्ट में नहीं है।
सिरे से नकार दिया बलात्कार को
पुलिस की ओर से ही उपलब्ध करायी गयी मेडिकल रिपोर्ट में और खुद आईजी जोन के बयान में बलात्कार को सिरे से नकार दिया गया है। आईजी जोन ने कहा है कि मृतका के साथ मारपीट हुई थी और पहले उन्ही धाराओं में मुकदमा भी दर्ज किया गया था। उनका कहना है कि बाद में मृतका ने छेड़खानी की बात कही तो धाराएं बढ़ायी गयीं। आईजी के मुताबिक़, घटना के कई दिनों के बाद मृतका ने चार लोगों द्वारा बलात्कार करने की बात कही जिसके बाद इन धाराओं को लगाया गया।गंभीर चोटों को भी नकारा
रेप पीड़िता की मौत से पहले और बाद में उसके परिवार वाले और इलाज कर रहे डॉक्टरों ने गंभीर चोटों व बुरी तरह से पिटाई की बात कही। परिजनों का कहना है कि जीभ काट दी गयी और रीढ़ की हड्डी तक तोड़ दी गयी। हालांकि यूपी पुलिस अब भी इन सबसे इंकार कर रही है। पुलिस ने मृतका के साथ हुई हैवानियत तक को नकार दिया है।इस मुद्दे पर देखिए वीडियो-